पहलगाम हमले में बड़ी कार्रवाई , पाकिस्तानी आतंकियों को पनाह को देने वाले दो गिरफ्तार
एनआईए ने पहलगाम आतंकी हमले में दो स्थानीय सहयोगियों को गिरफ्तार कर बड़ा खुलासा किया है। इन पर पाकिस्तानी आतंकियों को शरण, भोजन और मदद देने का आरोप है। हमले में 26 निर्दोष मारे गए थे। यह गिरफ्तारी आतंक के नेटवर्क की परतें उधेड़ने में मील का पत्थर मानी जा रही है।

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पाक प्रायोजित आतंक की नई परतें उधड़ीं: एनआईए ने पहलगाम हमले में दो स्थानीय मददगारों को दबोचा
शांत घाटियों में बसे कश्मीर का वह दर्दनाक दिन जब पहलगाम की वादियों में गोलियों की आवाज गूंज उठी थी, अब न्याय की ओर बढ़ता नजर आ रहा है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को इस बर्बर हमले की तह तक पहुंचने में बड़ी सफलता हाथ लगी है। एजेंसी ने दो स्थानीय लोगों को गिरफ्तार किया है, जिन पर आतंकियों को आश्रय देने और उनकी हर संभव मदद करने का आरोप है। यह कार्रवाई न केवल जांच को गति दे रही है, बल्कि आतंकी नेटवर्क की गहराई तक पहुंचने में भी मदद कर रही है। यह हमला 22 अप्रैल 2025 को हुआ था, जब पाकिस्तान से घुसपैठ कर आए तीन आतंकवादियों ने पहलगाम की बैसरन घाटी में पर्यटकों पर अंधाधुंध फायरिंग की थी। इस हमले में 26 बेगुनाह पर्यटकों की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि 16 अन्य जिंदगी और मौत की जंग लड़ते घायल पड़े थे। जांच में खुलासा हुआ कि हमलावरों ने धार्मिक पहचान के आधार पर चुन-चुनकर निर्दोष लोगों को निशाना बनाया था। यह नृशंसता आतंक की सबसे घिनौनी तस्वीर थी।
कौन हैं गिरफ्तार आरोपी?
एनआईए द्वारा पकड़े गए दोनों आरोपी परवेज अहमद जोठार और बशीर अहमद जोठार, मूलतः पहलगाम क्षेत्र के निवासी हैं। परवेज बटकोटे गांव का रहने वाला है, जबकि बशीर हिल पार्क इलाके में रहता है। जांच के दौरान इन दोनों ने कबूल किया कि हमले से पहले उन्होंने तीन पाकिस्तानी आतंकियों को अपने इलाके की एक झोपड़ी—स्थानीय भाषा में जिसे ‘ढोक’ कहा जाता है—में शरण दी थी। यहीं आतंकियों को भोजन, वस्त्र, मोबाइल संचार और जरूरी निर्देश भी उपलब्ध कराए गए थे।
लश्कर-ए-तैयबा की संलिप्तता
एनआईए ने पुष्टि की है कि हमले में शामिल तीनों आतंकी पाकिस्तानी नागरिक थे और उनका संबंध कुख्यात आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से था। यह वही आतंकी संगठन है जो इससे पहले भी भारत में कई हमलों को अंजाम दे चुका है, जिनमें मुंबई 26/11 जैसी घटनाएं शामिल हैं। परवेज और बशीर जैसे स्थानीय मददगार न केवल इन आतंकियों को भूगोलिक लाभ दिलाते हैं, बल्कि उनके छिपने, रणनीति बनाने और पलायन में भी अहम भूमिका निभाते हैं। घटना के प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, उस दिन पर्यटक परिवारों के साथ प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले रहे थे, जब अचानक स्वचालित हथियारों से लैस आतंकी सामने आए और ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। कुछ को सिर पर, कुछ को छाती में गोली मारी गई। बच्चों और महिलाओं तक को नहीं बख्शा गया। कई पर्यटक धार्मिक प्रतीकों जैसे तिलक, बिंदी या सिर पर साफा पहनने के कारण निशाने पर लिए गए। यह हमला महज एक आतंकी वारदात नहीं, बल्कि एक सुनियोजित सांप्रदायिक नरसंहार था।
एनआईए की जांच और कानूनी प्रक्रिया
दोनों आरोपियों को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम यानी UAPA की धारा 19 के तहत गिरफ्तार किया गया है। यह धारा ऐसे व्यक्तियों पर लागू होती है जो आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं, सहयोग करते हैं या उन्हें छिपाते हैं। यह मामला RC-02/2025/NIA/JMU के तहत दर्ज किया गया है, और आगे की जांच जारी है। एनआईए इस हमले के हर पहलू की सूक्ष्मता से जांच कर रही है—आतंकियों के भारत में प्रवेश से लेकर उनके संपर्क सूत्र, हथियारों की आपूर्ति, आर्थिक मदद और स्थानीय स्तर पर मिली सहायता तक। जांच का उद्देश्य है—पूरे नेटवर्क को उजागर कर न्याय की प्रक्रिया को मजबूत बनाना। इस गिरफ्तारी से साफ है कि केवल सीमापार से आने वाले आतंकी ही देश के लिए खतरा नहीं हैं, बल्कि देश के भीतर मौजूद गद्दार तत्व भी उतने ही जिम्मेदार हैं। परवेज और बशीर जैसे लोग पैसे, विचारधारा या दबाव में आकर राष्ट्रविरोधी ताकतों का मोहरा बन जाते हैं। इन्हें कानून के कठोरतम शिकंजे में लाना बेहद जरूरी है। यह मामला भारत की सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक चेतावनी है कि आतंकी संगठन अब स्थानीय संपर्कों के माध्यम से हमलों को और भी सुनियोजित तरीके से अंजाम दे रहे हैं। साथ ही, एनआईए की कार्यवाही यह भी दिखाती है कि यदि जांच एजेंसियों को पूरी स्वतंत्रता और संसाधन मिलें, तो वे आतंक के जड़ों तक पहुंच सकती हैं। इस कार्रवाई से आम जनता में यह विश्वास बढ़ा है कि अपराधी चाहे जितने भी शातिर हों, वे कानून से नहीं बच सकते। उम्मीद है कि आगे चलकर एनआईए और भी अधिक आरोपियों को गिरफ्तार करेगी और आतंक के इस घिनौने षड्यंत्र को पूरी तरह उजागर करेगी।
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