शिक्षकों की जगह दलालों की भर्ती: बंगाल के भर्ती घोटाले में ईडी की बड़ी कार्रवाई 27.19 करोड़ की संपत्ति जब्त
पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच में प्रवर्तन निदेशालय ने 27.19 करोड़ की संपत्ति जब्त की है। कुल जब्ती अब 636.88 करोड़ तक पहुंच चुकी है। तीन चाय कंपनियों के जरिए काली कमाई को सफेद किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने 25,000 से अधिक नियुक्तियां रद्द की हैं।

- पैसों की खातिर नौकरी का सौदा: बंगाल भर्ती घोटाले में 636 करोड़ का पर्दाफाश
- टीचर्स की जगह बिचौलियों की भर्ती: सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्तियां की रद्द
- दलालों का राज खत्म! बंगाल भर्ती घोटाले में ईडी की सबसे बड़ी कार्रवाई
पश्चिम बंगाल में सरकारी नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुकी थी, जहां काबिल अभ्यर्थी दरकिनार किए गए और पैसे देकर नौकरियां बेची गईं। अब इस शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच में एक और बड़ा मोड़ आया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस बार 27.19 करोड़ रुपये की संपत्ति को जब्त किया है, जो इस घोटाले से निकले काले धन से खरीदी गई थी। ईडी के अनुसार, ये संपत्तियां राज्य के एक प्रभावशाली दलाल प्रसन्ना कुमार रॉय से जुड़ी तीन अलग-अलग चाय कंपनियों के नाम पर हैं। जिन कंपनियों को अटैच किया गया है, उनमें Samsing Organic Tea Pvt Ltd, Yangtong Organic Tea Pvt Ltd और Bamandanga Tea Estate Pvt Ltd शामिल हैं। इन कंपनियों के जरिए काले धन को वैध बनाने का खेल चल रहा था।
बंगले से बगानों तक फैला भ्रष्टाचार का साम्राज्य
ईडी द्वारा जब्त की गई संपत्तियों में आलीशान बंगले, चाय फैक्ट्रियां, आधुनिक मशीनें, वाहन और प्लांट शामिल हैं। जांच में सामने आया है कि ये सारी संपत्ति उन पैसों से खरीदी गई थी, जो ग्रुप-C और ग्रुप-D की सरकारी नौकरियों के बदले में वसूले गए थे। 3 अप्रैल 2025 को, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि यह पूरी भर्ती प्रक्रिया “पक्षपातपूर्ण और भ्रष्ट” थी। कोर्ट ने बताया कि 25,000 से अधिक टीचिंग और नॉन-टीचिंग स्टाफ की नियुक्तियों में व्यापक अनियमितताएं पाई गईं। नतीजतन, सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में इन सभी नियुक्तियों को रद्द कर दिया। यह आदेश ना केवल भर्ती प्रक्रिया को साफ करने की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि उन अभ्यर्थियों के लिए भी राहत है जो बिना गलती के बाहर कर दिए गए थे। इस मामले की नींव CBI द्वारा दर्ज की गई दो प्राथमिक रिपोर्टों (FIR) से रखी गई थी, जिसके आधार पर ईडी ने आर्थिक अनियमितताओं की जांच शुरू की। जांच में सामने आया कि योग्य उम्मीदवारों को नजरअंदाज कर मनचाहे लोगों को नौकरी दी गई। यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि एक सुनियोजित साजिश थी जिसमें कई अधिकारी, दलाल और रसूखदार लोग शामिल थे। चयन सूची में हेरफेर, नकली दस्तावेजों का इस्तेमाल और परीक्षा प्रणाली में घोटाला – सबकुछ साज़िश का हिस्सा था।
अब तक अटैच हो चुकी 636.88 करोड़ की संपत्ति
यह घोटाला सिर्फ एक विभाग तक सीमित नहीं था। ईडी की जांच के मुताबिक अब तक कुल 636.88 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति को जब्त किया जा चुका है:
- ग्रुप C और D भर्ती घोटाला: 219.91 करोड़
- क्लास 9वीं-12वीं के असिस्टेंट टीचर्स भर्ती घोटाला: 238.78 करोड़
- प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती घोटाला: 151 करोड़
- हाल की कार्रवाई (तीन चाय कंपनियों की संपत्ति): 27.19 करोड़
मुख्य आरोपी प्रसन्ना रॉय और उसका सहयोगी चंदन मंडल इस समय जेल में बंद हैं। हालांकि, इस भ्रष्टाचार के पूरे जाल में कई और चेहरे शामिल हो सकते हैं, जिनकी तलाश जारी है।
भविष्य में और गिरफ़्तारियां संभव, जांच जारी
ईडी के सूत्रों के अनुसार, यह घोटाला सिर्फ “नौकरियां बेचने” तक सीमित नहीं था। इसमें जमीनों की खरीद-फरोख्त, फर्जी कंपनियों के ज़रिए मनी लॉन्ड्रिंग और बड़े पैमाने पर कागजी कंपनियों की भूमिका सामने आ रही है। ईडी ने संकेत दिया है कि इस मामले में आने वाले समय में और गिरफ्तारियां हो सकती हैं और इसमें कई बड़े नाम सामने आ सकते हैं। यह केवल शिक्षक भर्ती से जुड़ा मामला नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की सड़न का प्रतीक बन गया है।
यह केवल एक राज्य का घोटाला नहीं, यह देश की भर्ती प्रणाली पर सवाल है
यह मामला केवल पश्चिम बंगाल तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक राष्ट्रीय चेतावनी है कि अगर भर्ती प्रक्रियाएं पारदर्शी नहीं रहीं, तो योग्य प्रतिभाएं हाशिए पर रह जाएंगी और भ्रष्ट लोग सिस्टम पर कब्जा कर लेंगे। अब देखने वाली बात होगी कि यह केस न्याय और पारदर्शिता की दिशा में मिसाल बनेगा या फिर यह भी लंबे कानूनी संघर्षों में दब जाएगा।