Rajasthan Politics: जातिगत जनगणना को लेकर सचिन पायलट का बड़ा बयान – सरकार की मंशा पर उठाए सवाल, तत्काल प्रक्रिया शुरू करने की मांग

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जयपुर, 17 जून 2025। राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट ने केंद्र सरकार की प्रस्तावित जातिगत जनगणना को लेकर तीखा हमला बोला है। उन्होंने इस प्रक्रिया की विलंबित समयसीमा और सरकार की गंभीरता दोनों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। जयपुर में आयोजित एक प्रेस वार्ता में पायलट ने केंद्र द्वारा वर्ष 2026 और 2027 में जनगणना शुरू करने की अधिसूचना को “समझ से परे और जनहित के विरुद्ध” करार दिया।Rajasthan Politics: सचिन पायलट ने उठाए केंद्र की जातिगत जनगणना की मंशा पर सवाल, तुरंत शुरू करने की मांग

जनगणना का उद्देश्य केवल जाति नहीं – समाज की वास्तविक तस्वीर ज़रूरी: पायलट
सचिन पायलट ने कहा कि जातिगत जनगणना का लक्ष्य केवल लोगों की जाति की संख्या निकालना नहीं है, बल्कि यह पता लगाना है कि समाज के विभिन्न वर्गों की वास्तविक सामाजिक-आर्थिक स्थिति क्या है। उन्होंने कहा,

“क्या कोई सरकार ये बताए बिना कि लोग किन हालात में रह रहे हैं, कैसी शिक्षा पा रहे हैं, कितनी आय है, कौन योजनाओं से वंचित है — सामाजिक न्याय की बात कर सकती है?”

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इस प्रक्रिया के माध्यम से ही यह जाना जा सकता है कि किन तबकों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है और कौन अब भी मुख्यधारा से दूर है। पायलट ने सवाल उठाया कि जब तक ये आंकड़े नहीं मिलते, तब तक किसी भी सुधार की नीति सटीक और प्रभावशाली कैसे बन सकती है?

तेलंगाना बना मिसाल, केंद्र से सीखे सबक: पायलट
पायलट ने तेलंगाना सरकार द्वारा की गई जातिगत जनगणना को एक आदर्श मॉडल बताया। उन्होंने कहा कि वहाँ की सरकार ने न केवल तकनीकी विशेषज्ञों बल्कि सामाजिक संगठनों और एनजीओ को भी इस प्रक्रिया में शामिल किया, जिससे नतीजे अधिक पारदर्शी, सटीक और भरोसेमंद बन सके।

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उन्होंने कहा, “जब राज्य सरकारें जनसंख्या का पूरा डेटा इकट्ठा कर सकती हैं, तो केंद्र को इसमें वर्षों क्यों लग रहे हैं? क्या सरकार सामाजिक हकीकत से आंखें चुरा रही है?” पायलट ने यह भी कहा कि यदि केंद्र तेलंगाना की तरह पारदर्शिता और समावेशी प्रक्रिया अपनाए, तो जातिगत जनगणना देश के कमजोर तबकों के लिए नीतिगत क्रांति ला सकती है।

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सरकार की अधिसूचना से उठे सवाल: क्या जनगणना में देरी जानबूझकर की जा रही है?
पायलट ने केंद्र द्वारा जारी अधिसूचना का हवाला देते हुए कहा कि जनगणना को 2026 और 2027 में दो चरणों में कराने की बात, सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल खड़े करती है। अधिसूचना के अनुसार:

  • पहला चरण: 1 अक्टूबर 2026 से – इसमें जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड शामिल होंगे।
  • दूसरा चरण: 1 मार्च 2027 से – शेष भारत में लागू होगा।

पायलट ने इस बंटवारे और देरी को “जनहित की उपेक्षा” बताया और कहा कि सरकार इस प्रक्रिया से राजनीतिक दूरी बना रही है।

जातिगत जनगणना: देश के लिए जरूरी, देरी नहीं होनी चाहिए
कांग्रेस नेता का कहना है कि जातिगत जनगणना देश की नीतियों की रीढ़ बन सकती है। यदि समय रहते इसे अंजाम नहीं दिया गया, तो देश के पिछड़े और वंचित वर्गों को योजनाओं का पूरा लाभ नहीं मिल पाएगा। उन्होंने कहा: “सच्चाई ये है कि बिना डेटा के हम न योजना बना सकते हैं, न सुधार कर सकते हैं और न ही समाज में संतुलन ला सकते हैं। जो सरकार यह नहीं जानना चाहती कि किसके पास क्या है और कौन वंचित है, वह सामाजिक न्याय की बात करने का नैतिक अधिकार खो देती है।”

राजस्थान सहित देशभर में बनेगा यह मुद्दा जन-आंदोलन का आधार
पायलट ने साफ किया कि कांग्रेस अब इस मुद्दे को राजनीतिक प्राथमिकता बनाएगी और संसद से लेकर सड़कों तक इस देरी का विरोध करेगी। उन्होंने कहा कि राजस्थान जैसे राज्यों में पहले ही सामाजिक न्याय को लेकर सजगता है और यह मुद्दा लोगों की भावनाओं से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस विषय पर जनता को जागरूक करेगी और केंद्र सरकार पर दबाव डालेगी कि वह बिना देरी के जातिगत जनगणना की प्रक्रिया को शीघ्र शुरू करे। पायलट ने यह भी कहा कि इससे जुड़े आंकड़े सार्वजनिक किए जाने चाहिए ताकि नीतियों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।
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