इज़्ज़त के नाम पर क़त्ल: मुरैना में दादा ने पोती को उतारा मौत के घाट

मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में एक ऐसी दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने समाज और रिश्तों की जड़ों को झकझोर कर रख दिया है। यह कहानी एक दादा और उसकी पोती की नहीं, बल्कि उस समाज की है जहाँ ‘इज्ज़त’ के नाम पर खून बहाना अब भी एक स्वीकृत परंपरा मानी जाती है। घटना बागचीनी थाना क्षेत्र के बदरपुरा गांव की है। यहां की रहने वाली मलिश्का (काल्पनिक नाम) अपने जीवन को अपने ढंग से जीना चाहती थी। वो एक युवक से प्रेम करती थी, लेकिन युवक की जाति भिन्न थी — यही बात उसकी मौत का कारण बन गई।

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 इज्ज़त के नाम पर लिया गया खौफनाक फैसला
मलिश्का अपने गांव के ही एक युवक के प्रेम में थी, लेकिन जातीय दीवारों ने उनके रिश्ते को अस्वीकार्य बना दिया। परिवार को जब इस प्रेम प्रसंग की जानकारी मिली, तब उन्होंने मलिश्का को समझाने की कोशिश की, मगर वह अपने फैसले पर अडिग रही। यह बात मलिश्का के दादा, सिरनाम सिंह, को नागवार गुजरी। गांव में सम्मान और सामाजिक छवि को लेकर बेहद सजग रहने वाला यह बुज़ुर्ग, अपनी पोती के प्रेम को परिवार की “बदनामी” मान बैठा। उसे लगने लगा कि यदि यह संबंध आगे बढ़ा, तो गांव में उसका सिर झुक जाएगा। इसी सोच ने सिरनाम को दरिंदगी की उस हद तक पहुंचा दिया, जहाँ इंसानियत भी शर्मिंदा हो जाए। malishka and grandfather Morena इज़्ज़त के नाम पर क़त्ल: मुरैना में दादा ने पोती को उतारा मौत के घाट

 योजना बना कर की गई हत्या
सिरनाम ने एक दिन मलिश्का को यह कहकर गांव के बाहर मुख्य सड़क पर बने यात्री प्रतीक्षालय के पास बुलाया कि उसे कुछ जरूरी बातें करनी हैं। मलिश्का को भनक तक नहीं लगी कि जो दादा उसे बचपन से गोद में उठाता था, वही आज उसके जीवन का अंत करने वाला है। वहाँ पहुंचते ही सिरनाम ने बेहद नजदीक से तीन गोलियां चलाईं — दो सिर में और एक गले के पास। गोलियों की आवाज़ सुनकर आसपास के लोग पहुंचे, लेकिन तब तक मलिश्का ने दम तोड़ दिया था। सिरनाम वहीं से मौके से भाग गया और एक नई कहानी रचने की तैयारी में लग गया।

 हत्या को छुपाने के लिए बुनी गई कहानी
सिरनाम ने पुलिस को बताया कि गांव के एक व्यक्ति के साथ उसका लंबे समय से जमीन को लेकर विवाद चल रहा है। उसने आरोप लगाया कि उसी शख्स ने उसकी पोती की हत्या करवाई, ताकि वो उसे मानसिक रूप से तोड़ सके और जमीन का कब्जा ले सके। पुलिस को शुरुआत में मामला संपत्ति विवाद का ही लगा, लेकिन जब उन्होंने परिवार के अन्य सदस्यों से पूछताछ शुरू की, तो कहानी में कई विरोधाभास नजर आए। मलिश्का के पिता ने रिपोर्ट दर्ज कराते समय अपने बयान कई बार बदले, जिससे पुलिस को शक हुआ कि मामला कुछ और है।

 सच उगलवाने में पुलिस को लगी मशक्कत
पुलिस ने जब सख्ती से पूछताछ की तो पूरा सच सामने आया। मलिश्का के पिता ने आखिरकार मान लिया कि उसकी बेटी की हत्या उसके दादा, यानी सिरनाम सिंह ने की थी। वजह? बस इतनी कि बेटी ने दूसरी जाति के लड़के से प्रेम कर लिया था। इसके बाद पुलिस ने सिरनाम सिंह को हिरासत में ले लिया और लगातार पूछताछ जारी है। घटना में शामिल होने या जानकारी छुपाने के आरोप में परिवार के अन्य सदस्यों को भी हिरासत में लिया गया है।

जातीय सोच और पितृसत्ता का विष
यह घटना सिर्फ एक हत्या की कहानी नहीं है, बल्कि उस सामाजिक सोच का पर्दाफाश है जो अब भी पितृसत्तात्मक परंपराओं और जातीय श्रेष्ठता के नाम पर बेटियों की जिंदगी को कुचल देती है। मलिश्का के साथ यही हुआ — उसने अपनी जिंदगी का चुनाव करने की कोशिश की, लेकिन समाज और परिवार ने उसे यह आज़ादी नहीं दी। गांववालों से मिली जानकारी के अनुसार, मलिश्का का पहले अपने चाचा के बेटे से भी संबंध था, जो कि उसकी ही जाति का था। उस समय परिवार ने कोई विरोध नहीं किया, बल्कि रिश्ते को स्वीकार ही किया गया। लेकिन जैसे ही उसने गांव की सीमा के बाहर और जाति के बंधन को पार करने की कोशिश की — वो ‘इज्जत’ के नाम पर मौत की हकदार बना दी गई।

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समाज के लिए सवाल

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  • यह घटना हमें कई गंभीर सवालों के साथ छोड़ती है:
  • क्या किसी को अपनी पसंद से प्रेम करने की आज़ादी नहीं होनी चाहिए?
  • कब तक “इज्जत” के नाम पर बेटियों की जान ली जाती रहेगी?
  • क्या जाति, सम्मान और परंपरा जैसे शब्दों को मानवता से ऊपर रखा जाएगा?

सवाल यह भी है कि ऐसी घटनाओं पर कानून की सख्ती कब असर दिखाएगी? ऑनर किलिंग को लेकर देश में कानून तो हैं, पर क्या उनका सही क्रियान्वयन हो पा रहा है?

 अंत में…
मलिश्का की हत्या, समाज के उस चेहरे को उजागर करती है जो आज के दौर में भी पीछे की तरफ देखता है। यह खबर एक अलार्म है — बदलाव की जरूरत का, सोच की नई दिशा का, और इंसानियत के पक्ष में खड़े होने का।

इस दर्दनाक घटना के बाद केवल एक ही उम्मीद बाकी है — कि मलिश्का की मौत व्यर्थ न जाए और समाज इस घटना से कुछ सीखे। प्रेम कोई अपराध नहीं है, और किसी की जान लेना कभी इज्ज़त नहीं हो सकता।
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