कोरोना का नया रूप ‘निम्बज’: अमेरिका-चीन में हड़कंप, भारत में भी दस्तक

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भारत एक बार फिर कोरोना के बदलते रूपों की चपेट में आता दिखाई दे रहा है। जहां एक ओर देश में कोरोना के एक्टिव केस धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर वैश्विक स्तर पर ‘निम्बज’ नाम का नया कोविड वैरिएंट चिंता की लकीरें खींच रहा है। वैज्ञानिक नाम NB.1.8.1 से पहचाना जाने वाला यह नया स्ट्रेन अमेरिका, चीन, ऑस्ट्रेलिया, यूके जैसे देशों में तेज़ी से फैल रहा है और अब इसकी आहट भारत में भी महसूस की जा रही है।
भारत में कोरोना की ताजा स्थिति:
जनवरी 2025 के आंकड़ों पर गौर करें तो देश में अब तक इस साल कोरोना से 120 लोगों की मौत हो चुकी है। बीते 24 घंटे में 4 नई मौतें दर्ज की गई हैं – दिल्ली, केरल, महाराष्ट्र और पंजाब से एक-एक मरीज की मृत्यु की पुष्टि हुई है। फिलहाल भारत में कुल 5608 सक्रिय मामले हैं और गुरुवार को 64 नए मामले सामने आए हैं।
वैश्विक स्तर पर कहर बरपा रहा ‘निम्बज’:
NB.1.8.1 या ‘निम्बज’ नामक यह नया वैरिएंट विश्व के कई हिस्सों में तेज़ी से संक्रमण फैला रहा है। अमेरिका के वाशिंगटन, न्यूयॉर्क, कैलिफोर्निया, वर्जीनिया और यूके समेत कम से कम 13 राज्यों में इसका प्रकोप देखा गया है। इस स्ट्रेन को लेकर US CDC ने बताया है कि 7 जून 2025 तक अमेरिका में सामने आए कुल कोविड मामलों में से लगभग 37% मामले इसी वैरिएंट से संबंधित थे। वैज्ञानिक इसे ‘रेजर ब्लेड थ्रोट’ कहकर पुकार रहे हैं, क्योंकि यह गले में तीव्र और जलनयुक्त खराश पैदा करता है, जैसे किसी ने गले में ब्लेड रख दिया हो।
लक्षण जो सामान्य से कहीं अधिक असहज:
निम्बज के लक्षण पहली नजर में पारंपरिक कोविड संक्रमण जैसे ही प्रतीत होते हैं – जैसे बुखार, खांसी, सिरदर्द, थकावट और बदन दर्द। परंतु इसके अतिरिक्त कुछ मरीजों में एलर्जी जैसे लक्षण – जुकाम, बहती नाक, और गले में अत्यधिक खराश पाई गई है। वहीं कुछ लोगों को सांस लेने में तकलीफ, मतली, उल्टी या दस्त जैसी समस्याएं भी झेलनी पड़ी हैं।
क्यों है NB.1.8.1 ज्यादा खतरनाक?
यह वैरिएंट ACE2 रिसेप्टर्स से बेहद मज़बूती से जुड़ता है – ये वही रिसेप्टर्स हैं जिनकी मदद से कोरोना वायरस हमारे शरीर में प्रवेश करता है। इस विशेषता के चलते यह अन्य वैरिएंट्स की तुलना में ज्यादा प्रभावी तरीके से संक्रमण फैला सकता है। WHO के अनुसार, यह ओमिक्रॉन का ही एक सब-वैरिएंट है, परंतु इसे “वैरिएंट अंडर मॉनिटरिंग” की श्रेणी में रखा गया है।
भारत में कौन से वैरिएंट्स की पहचान?
ICMR के निदेशक डॉ. राजीव बहल ने बताया कि दक्षिण और पश्चिम भारत से लिए गए सैंपल्स में चार वैरिएंट्स की पहचान हुई है – LF.7, XFG, JN.1 और NB.1.8.1। इन चारों में से अधिकांश जेएन.1 के म्यूटेशन हैं। फिलहाल इनसे संक्रमित मरीजों में गंभीर लक्षण नहीं देखे जा रहे हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए है।
क्या वैक्सीन है कारगर?
यह सबसे बड़ा सवाल है – क्या मौजूदा वैक्सीन इस नए रूप से सुरक्षा दे सकती है? WHO का प्रारंभिक आकलन है कि मौजूदा टीके गंभीर संक्रमण से बचाव में सहायक हो सकते हैं, परंतु कुछ लैब डाटा यह भी दिखाते हैं कि NB.1.8.1 वैरिएंट हमारी वैक्सीन-निर्मित इम्यूनिटी से बच निकलने में भी सक्षम हो सकता है। इसका मतलब है कि यह वैरिएंट पहले से संक्रमित या वैक्सीनेटेड लोगों को भी दुबारा संक्रमित कर सकता है।
वैरिएंट्स की जेनेटिक संरचना:
NB.1.8.1 के स्पाइक प्रोटीन में A435S, V445H, और T478I जैसे बदलाव पाए गए हैं, जो इसे अन्य वैरिएंट्स की तुलना में अधिक संक्रामक बनाते हैं। भारत में JN.1 सबसे सामान्य वैरिएंट है, जो कि देश में टेस्ट किए गए आधे से ज्यादा सैंपल्स में पाया गया है। इसके अलावा BA.2 और अन्य ओमिक्रॉन सब-लाइनेज भी सक्रिय हैं।
भारत को सतर्क रहना होगा:
फिलहाल भारत में स्थिति नियंत्रण में है, परंतु नए वैरिएंट्स की दस्तक भविष्य में संभावित लहर की चेतावनी दे रही है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जल्द ही इस पर और शोध होंगे और वैक्सीन कंपनियां भी अपने फॉर्मूलेशन में बदलाव कर सकती हैं। तब तक, मास्क पहनना, भीड़ से बचना, नियमित हाथ धोना और लक्षण दिखने पर तुरंत टेस्ट कराना ही सबसे सुरक्षित उपाय हैं।
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