ईरान-इजरायल टकराव के बीच अमेरिका की एंट्री: ईरान की परमाणु साइट्स पर हमला

ईरान-इजरायल संघर्ष में अमेरिका ने खुलकर दखल देते हुए ईरान की तीन परमाणु साइट्स पर हवाई हमला किया। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे ‘पूर्ण सफलता’ बताया और चेतावनी दी कि अगर ईरान ने शांति नहीं अपनाई, तो अगला हमला और भयावह होगा। UN ने गंभीर नतीजों की आशंका जताई है।

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विशेष रिपोर्ट | न्यूज़ रीइमेजिन्ड

12 जून 2025 की तारीख शायद इतिहास में दर्ज हो जाएगी। दुनिया ने एक ऐसे घटनाक्रम को देखा, जहां दो देशों की लड़ाई में एक महाशक्ति की एंट्री ने वैश्विक शांति को हिला कर रख दिया। ईरान और इज़राइल के बीच छिड़ी लड़ाई में तीसरा चेहरा बना अमेरिका, जिसने एक निर्णायक और विनाशकारी कदम उठाते हुए ईरान पर मिसाइलें दाग दीं। इस कार्रवाई के बाद यह सवाल गहराता जा रहा है — क्या यह तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत है?  ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनावों के बीच अमेरिका ने ऐसा कदम उठा लिया है, जिससे वैश्विक राजनीति में भूचाल आ गया है।

 तीन परमाणु अड्डों पर अमेरिका का हमला
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आधिकारिक रूप से पुष्टि की है कि अमेरिकी लड़ाकू विमानों ने ईरान की तीन प्रमुख परमाणु स्थलों—फोर्डो, नतांज और इस्फहान—पर सफलतापूर्वक हवाई हमले किए हैं। उन्होंने कहा कि सभी विमान सुरक्षित लौट चुके हैं और “हमारे महान योद्धाओं” को बधाई दी। ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर लिखा, “हमने दुनिया के सबसे कठिन टारगेट्स पर हमला किया और सफलता पाई। अब समय है कि ईरान शांति की ओर कदम बढ़ाए।”

 क्या अमेरिका खुलकर इजरायल के साथ है?
इस कदम को सीधे-सीधे इजरायल के समर्थन के रूप में देखा जा रहा है, जो वर्षों से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने की कोशिश में लगा है। अमेरिका के इस हस्तक्षेप ने यह संकेत दिया है कि अब वह मूकदर्शक नहीं बना रहेगा। हालांकि, ट्रंप ने अपने पिछले चुनावी वादों में यह कहा था कि वह अमेरिका को ‘मध्य-पूर्व की युद्ध राजनीति’ से बाहर निकालेंगे। लेकिन वर्तमान हालात ने उनकी रणनीति को पूरी तरह पलट दिया है।

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 48 घंटे पहले था कूटनीति का संदेश
हैरान करने वाली बात यह है कि इस हमले से ठीक 48 घंटे पहले ही ट्रंप ने संकेत दिया था कि अमेरिका राजनयिक हल तलाशने को प्राथमिकता देगा। उन्होंने कहा था, “अगर दो सप्ताह में बातचीत की कोई गुंजाइश बनी तो हम सैन्य कार्रवाई से बचेंगे।” परंतु इस बयान के महज दो दिन बाद, उन्होंने युद्ध का बिगुल बजा दिया। इसके पीछे माना जा रहा है कि गुप्त वार्ताएं विफल हो गईं और अमेरिकी रणनीति ने अब सैन्य दबाव को चुना।

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 हमले के पीछे क्या थी रणनीति?
विशेषज्ञ मानते हैं कि अमेरिका का उद्देश्य ईरान की परमाणु क्षमता को जड़ से खत्म करना है। ट्रंप ने अपने राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा, “ईरान पिछले 40 वर्षों से पूरे मिडिल ईस्ट को धमका रहा था। आज, हमने उस खतरे की जड़ पर वार किया है।” उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर ईरान ने जवाबी कार्रवाई की, तो अमेरिका का अगला हमला और ज्यादा विनाशकारी होगा। ट्रंप ने कहा, “ये सिर्फ शुरुआत है, अभी कई लक्ष्य बाकी हैं।”

इजरायली पीएम नेतन्याहू को धन्यवाद
ट्रंप ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को खुलकर धन्यवाद दिया और कहा, “हमने एक बेहतरीन टीम की तरह काम किया, जैसा पहले कभी नहीं हुआ।” ट्रंप ने यह भी बताया कि इजरायली सेना की भूमिका इस पूरे ऑपरेशन में अहम रही। अमेरिका के इस कदम के बाद संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि, “यह संघर्ष अब नियंत्रण से बाहर हो सकता है, जिससे पूरी दुनिया को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।” गुटेरेस ने सभी पक्षों से राजनयिक समाधान की अपील करते हुए कहा कि “अब समय है कि हम विनाश की ओर नहीं, शांति की दिशा में कदम बढ़ाएं।”

अमेरिका की सीधी चेतावनी: अब कोई समझौता नहीं!
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बीते सप्ताह खुली चुनौती देते हुए कहा था कि यदि ईरान युद्ध विराम नहीं करता, तो अमेरिका पूरी सैन्य ताकत से उसे जवाब देगा। ट्रंप की इस चेतावनी को पहले तो एक रणनीतिक दबाव माना गया, लेकिन 15 दिन की मियाद खत्म होने से पहले ही वॉशिंगटन ने हमला बोल दिया। व्हाइट हाउस से जारी बयान में ट्रंप ने कहा — “ईरान को कई बार अवसर दिया गया, लेकिन वे अड़े रहे। कूटनीतिक प्रयास असफल रहे, इसलिए हमें परमाणु खतरे को जड़ से खत्म करना पड़ा।”

ईरान पर हमला: क्या तीसरे महायुद्ध की दस्तक?
अमेरिका ने ईरान की तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर हमला किया, जिसे ट्रंप ने “पूर्ण विनाश” कहा। ट्रुथ सोशल पर ट्रंप का दावा था: “हमने ईरान की सभी न्यूक्लियर साइट्स को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया है। अब ईरान के पास परमाणु भविष्य नहीं है।” लेकिन ट्रंप के इस कथन ने शांति की आशा के बजाय दुनिया को और ज्यादा डर में धकेल दिया है। चीन, रूस, तुर्की, और यूरोपीय संघ की तरफ से अमेरिका की कार्रवाई की आलोचना तेज हो गई है।

 सोशल मीडिया पर महायुद्ध की चिंता
ट्विटर (अब एक्स) और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर हजारों अमेरिकी नागरिकों और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों ने आशंका जताई कि ट्रंप की कार्रवाई तीसरे विश्व युद्ध की ओर एक कदम हो सकती है। एक यूज़र ने लिखा: “अगर दुनिया के सबसे घातक बम तीन बार गिराए जाएं और फिर कहा जाए कि ‘अब शांति है’, तो यह एक भयानक विडंबना है।” दूसरे यूजर ने पूछा: “क्या ट्रंप ने सचमुच विश्व युद्ध का बिगुल बजा दिया है? क्या हम इतिहास की सबसे भयानक त्रासदी के कगार पर हैं?”

काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस के वरिष्ठ विश्लेषक रे टेकेह के अनुसार, “अमेरिका की यह कार्रवाई मध्य-पूर्व की राजनीति में एक नए दौर की शुरुआत है। इस कदम ने ईरान को मजबूर कर दिया है कि वह अपनी रक्षा नीति को दोबारा परिभाषित करे।” विशेषज्ञों का मानना है कि यह हमला अमेरिका और ईरान के बीच टकराव की शुरुआत नहीं, बल्कि एक दीर्घकालिक सैन्य संघर्ष का पहला अध्याय हो सकता है। यदि ईरान जवाबी हमला करता है, तो संघर्ष की लपटें पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले सकती हैं। अमेरिका ने इस कार्रवाई को “सुरक्षा के लिए आवश्यक” बताया है। ट्रंप का यह भी कहना है कि “अगर ईरान समझौते की मेज पर लौटे, तो हम बातचीत को तैयार हैं। लेकिन अब तक की कार्रवाइयों ने दिखा दिया है कि ईरान सिर्फ धमकियों से ही समझता है।” हालांकि, आलोचकों का कहना है कि ट्रंप यह कदम 2026 के राष्ट्रपति चुनाव से पहले ‘देशभक्ति और शक्ति प्रदर्शन’ के तहत उठा रहे हैं।

B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स की तैनाती
खबरों के अनुसार, इस हवाई हमले में अमेरिका ने अपने अत्याधुनिक B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स का इस्तेमाल किया जो बिना रडार पर दिखे दुश्मन के क्षेत्र में घुसकर सटीक हमला करने में सक्षम हैं। भारतीय समयानुसार यह हमला रविवार रात को हुआ और कुछ ही घंटों में अमेरिका ने मिशन को पूरा कर लिया। अब तक ईरान सरकार की तरफ से इस हमले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन आशंका जताई जा रही है कि तेहरान जल्द ही जवाबी कार्रवाई कर सकता है। ईरान के समर्थक गुटों जैसे हिजबुल्ला या हौथी विद्रोही समूहों की तरफ से अमेरिका या इजरायल के ठिकानों पर हमले की संभावना बढ़ गई है।

अगला कदम क्या हो सकता है?
फिलहाल ईरान की तरफ से प्रत्यक्ष सैन्य प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन उसके राजनयिक सूत्रों ने कहा है कि यह हमला “युद्ध की घोषणा” है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय मध्य-पूर्व में नए युद्ध के खतरे को लेकर सतर्क है। क्या यह संकट वैश्विक महायुद्ध की ओर बढ़ेगा या एक नया कूटनीतिक समाधान निकलेगा, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा। परंतु इतना तय है कि दुनिया अब पहले जैसी नहीं रह गई है। डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिया है कि अगर ईरान ने संयम नहीं दिखाया, तो अमेरिका उसके अन्य रणनीतिक ठिकानों को भी चंद मिनटों में तबाह कर सकता है। उन्होंने कहा, “हमारे पास ऐसी क्षमताएं हैं जिन्हें दुनिया ने अब तक देखा नहीं है।”ईरान-इजरायल संघर्ष ने अब अमेरिका के हस्तक्षेप से वैश्विक संकट का रूप ले लिया है। जहां एक ओर ट्रंप इसे सैन्य सफलता बता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर संयुक्त राष्ट्र और कई देशों को इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है। शांति और युद्ध की यह रस्साकशी किस दिशा में जाएगी, यह आने वाले दिनों में तय होगा।

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