दिल्ली व्यापारियों को राहत: अब होटल-रेस्टोरेंट संचालन के लिए नहीं लेना होगा पुलिस लाइसेंस
दिल्ली में होटल, रेस्टोरेंट और मनोरंजन व्यवसाय से जुड़े कारोबारियों को अब पुलिस से अलग लाइसेंस लेने की जरूरत नहीं होगी। बीजेपी सरकार ने 25 साल पुरानी मांग को पूरा करते हुए यह बाध्यता खत्म की। इससे व्यापारियों को बड़ा राहत मिलेगी और व्यवसाय करना पहले से कहीं अधिक सरल होगा।

- 25 साल बाद टूटी लाइसेंस की बेड़ियां, दिल्ली में आसान हुआ व्यापार
- कारोबारियों को मिली ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ की सौगात
- बीजेपी सरकार ने खत्म किया लाइसेंस का झंझ
दिल्ली के व्यापारिक जगत के लिए एक लंबे समय से प्रतीक्षित और ऐतिहासिक फैसला सामने आया है। होटल, रेस्टोरेंट, स्वीमिंग पूल, ऑडिटोरियम, गेम ज़ोन और मनोरंजन स्थलों के कारोबार से जुड़े उद्यमियों को अब दिल्ली पुलिस से अलग से लाइसेंस लेने की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है। यह फैसला न केवल 25 साल पुरानी मांग को पूरा करता है, बल्कि दिल्ली में व्यापार को सुगम बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम के रूप में देखा जा रहा है।
25 साल से लटकी थी यह मांग
यह मुद्दा 1997 के बहुचर्चित उपहार सिनेमा अग्निकांड के बाद सामने आया था, जब सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट ने व्यवसायिक इकाइयों के लिए अतिरिक्त पुलिस लाइसेंस को गैर-जरूरी करार दिया था। इसके बावजूद कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की सरकारों ने इस मसले पर किसी प्रकार की ठोस पहल नहीं की। परिणामस्वरूप दिल्ली के हजारों व्यवसायी अनावश्यक प्रशासनिक उलझनों में फंसे रहे।
बीजेपी सरकार ने आते ही लिया संज्ञान
फरवरी 2025 में सत्ता में आने के बाद दिल्ली की नई बीजेपी सरकार ने व्यापारिक वातावरण को सरल और सुगम बनाने की दिशा में तेजी से कदम उठाए। दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा के अनुसार, “सरकार ने सत्ता में आते ही इस मसले को उपराज्यपाल और केंद्र सरकार के समक्ष प्राथमिकता से रखा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की मंजूरी के बाद यह ऐतिहासिक बदलाव संभव हुआ।” वीरेंद्र सचदेवा ने इसे ‘ट्रिपल इंजन सरकार’ (केंद्र, राज्य और नगर निगम) की समन्वित कार्यशैली का प्रत्यक्ष लाभ बताया और कहा कि बीजेपी अपने चुनावी वादों को जमीनी स्तर पर उतारने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
अब नगर निगम और विभाग संभालेंगे जिम्मेदारी
इस बदलाव के तहत अब होटल, मोटल, रेस्टोरेंट, स्वीमिंग पूल, ऑडिटोरियम, मनोरंजन पार्क और वीडियो गेम पार्लर जैसी जगहों को संचालन के लिए दिल्ली पुलिस से लाइसेंस नहीं लेना होगा। यह अधिकार अब नगर निगम और संबंधित तकनीकी विभागों को सौंप दिया गया है। इससे लाइसेंस प्रक्रिया न सिर्फ सरल होगी, बल्कि भ्रष्टाचार, देरी और प्रशासनिक दबाव में भी भारी कमी आएगी। दिल्ली के कारोबारियों में इस फैसले को लेकर खासा उत्साह देखा जा रहा है। लंबे समय से सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने और लाइसेंस प्रक्रिया की जटिलताओं से परेशान व्यापारियों को अब राहत की सांस मिली है। एक होटल मालिक ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “पहले हमें दिल्ली पुलिस से NOC, लाइसेंस, वेरिफिकेशन जैसी तमाम कागजी कार्रवाई करनी पड़ती थी। अब ये सब नगर निगम के अंतर्गत आ गया है, जो अधिक व्यावसायिक अनुकूल है।”
‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ की दिशा में बड़ा कदम
इस निर्णय को दिल्ली में ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ इंडेक्स को सुधारने के नजरिए से एक महत्वपूर्ण पहल बताया जा रहा है। यह बदलाव विशेष रूप से उन नए उद्यमियों के लिए लाभकारी साबित होगा, जो होटल या मनोरंजन क्षेत्र में व्यवसाय शुरू करने की सोच रहे हैं। पहले प्रशासनिक पेचीदगियों की वजह से नए व्यवसायों की शुरुआत में देरी होती थी, लेकिन अब परिस्थितियाँ अनुकूल होंगी। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह फैसला दिल्ली में बीजेपी की साख को और मजबूत करेगा, खासकर व्यापारिक वर्ग में। यह वर्ग हमेशा से लाइसेंस, इंस्पेक्शन और पुलिस दबाव जैसी समस्याओं से जूझता रहा है। अब जब इन रुकावटों को हटाया गया है, तो बीजेपी को आगामी निकाय चुनावों और विधानसभा चुनावों में इसका लाभ मिल सकता है। दिल्ली में बीजेपी सरकार का यह निर्णय न सिर्फ प्रशासनिक सुधार का प्रतीक है, बल्कि यह सरकार की व्यापार-हितैषी नीति की भी पुष्टि करता है। इससे न केवल पुराने कारोबारियों को राहत मिलेगी, बल्कि नए उद्यमों को भी बढ़ावा मिलेगा। यह फैसला आने वाले समय में दिल्ली को एक स्मार्ट, व्यापारिक अनुकूल और निवेश के लिए आकर्षक गंतव्य बनाने में अहम भूमिका निभाएगा।