पंजाब विधानसभा में पेश होगा ऐतिहासिक विधेयक, बेअदबी पर बनेगा फास्ट-ट्रैक कानून

पंजाब सरकार ने धार्मिक ग्रंथों और पूजा स्थलों की बेअदबी पर कड़ी सजा के लिए ऐतिहासिक विधेयक को मंजूरी दे दी है। अब ऐसे मामलों में दोषियों को उम्रकैद होगी, बिना पैरोल के। फास्ट-ट्रैक कोर्ट बनेंगे और जनता से भी अंतिम मसौदे पर राय ली जाएगी। कानून में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई गई है।

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पंजाब में अब ‘बेअदबी’ पर नहीं होगी रहम: आजीवन कारावास और बिना पैरोल होगी सज़ा, फास्ट-ट्रैक कोर्ट का भी ऐलान

पंजाब की राजनीति और धार्मिक संवेदनाओं के केंद्र में रहे ‘बेअदबी’ के मामलों पर अब सरकार ने बड़ा कदम उठा लिया है। मंगलवार को मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में हुई एक अहम कैबिनेट बैठक में एक ऐतिहासिक निर्णय लिया गया। धार्मिक ग्रंथों और पूजास्थलों की बेअदबी के मामलों में अब राज्य सरकार “जीरो टॉलरेंस” नीति अपनाने जा रही है। कैबिनेट ने एक ऐसे सख्त कानून को मंजूरी दी है, जिसमें जानबूझकर धार्मिक ग्रंथों या धार्मिक स्थलों का अपमान करने पर दोषी को आजीवन कारावास की सज़ा दी जाएगी। यही नहीं, कानून में यह भी सुनिश्चित किया गया है कि ऐसे अपराधियों को पैरोल तक की छूट नहीं मिलेगी।

बेअदबी पर अब ‘नो मर्सी’ पॉलिसी
अब तक पंजाब में बेअदबी को लेकर कोई ठोस और सख्त कानूनी ढांचा मौजूद नहीं था। हालांकि इस मुद्दे ने पिछले वर्षों में कई बार राजनीतिक भूचाल पैदा किया है – सड़कों पर विरोध, धार्मिक संगठनों का आक्रोश, और आम लोगों की गुस्साई प्रतिक्रिया इसका प्रमाण रहे हैं। ऐसे में अब सरकार ने लोगों की वर्षों पुरानी मांग को कानूनी शक्ल दे दी है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने साफ कहा – “धार्मिक आस्थाओं से खिलवाड़ करने वालों के लिए पंजाब की धरती पर कोई जगह नहीं है। अब अगर कोई व्यक्ति हमारे पवित्र ग्रंथों या पूजा स्थलों की बेअदबी करता है, तो उसे उम्रभर सलाखों के पीछे रहना होगा।”

बनेंगे विशेष फास्ट-ट्रैक कोर्ट
विधेयक में सिर्फ सजा का ही नहीं, बल्कि त्वरित न्याय का भी पूरा इंतज़ाम किया गया है। सरकार अब बेअदबी से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए स्पेशल फास्ट-ट्रैक कोर्ट स्थापित करेगी, ताकि पीड़ित पक्ष को सालों तक इंसाफ का इंतजार न करना पड़े। ये अदालतें समयबद्ध सुनवाई करेंगी और फैसले जल्दी सुनाएंगी। मुख्यमंत्री के चंडीगढ़ स्थित आवास पर बुलाई गई कैबिनेट बैठक में इस विधेयक को सर्वसम्मति से मंज़ूरी दी गई। इसे अब जल्द ही पंजाब विधानसभा में पेश किया जाएगा। माना जा रहा है कि प्रस्ताव पास होते ही पंजाब देश का पहला राज्य बन जाएगा जहां धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी पर इतनी सख्त सजा का कानून लागू होगा।

मान सरकार की सोच – ‘जनता पहले’
सीएम मान ने प्रेस को संबोधित करते हुए बताया कि यह कानून सिर्फ सरकार का फैसला नहीं, बल्कि पंजाब की सवा तीन करोड़ जनता की भावना है। “हमने मसौदा विधेयक तैयार कर लिया है, लेकिन इसे अंतिम रूप देने से पहले सभी धार्मिक संगठनों, अकादमिक विशेषज्ञों और सामाजिक प्रतिनिधियों से राय ली जाएगी,” मान ने कहा। उन्होंने यह भी साफ किया कि यह सिर्फ ‘सख्त कानून’ बनाने की कवायद नहीं है, बल्कि इसे पूरी न्याय प्रणाली से जोड़ा जाएगा ताकि दोषियों को किसी भी हालत में राहत न मिल सके। मान सरकार ने यह भी तय किया है कि विधेयक के अंतिम प्रारूप को आम जनता के बीच भी साझा किया जाएगा। इसके लिए विधानसभा में पेश करने के बाद एक ओपन फीडबैक विंडो खोली जाएगी, जहां लोग अपनी राय सरकार तक भेज सकेंगे। मुख्यमंत्री ने इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा बताया और कहा, “इस कानून का स्वरूप ऐसा होगा जो जनभावनाओं के साथ न्याय करे।”

राजनीतिक संकेत
विशेषज्ञों का मानना है कि यह विधेयक पंजाब की राजनीति में एक बड़ा मोड़ ला सकता है। जहां एक ओर आम आदमी पार्टी धार्मिक मामलों में सक्रिय नीति दिखा रही है, वहीं दूसरी ओर विपक्षी दलों पर दबाव बढ़ गया है। यह विधेयक न सिर्फ धार्मिक आस्था की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि आने वाले चुनावों में ‘धार्मिक भावनाओं के रक्षक’ के रूप में भगवंत मान सरकार की छवि को भी मजबूत करेगा। बेअदबी अब सिर्फ भावनाओं का मामला नहीं, बल्कि कानून का कड़ाई से पालन किया जाने वाला विषय बन चुका है। पंजाब में धार्मिक ग्रंथों का अपमान करने वालों को अब न माफी मिलेगी, न पैरोल – सिर्फ उम्रकैद।

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