दो करोड़ के लालच में दोस्त को जिंदा जलाया, रीवा में पति-पत्नी ने रची खौफनाक साजिश
रीवा में एक पति-पत्नी ने दो करोड़ के बीमा के लिए एक युवक को जिंदा जलाकर हत्या कर दी। यूट्यूब से साजिश रची, युवक को शराब पिलाकर कार में जलाया और सुनील की मौत का नाटक रचा। पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर साजिश का भंडाफोड़ किया।


रीवा, मध्यप्रदेश –
जब कर्ज की दीवारें सपनों पर भारी पड़ने लगती हैं और लालच इंसान को अंधा कर देता है, तब अपराध जन्म लेता है। ऐसा ही एक रोंगटे खड़े कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां एक पति-पत्नी ने दो करोड़ रुपये के बीमा क्लेम के लिए न केवल साजिश रची, बल्कि एक निर्दोष युवक को जिंदा जलाकर हत्या कर दी — और सब कुछ एक फिल्मी कहानी की तरह।
सपनों से शुरू हुआ सफर, अंत हुआ हत्या से
सुनील सिंह और हेमा सिंह, एक सामान्य मध्यमवर्गीय दंपति, जो बेहतर जीवन के लिए संघर्ष कर रहे थे। पार्लर खोलने के लिए पत्नी के नाम पर कर्ज, फिर खेती के लिए हार्वेस्टर का लोन – लेकिन EMI की रफ्तार उनकी आमदनी से तेज निकली। जब सारी आर्थिक योजनाएं ध्वस्त हो गईं, तो तय किया कि अब उन्हें अपनी मुसीबतों से छुटकारा एक बीमा पॉलिसी ही दिला सकती है। सुनील और हेमा ने मिलकर दो करोड़ रुपये की बीमा पॉलिसी खरीदी और योजना बनाई । इसके लिए दोनों ने इंटरनेट की शरण ली और यूट्यूब से हत्या की तरकीब सीखी। अब उन्हें चाहिए था एक ऐसा शख्स जो दिखने में सुनील जैसा हो — और उनकी नजर पड़ी विनोद चौहान पर।
मासूमियत को बना दिया मोहरा
विनोद, एक आम नौजवान, जो नहीं जानता था कि उसकी मुलाकात मौत से हो चुकी है। सुनील और हेमा ने पहले उससे दोस्ती बढ़ाई, फिर विश्वास जीता। विनोद की कद-काठी और चेहरे की समानता ने दोनों को भरोसा दिला दिया कि यही उनका ‘डुप्लीकेट शव’ बन सकता है। योजना के मुताबिक, विनोद को एक रात पार्टी के बहाने बुलाया गया। शराब पिलाकर उसकी चेतना को लगभग खत्म कर दिया गया। फिर उसे गाड़ी में लादकर उत्तर प्रदेश के चित्रकूट ले जाया गया। एक सुनसान इलाके में कार खड़ी की गई, गाड़ी में रखा गैस सिलेंडर खोला गया, कपूर से आग लगाई गई — और दोनों आरोपी भाग निकले। विनोद, जो नशे में बेसुध था, जिंदा जल गया। गाड़ी जलकर खाक हो गई। शव इतनी बुरी तरह झुलस चुका था कि पहचान असंभव थी। यही वह क्षण था, जिसका इंतजार सुनील और हेमा कर रहे थे। हेमा ने मीडिया और परिवार के सामने शोक जताते हुए कहा — “सुनील की कार एक्सीडेंट में मौत हो गई।” यहां तक कि सुनील के पिता ने उसका विधिवत अंतिम संस्कार भी कर दिया। हत्या के कुछ ही दिनों बाद, हेमा ने बीमा कंपनी से क्लेम किया और 2 करोड़ रुपये अपने नाम पर हासिल कर लिए। उधर सुनील, इस पूरे नाटक के दौरान, अपनी साली के घर छिपा बैठा था। दोनों ने सोचा था कि यह अपराध कभी सामने नहीं आएगा। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। एक दिन, सुनील अपने ठिकाने से बाहर निकला और उसे किसी जानने वाले ने पहचान लिया। पुलिस को सूचना मिली। जांच फिर से तेज हुई, और जल्द ही पूरा रहस्य उजागर हो गया। पुलिस ने सुनील और हेमा दोनों को गिरफ्तार कर लिया।
स्वीकारोक्ति में उगले राज, अब कानून करेगा हिसाब
पूछताछ में दोनों ने अपना अपराध कबूल कर लिया। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, दोनों ने बताया कि वे कर्ज से बेहद परेशान थे और बीमा की मोटी रकम ने उन्हें यह सब करने के लिए मजबूर कर दिया। उनका मानना था कि अगर ‘मौत नकली भी हो तो पैसा असली आ जाएगा’ — लेकिन वो भूल गए कि कानून की नजरें सब देखती हैं। यह घटना एक गहरी सीख है — कि जब इंसान अपनी इच्छाओं को नियंत्रित नहीं कर पाता, तो वह ना केवल खुद को, बल्कि निर्दोषों की जान को भी संकट में डाल देता है। दो करोड़ के लिए रची गई यह क्रूर साजिश केवल एक हत्या नहीं थी — यह उस विश्वास का खून था, जो इंसानियत को जोड़कर रखता है।