एक्सिओम-4 मिशन: 41 साल बाद फिर भारत का अंतरिक्ष विजय अभियान, शुभांशु शुक्ला ने रचा इतिहास

भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने एक्सिओम-4 मिशन के तहत आईएसएस की ऐतिहासिक यात्रा शुरू की। पीएम मोदी ने कहा—140 करोड़ भारतीयों की उम्मीदें उनके साथ। शुक्ला बोले—यह मेरा नहीं, भारत के मानव अंतरिक्ष युग का आगाज़ है।

Axiom-4 Mission: India conquers space again after 41 years, Shubhanshu Shukla creates history

एक्सिओम-4 मिशन (Axiom-4 Mission) ने भारत को फिर से अंतरिक्ष की वैश्विक मंच पर गौरवान्वित कर दिया है। उत्तर प्रदेश के शुभांशु शुक्ला ने एक्सिओम-4 मिशन के तहत बुधवार को तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर रुख करते हुए नया इतिहास रच दिया। यह मिशन न केवल एक व्यक्ति की उपलब्धि है, बल्कि भारत के अंतरिक्ष अभियानों के लिए एक नई दिशा है। 1984 में राकेश शर्मा की ऐतिहासिक उड़ान के बाद यह पहला मौका है जब कोई भारतीय यात्री, स्वतंत्र भारत के झंडे के साथ, निजी अंतरिक्ष मिशन के जरिए अंतरिक्ष की यात्रा पर निकला है। एक्सिओम-4 का प्रक्षेपण आसान नहीं था। मौसम की अनिश्चितता और तकनीकी बाधाओं ने इसे कई बार रोका, लेकिन अंततः 25 जून को छठे प्रयास में यह सफर शुरू हो गया। यह मिशन अमेरिका की कंपनी एक्सिओम स्पेस द्वारा संचालित है, जिसमें भारत के साथ-साथ पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्रियों की भी भागीदारी है। मिशन की कमान संभाल रही हैं अनुभवी नासा अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन, जो दुनिया की सबसे ज्यादा अंतरिक्ष समय बिताने वाली महिला हैं। इनके साथ पोलैंड से स्लावोज़ उज़्नान्स्की-विस्नीव्स्की और हंगरी से टिबोर कापू भी सवार हैं।

शुभांशु का संदेश—यह शुरुआत है भारत की अंतरिक्ष युग की

रॉकेट के प्रक्षेपण के कुछ ही मिनटों बाद शुभांशु का वीडियो संदेश आया, जिसने पूरे देश का दिल छू लिया। उन्होंने कहा,
“मेरे प्यारे देशवासियों, 41 साल बाद हमने फिर से अंतरिक्ष में कदम रखा है। मैं अकेला नहीं हूं, मेरे साथ भारत है, मेरे कंधे पर तिरंगा है। यह मेरी नहीं, भारत की मानव अंतरिक्ष यात्रा की शुरुआत है।” उन्होंने युवा पीढ़ी से अपील की कि वे भी इस यात्रा का हिस्सा बनें और देश को नई ऊँचाइयों तक ले जाएं।

 मां की आंखों में आंसू, लेकिन दिल में गर्व

कानपुर रोड स्थित CMS ऑडिटोरियम में शुभांशु की मां आशा शुक्ला अपने बेटे की उड़ान को लाइव देख रही थीं। जैसे ही रॉकेट ने उड़ान भरी, उनके आंसू निकल आए—यह आंसू गर्व और उम्मीद के थे।
उन्होंने कहा, “मेरे बेटे ने देश का नाम रौशन किया है। हां, उसे मुझसे मिलने में वक्त लगेगा, लेकिन अब वो सिर्फ मेरा नहीं, पूरे देश का बेटा है।” इस समारोह में शुभांशु की बहनों, रिटायर्ड डिफेंस अफसरों, CMS के स्टाफ, और हज़ारों छात्रों ने भाग लिया। जैसे ही रॉकेट ने आसमान की ओर उड़ान भरी, लोगों ने ताली, नारे और यहां तक कि भांगड़ा कर अपनी खुशी जाहिर की।

 भारत के साथ खड़े हैं पोलैंड और हंगरी
यह मिशन सिर्फ भारत का नहीं है। पोलैंड और हंगरी के लिए भी यह क्षण विशेष है क्योंकि दोनों देशों के अंतरिक्ष यात्री दशकों बाद दोबारा अंतरिक्ष में कदम रख रहे हैं। यह वैश्विक सहयोग का प्रतीक है, जिसमें विज्ञान, तकनीक और मानवता एक साथ आगे बढ़ रही है।

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 प्रधानमंत्री मोदी का संदेश—140 करोड़ भारतीयों की आशा का प्रतिनिधि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर विशेष पोस्ट कर कहा,
“हम भारत, हंगरी, पोलैंड और अमेरिका के अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर रवाना हुए मिशन का स्वागत करते हैं। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की ओर रवाना हुए हैं, साथ में 140 करोड़ भारतीयों की शुभकामनाएं, सपने और भरोसा भी ले गए हैं।” उन्होंने आगे कहा कि यह मिशन न केवल भारत की अंतरिक्ष क्षमता को दर्शाता है, बल्कि यह देश के आत्मविश्वास और नवाचार का प्रतीक भी है। अब जबकि शुभांशु शुक्ला ISS की ओर बढ़ चुके हैं, भारत का अगला लक्ष्य अपने स्वदेशी ‘गगनयान’ मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम देना है। शुक्ला की यह यात्रा, भारत की तैयारी और वैश्विक स्तर पर सहभागिता का मजबूत उदाहरण है।

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