‘उदयपुर फाइल्स’ की रिलीज पर सस्पेंस: आरोपी बोले- हमें बना दिया विलेन

‘उदयपुर फाइल्स’ फिल्म पर विवाद गहराया, जो 2022 के कन्हैया लाल हत्याकांड पर आधारित है। आरोपी मोहम्मद जावेद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर रिलीज पर रोक की मांग की है। उनका आरोप है कि फिल्म निष्पक्ष सुनवाई को प्रभावित कर सकती है। अब फैसला सुप्रीम कोर्ट के हाथ में है।

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वर्ष 2022 की उस भयावह दोपहर की याद आज भी लोगों के रोंगटे खड़े कर देती है, जब राजस्थान के उदयपुर में एक दर्जी – कन्हैया लाल साहू – की नृशंस हत्या ने पूरे देश को सन्न कर दिया था। अब उसी रूह कंपा देने वाली घटना पर आधारित क्राइम-ड्रामा फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ एक बार फिर बहस के केंद्र में आ गई है। इस बार मुद्दा फिल्म की कहानी नहीं, बल्कि इसके रिलीज को लेकर सुप्रीम कोर्ट की चौखट तक पहुंचा विवाद है। आरोपी पक्ष का कहना है कि फिल्म उन्हें बिना ट्रायल के गुनहगार की तरह पेश करती है, जिससे न केवल उनकी छवि को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि निष्पक्ष न्याय प्रक्रिया पर भी प्रतिकूल असर पड़ सकता है।

 अदालत की दहलीज़ पर सिनेमा
मोहम्मद जावेद – जो इस केस के आठवें आरोपी हैं – ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग की है। उनका दावा है कि जब तक मुकदमा कोर्ट में लंबित है, तब तक ऐसी फिल्में न केवल पूर्वग्रह को जन्म देती हैं, बल्कि आम जनता के मन में आरोपियों के खिलाफ तयशुदा राय बना देती हैं। सिर्फ यही नहीं, याचिकाकर्ता ने फिल्म के ट्रेलर, प्रचार सामग्री और इसके सोशल मीडिया कैंपेन पर भी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि इस प्रकार की प्रचार रणनीति जनभावनाओं को भड़काने का काम कर रही है, और इससे कोर्ट का निर्णय प्रभावित हो सकता है।

 जनता भी दो हिस्सों में बंटी
फिल्म को लेकर आम लोगों की राय भी बंटी हुई है। कुछ दर्शकों का मानना है कि ‘उदयपुर फाइल्स’ उस सच्चाई को सामने लाने का साहसिक प्रयास है, जिसे लोग भूल चुके हैं या भुला देना चाहते हैं। वहीं दूसरी ओर एक वर्ग ऐसा भी है जो इसे न्याय व्यवस्था में सीधा हस्तक्षेप मानता है।

 सुप्रीम कोर्ट में दो पक्ष, एक फैसला
सुप्रीम कोर्ट बुधवार को इस मामले में सुनवाई करेगा। गौरतलब है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने पहले ही फिल्म की रिलीज पर 10 जुलाई तक रोक लगा दी थी। अब निर्माता उस फैसले को चुनौती दे चुके हैं। वहीं, याचिकाकर्ता आरोपी की मांग है कि फिल्म को तब तक रिलीज न किया जाए जब तक मुकदमे का अंतिम निर्णय न आ जाए।

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फिल्म की रिलीज डेट अभी तय नहीं हुई है, लेकिन यह निश्चित है कि यह मामला देश में सिनेमा और न्यायपालिका के बीच संतुलन पर एक नई बहस को जन्म देगा।

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