Vadodra News: झूठी बीमारी और यूनानी इलाज के नाम पर 25 लाख की ठगी, बीमारी की आड़ में दंपति को बनाया शिकार

वडोदरा में यूनानी चिकित्सा के नाम पर एक दंपति से 25 लाख रुपये की ठगी का मामला सामने आया है। डॉक्टर वारसी ने बीमारी खत्म करने के झूठे दावे किए और महंगी दवाएं बेचकर ठगों संग मिलकर रकम वसूली। पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार कर जांच शुरू कर दी है।

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gujrat news5 Vadodra News: झूठी बीमारी और यूनानी इलाज के नाम पर 25 लाख की ठगी, बीमारी की आड़ में दंपति को बनाया शिकार
वडोदरा में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां यूनानी चिकित्सा और झाड़-फूंक की आड़ में एक प्रतिष्ठित निजी कंपनी के अधिकारी को 25 लाख रुपये की ठगी का शिकार बना लिया गया। यह ठगी एक ऐसी बीमारी के बहाने की गई, जो शायद थी ही नहीं, और जिसका इलाज झूठे चमत्कारों और महंगे इलाज के नाम पर किया गया।

ठगी की शुरुआत: एक संयोग, जो साज़िश निकला
घटना तब शुरू हुई जब अधिकारी की पत्नी एक दिन बाजार से लौट रही थीं, तभी रास्ते में राजू नामक एक व्यक्ति से उनकी मुलाकात हुई। राजू ने बड़ी चालाकी से कहा कि उसे भी उनके पति जैसी ही त्वचा संबंधी बीमारी (सोरायसिस) थी, जिसे उसने एक यूनानी डॉक्टर ‘डॉ. वारसी’ से ठीक कराया है। उस व्यक्ति की बातों से प्रभावित होकर महिला ने डॉक्टर से संपर्क करने का निर्णय लिया।

जादू या झांसा? डॉक्टर का ढोंग
डॉ. वारसी नामक व्यक्ति ने मरीज की पत्नी और अधिकारी से मुलाकात की और इलाज की प्रक्रिया में चमत्कारी झाड़-फूंक और यूनानी इलाज का हवाला देते हुए भरोसा दिलाया कि वह बीमारी जड़ से खत्म कर देगा। इलाज के दौरान डॉक्टर ने कथित तौर पर फूंक मारकर शरीर से “पित्त” निकालकर उसमें से “कीड़े” दिखाने का ड्रामा किया, जिससे दंपति पूरी तरह से विश्वास में आ गए।

 इलाज से ज्यादा कमाई का खेल
विश्वास में आने के बाद डॉक्टर ने इलाज के बहाने बार-बार मोटी रकम की मांग शुरू कर दी। कभी दवा के नाम पर, कभी विशिष्ट प्रक्रिया के नाम पर, तो कभी अन्य चिकित्सकीय जरूरतें बताकर लाखों रुपये ऐंठे गए। पीड़ितों के अनुसार, कुल मिलाकर डॉक्टर वारसी ने 25 लाख रुपये तक वसूल लिए। इनमें 5 लाख की यूनानी दवाएं नगरवाडा स्थित एक दुकान से मंगाई गई थीं, जो बाद में नकली पाई गईं। काफी समय बीतने के बाद भी बीमारी में कोई सुधार न होने पर दंपति को शक हुआ। उन्होंने गुप्त तरीके से डॉक्टर के बारे में जानकारी इकट्ठा की तो पाया कि वह न तो कोई पंजीकृत चिकित्सा विशेषज्ञ है और न ही उसके पास किसी प्रकार की प्रमाणिकता है। इसके बाद दंपति ने वडोदरा पुलिस थाने में डॉक्टर वारसी और उसके साथियों के खिलाफ ठगी की शिकायत दर्ज कराई।

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 पुलिस की कार्यवाही: दो गिरफ्तार, वारसी फरार
पुलिस ने गंभीरता से मामले की जांच शुरू की और तुरंत कार्रवाई करते हुए डॉक्टर वारसी के दो साथियों—साबिर हुसैन और आसिफ शेख—को गिरफ्तार कर लिया है। दोनों पर आरोप है कि उन्होंने वारसी के साथ मिलकर इलाज के नाम पर लोगों से ठगी की योजना बनाई और उसका क्रियान्वयन किया। पुलिस का कहना है कि मुख्य आरोपी वारसी फिलहाल फरार है और उसकी तलाश जारी है। अधिकारीगण ने विश्वास दिलाया है कि जल्दी ही वारसी को भी गिरफ्त में लेकर इस गिरोह के अन्य सदस्यों की भी पहचान की जाएगी।

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 यूनानी चिकित्सा या अंधविश्वास का जाल?
यह मामला एक बार फिर से यह सोचने पर मजबूर करता है कि कैसे आज भी शिक्षा और संसाधनों से संपन्न लोग अंधविश्वास और चमत्कारी इलाज के नाम पर ठगी का शिकार हो जाते हैं। यूनानी, होम्योपैथी या आयुर्वेद जैसी चिकित्सा पद्धतियों का दुरुपयोग कर कुछ लोग अवैध कमाई का जरिया बना चुके हैं।

 पुलिस की अपील: सतर्क रहें
पुलिस ने आम जनता से अपील की है कि किसी भी प्रकार के इलाज के लिए केवल पंजीकृत डॉक्टरों और अधिकृत चिकित्सा केंद्रों से ही संपर्क करें। कोई भी चिकित्सा दावा या चमत्कारी इलाज अगर संदिग्ध लगे, तो तुरंत पुलिस या स्वास्थ्य विभाग को सूचित करें। इस पूरे मामले ने यह स्पष्ट कर दिया कि ठगों ने अब अंधविश्वास और बीमारी का सहारा लेकर भोले-भाले नागरिकों की जेबों पर डाका डालने का नया तरीका ढूंढ निकाला है। आवश्यकता है जागरूकता की, ताकि कोई और इस तरह की साजिश का शिकार न बने।
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