राष्ट्रपति से मुख्यमंत्री तक एक स्वर: सिकल सेल एनीमिया के खिलाफ निर्णायक युद्ध

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बड़वानी (मध्यप्रदेश)। 19 जून को विश्व सिकल सेल दिवस के अवसर पर मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल क्षेत्र बड़वानी की ग्राम पंचायत तलून में स्थित खेल स्टेडियम एक ऐतिहासिक स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम का गवाह बना। यहां राष्ट्रीय सिकल सेल उन्मूलन मिशन 2047 के तहत एक राज्य स्तरीय भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें प्रदेश के दो शीर्ष संवैधानिक पदाधिकारी – राज्यपाल मंगुभाई पटेल और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने स्वयं उपस्थित होकर इस गंभीर स्वास्थ्य संकट के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाया।यह कार्यक्रम केवल एक सरकारी औपचारिकता नहीं था, बल्कि यह उस ऐतिहासिक बदलाव की शुरुआत है जो भारत को वर्ष 2047 तक सिकल सेल एनीमिया मुक्त राष्ट्र बनाने के महाअभियान का हिस्सा है। इस मिशन के तहत न केवल चिकित्सा पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, बल्कि सामुदायिक जागरूकता, जेनेटिक काउंसलिंग, और प्रभावित वर्गों तक सेवाओं की पहुँच को भी एक समान प्राथमिकता दी जा रही है।

कार्यक्रम की विशेषताएं: तकनीक और संवेदनशीलता का समावेश
इस अवसर पर कई नवाचारों की शुरुआत की गई, जो भविष्य में इस बीमारी के नियंत्रण और जागरूकता अभियान को नई दिशा देंगे।

  • जेनेटिक काउंसलिंग जागरूकता वीडियो का विमोचन हुआ, जो सिकल सेल से प्रभावित परिवारों और युवाओं को इस बीमारी की गंभीरता और आवश्यक उपायों की जानकारी देगा।
  • गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष दिशा-निर्देश और प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार किए गए हैं, जो गर्भस्थ शिशु तक बीमारी के प्रसार को रोकने में सहायक होंगे।
  • कार्यक्रम में उन ग्राम पंचायतों को विशेष रूप से सम्मानित किया गया जिन्होंने अपने क्षेत्र में लक्षित आयु वर्ग की 100% स्क्रीनिंग पूरी कर ली है। यह सम्मान उन जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं और समुदाय की जीत का प्रतीक था जिन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं को सामाजिक आंदोलन का रूप दिया।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का संदेश: आदिवासी स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता
इस अवसर पर देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने एक विशेष संदेश जारी करते हुए मध्यप्रदेश सरकार के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि— “विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए हर नागरिक का स्वस्थ होना अनिवार्य है। सिकल सेल एनीमिया जैसी बीमारियों को समाप्त करना केवल एक स्वास्थ्य लक्ष्य नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय की दिशा में कदम है।” राष्ट्रपति ने यह भी रेखांकित किया कि भारत में यह बीमारी विशेष रूप से जनजातीय समुदायों में पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है, जो दशकों से उपेक्षा और जानकारी के अभाव में गंभीर कष्ट झेलते रहे हैं। उन्होंने राष्ट्रीय सिकल सेल मिशन को दूरदर्शी पहल करार देते हुए कहा कि— “2047 तक इस बीमारी से देश को मुक्त करना एक ऐसा मिशन है जिसमें सरकार, समाज और नागरिक तीनों की एकजुट भूमिका आवश्यक है।”

जनजातीय क्षेत्रों में उम्मीद की किरण
भारत के कई आदिवासी बहुल राज्यों—जैसे मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा और महाराष्ट्र—में सिकल सेल एनीमिया एक मूक महामारी बन चुकी है। यह बीमारी लाल रक्त कणों की आकृति में विकृति के कारण होती है, जिससे ऑक्सीजन का संचार बाधित होता है और व्यक्ति को बार-बार गंभीर दर्द, संक्रमण और अंग विकृति का सामना करना पड़ता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इसका इलाज जितना चिकित्सा पर आधारित है, उससे कहीं अधिक सामाजिक जागरूकता और समय पर जांच पर निर्भर है। इसी संदर्भ में बड़वानी का यह आयोजन पूरे देश के लिए रोल मॉडल बन सकता है।

सामूहिक भागीदारी ही समाधान की कुंजी
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी राष्ट्रपति के संदेश को दोहराते हुए कहा— “जब तक अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाएं नहीं पहुँचतीं, तब तक कोई भी मिशन अधूरा है। सिकल सेल जैसी बीमारी को मिटाना केवल स्वास्थ्य मंत्रालय का दायित्व नहीं, बल्कि पूरे समाज की साझा जिम्मेदारी है।” मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि आने वाले वर्षों में राज्य सरकार प्रत्येक जिले में सिकल सेल निदान केंद्रों की स्थापना करेगी। यहाँ मरीजों को मुफ्त दवाएं, परामर्श, और मानसिक स्वास्थ्य सहायता जैसी सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।

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सिकल सेल मिशन: अब तक की उपलब्धियां और आगे की राह
राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया मिशन की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2023 में की थी।
इस मिशन के अंतर्गत अब तक—

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  1. 1 करोड़ से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है।
  2. 400 से अधिक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को सिकल सेल पहचान एवं परामर्श सुविधा से जोड़ा गया है।
  3. डिजिटल हेल्थ रिकॉर्डिंग की शुरुआत की गई है ताकि हर मरीज की जानकारी सुरक्षित और सुलभ रहे।
  4. और अब मध्यप्रदेश जैसे राज्य इस दिशा में राज्य स्तरीय मॉडलों के साथ आगे आ रहे हैं।
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