उज्जैन में दिखा 56 लोगों की मौत का गुनहगार, शादी में शामिल होने आया आतंकी शफीक अंसारी
गुजरात में 2008 के श्रृंखलाबद्ध बम धमाकों का दोषी शफीक अंसारी विशेष पैरोल पर उज्जैन पहुंचा है। 56 लोगों की जान लेने वाले इस अपराधी की सुरक्षा में गुजरात और मध्य प्रदेश पुलिस की टीमें तैनात हैं। वह पारिवारिक शादी में शामिल होने आया है।

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ब्लास्ट केस का कुख्यात चेहरा: शफीक अंसारी फिर उज्जैन में मौजूद, पुलिस हाई अलर्ट पर
2008 में गुजरात की राजधानी अहमदाबाद की दोपहर तब दहल उठी थी, जब महज़ कुछ घंटों के भीतर 21 सीरियल बम धमाके हुए थे। इन धमाकों ने न सिर्फ 56 लोगों की जान ली, बल्कि देश को आतंक की एक काली रात में डुबो दिया। उस घटना के पीछे जिन चेहरों को जिम्मेदार ठहराया गया, उनमें से एक नाम था—शफीक अंसारी। आज वही दोषी एक बार फिर चर्चा में है, क्योंकि वह पैरोल पर उज्जैन पहुंच चुका है।
कौन है शफीक अंसारी?
शफीक अंसारी, मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले का रहने वाला है और साल 2008 के अहमदाबाद बम धमाकों में उसकी भूमिका साबित हो चुकी है। गुजरात पुलिस की बड़ी जांच में सामने आया कि वह इंडियन मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों से जुड़ा हुआ था और विस्फोटों की साजिश रचने, सामग्री पहुंचाने और नेटवर्किंग जैसे कामों में सक्रिय रहा था। साल 2022 में एक विशेष अदालत ने शफीक अंसारी सहित 10 अन्य दोषियों को आजन्म कारावास की सजा सुनाई थी, जबकि उज्जैन के ही महिदपुर निवासी सफदर नागौरी समेत 38 दोषियों को मृत्युदंड दिया गया। ये वो केस था जिसने देशभर में एक मिसाल कायम की कि कैसे न्याय व्यवस्था ने आतंकियों को सख्त सजा देकर एक मजबूत संदेश दिया। शफीक को गुजरात की जेल से अदालत के आदेश पर पारिवारिक विवाह समारोह में शामिल होने के लिए पैरोल मिली है। बताया गया कि उसके भाई की बेटी की शादी है, और इसी कारण से उसे कुछ दिनों के लिए छोड़ा गया है। रविवार को गुजरात पुलिस का विशेष सुरक्षा दस्ता उसे लेकर उज्जैन पहुंचा। इस दस्ते में दो एसीपी, दो टीआई, और 12 प्रशिक्षित पुलिसकर्मी शामिल थे। इसके अतिरिक्त, उज्जैन पुलिस ने भी सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए हैं। शफीक की मूवमेंट और ठहरने की जगह को लेकर प्रशासन ने पूरी सतर्कता बरती है।
सुरक्षा के घेरे में उज्जैन
यह कोई पहली बार नहीं है जब शफीक उज्जैन आया हो। सितंबर 2024 में भी उसे पारिवारिक कारणों से पैरोल मिली थी, और तब भी सुरक्षा के लिए भारी पुलिसबल तैनात किया गया था। उस वक्त भी पुलिस ने उसके हर कदम पर निगरानी रखी थी और उसे किसी भी प्रकार की सार्वजनिक गतिविधियों से दूर रखा गया था। इस बार भी, जैसे ही गुजरात पुलिस शफीक को लेकर शहर में दाखिल हुई, स्थानीय पुलिस ने पहले से ही सुरक्षा घेरे तैयार कर दिए थे। उसकी उपस्थिति को लेकर शहर के नागरिकों में चिंता भी देखी गई, और प्रशासन ने आश्वस्त किया कि शांति व्यवस्था भंग नहीं होने दी जाएगी।
क्यों दी जाती है पैरोल?
पैरोल एक कानूनी प्रक्रिया है जिसके तहत सज़ा काट रहा व्यक्ति कुछ तय समय के लिए विशेष परिस्थितियों में बाहर आ सकता है। इसमें जेल प्रशासन और अदालत की अनुमति ज़रूरी होती है। परिवार में शादी, अंतिम संस्कार, या अन्य गंभीर कारणों से यह राहत दी जाती है। हालांकि, यह सख्त निगरानी में होती है और यदि कोई उल्लंघन हो, तो पैरोल को तत्काल रद्द कर दोषी को वापस जेल भेजा जा सकता है। कई नागरिकों ने सोशल मीडिया और स्थानीय प्लेटफॉर्म पर सवाल उठाए हैं कि आतंकी गतिविधियों में लिप्त व्यक्ति को पैरोल क्यों दी गई? हालांकि, कानून के मुताबिक हर दोषी को कुछ बुनियादी मानवीय अधिकार मिलते हैं। प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि शफीक केवल समारोह में सीमित समय के लिए रहेगा और किसी भी अन्य गतिविधि में शामिल नहीं होगा।
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