“एक मिनट में चुप करा देंगे” वाले भाषण पर फंसे राज ठाकरे, वकीलों ने मांगी NSA की कार्रवाई

राज ठाकरे के भाषणों को लेकर बवाल मच गया है। बॉम्बे हाईकोर्ट के तीन वकीलों ने महाराष्ट्र DGP को पत्र लिखकर राज ठाकरे पर एनएसए लगाने और FIR दर्ज करने की मांग की है। वकीलों का आरोप है कि ठाकरे के बयान गैर-मराठी लोगों के खिलाफ नफरत और हिंसा फैला रहे हैं।

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राज ठाकरे के विवादित भाषणों पर गरमाया महाराष्ट्र: वकीलों ने उठाई एनएसए लगाने की मांग

मुंबई में गरमा रही सियासत एक बार फिर राज ठाकरे के तीखे और विवादास्पद बयानों को लेकर उबाल पर है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) प्रमुख पर अब देश की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। बॉम्बे हाईकोर्ट के तीन वरिष्ठ वकीलों ने महाराष्ट्र पुलिस प्रमुख (DGP) को एक सख्त चिट्ठी लिखकर राज ठाकरे के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत तत्काल कार्रवाई की मांग की है। यह मांग इसलिए भी चौंकाने वाली है क्योंकि इसमें सिर्फ भाषणों का जिक्र नहीं है, बल्कि उसके बाद हुई हिंसक घटनाओं और क्षेत्रीय वैमनस्य को आधार बनाया गया है।

राज ठाकरे के बयानों से गैर-मराठी समुदाय में दहशत!
वकीलों का आरोप है कि राज ठाकरे के भाषणों ने गैर-मराठी नागरिकों के खिलाफ भय, हिंसा और नफरत का माहौल खड़ा कर दिया है। हाल ही में वर्ली (मुंबई) में हुए एक कार्यक्रम में ठाकरे ने कथित तौर पर चेतावनी भरे लहजे में कहा, “जो हमसे गलत भाषा में बात करेगा, उसे एक मिनट में चुप करा देंगे।” वकीलों ने दावा किया कि इस तरह के बयान ना सिर्फ सामाजिक तनाव बढ़ा रहे हैं, बल्कि कानून-व्यवस्था को सीधा चुनौती दे रहे हैं।

 IPC की कई धाराओं के तहत केस और NSA की मांग
वकीलों ने ठाकरे के बयानों को IPC की कई धाराओं में आपराधिक श्रेणी में बताया है:

  • धारा 123(45): भाषा व जाति के नाम पर वैमनस्य फैलाना
  • धारा 124: राष्ट्रीय एकता पर आघात
  • धारा 232: आतंक फैलाने की साजिश
  • धारा 345(2): जानबूझकर हिंसा भड़काना
  • धारा 357: सार्वजनिक दहशत फैलाना

इसके साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) लगाने की मांग की है, जो आमतौर पर देश की अखंडता, सुरक्षा और सामाजिक स्थिरता को खतरे में डालने वालों पर लगाया जाता है।

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 संविधान के अनुच्छेदों का उल्लंघन?
वकीलों ने यह भी कहा कि ठाकरे के बयानों से भारत के संविधान के कई मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है, जिनमें शामिल हैं:

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  • अनुच्छेद 14: कानून के समक्ष समानता
  • अनुच्छेद 19(1)(a): विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
  • अनुच्छेद 19(1)(d) व (e): कहीं भी आने-जाने और बसने की स्वतंत्रता
  • अनुच्छेद 21: जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार
  • अनुच्छेद 29: अल्पसंख्यकों के सांस्कृतिक अधिकारों की सुरक्षा

 राज के बयान के बाद महाराष्ट्र में हिंसा की चिंगारी
राज ठाकरे के विवादित भाषण के तुरंत बाद ही एमएनएस कार्यकर्ताओं ने कई जगहों पर गैर-मराठी लोगों के खिलाफ आक्रामक रवैया अपनाया। रिपोर्ट्स के अनुसार, कई गैर-मराठी नेताओं के दफ्तरों में तोड़फोड़ की गई और उनके खिलाफ हिंसक हमले किए गए। वकीलों ने यह भी कहा कि “मराठी अस्मिता” के नाम पर अब यह अभियान एक खतरनाक मोड़ ले रहा है जो समाज में स्थायी दरार पैदा कर सकता है।

 सरकार पर जिम्मेदारी: माहौल को न बिगड़ने दें
वकीलों ने राज्य सरकार से मांग की है कि वह तुरंत राज ठाकरे के खिलाफ कठोर कदम उठाकर यह संदेश दे कि महाराष्ट्र किसी भी प्रकार के भाषाई, धार्मिक या जातीय भेदभाव की अनुमति नहीं देगा। उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार निष्क्रिय रही, तो यह विभाजनकारी राजनीति अन्य राज्यों तक फैल सकती है।


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