योग दिवस पर शिवराज सिंह चौहान का आत्मवृत्तांत, बोले – शरीर टूटा था, योग से जुड़ गया

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिल्ली के पूसा परिसर में योग कर संदेश दिया कि योग सिर्फ अभ्यास नहीं, जीवन की पुनर्रचना है। उन्होंने बताया कि एक गंभीर हादसे के बाद योग ने उन्हें दोबारा खड़ा किया और जीवन में ऊर्जा व शांति दी।

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नई दिल्ली। 11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर देश भर में जब सूर्य नमस्कार की लहर दौड़ रही थी, तब दिल्ली के प्रतिष्ठित पूसा परिसर में कुछ ऐसा हुआ जिसने योग की शक्ति को केवल शारीरिक अभ्यास से कहीं आगे दिखा दिया। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस अवसर पर न केवल योगासन किए, बल्कि एक ऐसा व्यक्तिगत अनुभव साझा किया जिसने वहाँ उपस्थित हर व्यक्ति को भीतर तक झकझोर दिया। पूसा के हरित वातावरण में आयोजित इस विशेष योग सत्र में कृषि मंत्रालय के अधिकारी, कर्मचारी और ‘लखपति दीदियां’ – यानि वे ग्रामीण महिलाएं जो आत्मनिर्भरता की राह पर बढ़ चुकी हैं – बड़ी संख्या में शामिल हुईं। कार्यक्रम की शुरुआत मंत्रोच्चार और दीप प्रज्वलन से हुई, जिसके बाद सामूहिक योगाभ्यास हुआ।

योग से वापसी की कहानी
अपने अनुभव साझा करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि जीवन में एक ऐसा मोड़ आया था जब उन्हें लगा कि शायद वह दोबारा चल नहीं पाएंगे। “एक भयानक दुर्घटना हुई थी। शरीर बुरी तरह जख्मी था। अस्पताल के बिस्तर पर पड़ा-पड़ा मैं सोचता था, क्या फिर कभी चल पाऊंगा? क्या दूसरों की तरह सामान्य जीवन जी पाऊंगा?” लेकिन फिर उन्होंने योग को अपनाया, और धीरे-धीरे शरीर के साथ-साथ मन की टूटन भी जुड़ने लगी। “योग ने मुझे फिर से खड़ा किया, मुझे गति दी, ऊर्जा दी। आज मैं चलता हूं, दौड़ता हूं, और किसी को देखकर नहीं लगता कि कभी मेरे शरीर ने जवाब दे दिया था।”

प्रधानमंत्री मोदी को दिया श्रेय
उन्होंने इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी विशेष धन्यवाद दिया। “अगर आज पूरी दुनिया योग की ओर आकर्षित हो रही है, तो उसका श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को जाता है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में योग को वैश्विक मान्यता दिलाने का जो अभियान चलाया, उसका परिणाम है कि आज 180 से अधिक देशों में योग दिवस मनाया जा रहा है।” शिवराज ने कहा कि प्रधानमंत्री ने योग को सिर्फ भारतीय विरासत नहीं रहने दिया, बल्कि उसे वैश्विक शांति और स्वास्थ्य का आधार बना दिया है।

योग: केवल शारीरिक नहीं, आध्यात्मिक विज्ञान
शिवराज सिंह चौहान ने योग को केवल शरीर को स्वस्थ रखने वाला माध्यम नहीं बल्कि मन और आत्मा की चिकित्सा बताया। “योग, शरीर, मन और आत्मा के बीच सामंजस्य का विज्ञान है। यह हमें संतुलन, स्थिरता और शांति प्रदान करता है।” उन्होंने आगे कहा कि योग केवल आसनों या प्राणायाम तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक जीवनशैली है, जो व्यक्ति को अपने भीतर झाँकने की प्रेरणा देता है। “हम केवल मांसपेशियों को नहीं खींचते, हम अपने विचारों को विस्तार देते हैं, आत्मा को शुद्ध करते हैं।”

योग हर घर की जरूरत
कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने यह भी कहा कि आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में जहाँ तनाव, चिंता और असंतुलन हर व्यक्ति के जीवन में प्रवेश कर चुके हैं, ऐसे समय में योग हर घर की आवश्यकता बन गया है। “अगर शरीर स्वस्थ नहीं होगा तो मन भी प्रसन्न नहीं रहेगा। और जब मन प्रसन्न नहीं रहेगा तो रिश्ते, करियर, समाज – सब प्रभावित होंगे। योग इस चक्र को तोड़ता है।” उन्होंने ‘सुख निरोगी काया’ की बात करते हुए कहा – “अगर आप चाहते हैं कि तन-मन प्रसन्न रहे, निर्णय लेने की शक्ति बढ़े, और आत्मा परमात्मा से जुड़ सके – तो योग ही एकमात्र मार्ग है। पूसा परिसर में शामिल लखपति दीदियों की सहभागिता को शिवराज सिंह चौहान ने ‘नई ग्रामीण क्रांति’ का प्रतीक बताया। “ये महिलाएं, जो कभी सीमित संसाधनों के बीच जूझती थीं, आज आत्मनिर्भर बनकर ना केवल अपने घर को चला रही हैं, बल्कि अब योग के माध्यम से अपने जीवन में संतुलन भी ला रही हैं।” इस पूरे कार्यक्रम का संदेश साफ था – योग कोई एक दिन की रस्म नहीं, बल्कि एक आंदोलन है। एक ऐसा अभियान जो हर भारतीय को शारीरिक, मानसिक और आत्मिक रूप से स्वस्थ बनाने की ओर प्रेरित करता है। शिवराज सिंह चौहान की व्यक्तिगत कहानी इस बात का प्रमाण है कि योग महज व्यायाम नहीं, बल्कि नवजीवन का वरदान है। उनका यह साक्षात्कार उन लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है जो जीवन में किसी भी चुनौती से जूझ रहे हैं।

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