रक्षक या तस्कर? CRPF जवान गांजे के साथ गिरफ्तार
सूरत की वराछा पुलिस ने दिल्ली स्थित रोहिणी जेल में तैनात एक CRPF जवान को 22 किलो गांजा और ₹2.27 लाख नकद के साथ गिरफ्तार किया। जवान ने भाई के कैंसर इलाज और कर्ज चुकाने के लिए नशा तस्करी का रास्ता चुना। पुलिस ने NDPS एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है।

सूरत, गुजरात – आमतौर पर हम वर्दी में मौजूद जवान को देश की सुरक्षा का प्रतीक मानते हैं – पर जब वही जवान नशे की तस्करी में पकड़ा जाए, तो समाज के विश्वास पर करारा प्रहार होता है। सूरत की वराछा पुलिस ने हाल ही में एक ऐसे ही चौंकाने वाले मामले का पर्दाफाश किया, जिसने सबको सन्न कर दिया। जब सूरत पुलिस की रूटीन पेट्रोलिंग टीम ने वराछा क्षेत्र में खांड बाजार से जाड़ा बावा टेकरी रोड पर एक संदिग्ध व्यक्ति को टोका, तब किसी को अंदाजा नहीं था कि पुलिस के सामने एक ऐसी कहानी खुलने वाली है जो हैरान भी करेगी और इंसानियत को झकझोर भी देगी। तलाशी में उस व्यक्ति के ट्रॉली बैग से 22 किलो 258 ग्राम गांजा और ₹2.27 लाख की नकदी बरामद हुई। लेकिन सबसे बड़ा झटका पुलिस को तब लगा, जब उस व्यक्ति की पहचान सामने आई—सीमांचल चेतन नाहक, दिल्ली के रोहिणी जेल में तैनात एक सेवारत CRPF कांस्टेबल। इससे पहले वह जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जैसे संवेदनशील इलाके में अपनी ड्यूटी निभा चुका था।
वर्दी में छुपी लाचारी की कहानी
CRPF जैसी प्रतिष्ठित सेवा में होने के बावजूद, सीमांचल गांजा तस्करी जैसा घिनौना कदम उठाने पर मजबूर क्यों हुआ? पुलिस पूछताछ में जो खुलासा हुआ, वह पैसे की हवस नहीं, परिवार को बचाने की बेबसी थी। सीमांचल ने बताया कि उसका छोटा भाई कैंसर से पीड़ित है और इलाज के लिए वह ₹15 लाख से ज्यादा कर्ज में डूब गया था। उसकी मासिक सैलरी ₹46,000 है, जिसमें से ₹26,000 सीधे होम लोन की EMI में कट जाते हैं। उसके पास न तो बचत थी और न ही मदद का कोई विकल्प। उसने कबूल किया कि उसने ओडिशा से ₹8,000 प्रति किलो के हिसाब से गांजा खरीदा था, और सूरत में उसे महंगे दामों पर बेचने की उम्मीद थी। इससे पहले भी वह एक बार गांजा लाकर बेच चुका था और उस वक्त उसने अपने सरकारी आईडी का गलत इस्तेमाल किया था। “मैं ये नहीं करना चाहता था… पर मेरे पास कोई और रास्ता नहीं था। मैं बस अपने भाई को बचाना चाहता था,” – सीमांचल (पुलिस के सामने)
ओडिशा से गांजा, सूरत में डिलीवरी – वर्दी का गलत इस्तेमाल
सीमांचल ने ओडिशा से गांजा ₹8,000 प्रति किलो की दर से खरीदा और उम्मीद की थी कि सूरत में इसे ऊंची कीमत पर बेच कर कुछ कर्ज चुका सकेगा। पहले भी उसने एक खेप सफलतापूर्वक पहुंचाई थी, CRPF ID का इस्तेमाल करके। लेकिन इस बार ग्राहक नहीं आया और पुलिस ने उसे रंगे हाथ धर लिया। 2015 से CRPF में सेवाएं दे रहे सीमांचल को हाल ही में असम ट्रांसफर किया गया था, लेकिन उसने अभी तक जॉइन नहीं किया था। इस बीच, अपने बेटे के मुंडन संस्कार के लिए अंबाजी जाते समय वह सूरत पहुंचा, ताकि गांजा पहुंचाकर थोड़ा कर्ज चुका सके। पर किस्मत ने साथ नहीं दिया।
वर्दी की गरिमा और कानून की सख्ती
पुलिस ने इस मामले को अत्यंत गंभीर मानते हुए गृह विभाग को जानकारी भेज दी है और सीआरपीएफ अधिकारियों से भी संपर्क किया गया है। साथ ही गांजे की पूरी सप्लाई चेन की जांच की जा रही है—किससे खरीदा गया, कहां पहुंचाया जाना था, और इसमें और कौन-कौन शामिल है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने सख्त लहजे में कहा, “वर्दी पहनना सम्मान की बात है। इसका इस्तेमाल अवैध गतिविधियों के लिए करना न केवल कानूनी अपराध है, बल्कि नैतिक विश्वासघात भी।”
जवान का अपराध या समाज की विफलता?
यह मामला केवल कानून-व्यवस्था से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह सवाल उठाता है कि क्या हम अपने देश के सच्चे सेवकों को पर्याप्त सहायता और सहारा दे पा रहे हैं? जब एक फौजी भाई के इलाज के लिए कर्ज के बोझ तले दब जाए, और उसे अपराध का रास्ता चुनना पड़े—तो कहीं न कहीं हमारा सिस्टम भी कटघरे में खड़ा होता है। सीमानचल की गिरफ्तारी के बाद उसके गांव और रिश्तेदारों में भी सदमे की लहर है। एक ओर वह एक भाई है जिसने अपने परिवार के लिए अपनी वर्दी और करियर दांव पर लगाया, तो दूसरी ओर एक कानून तोड़ने वाला जो समाज में जहर घोल रहा था।
अब आगे क्या?
सीमानचल को NDPS एक्ट के तहत गिरफ्तार कर लिया गया है और उसे न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। पुलिस अब इस पूरे नेटवर्क को खंगाल रही है जिसमें साजिशकर्ता, सप्लायर और खरीददार शामिल हो सकते हैं।
“CRPF की वर्दी सम्मान का प्रतीक है। उसका दुरुपयोग करना राष्ट्र और सेवा दोनों के साथ विश्वासघात है,” – वराछा पुलिस अधिकारी