मुलायम सिंह के बेटे प्रतीक यादव ने दर्ज कराई 5 करोड़ की रंगदारी की एफआईआर!
समाजवादी पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव के छोटे बेटे प्रतीक यादव ने 5 करोड़ की रंगदारी मांगने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई है। मामला गंभीर धोखाधड़ी से जुड़ा है और यूपी की राजनीति में हलचल मचा रहा है। पुलिस जांच जारी है, जल्द हो सकते हैं बड़े खुलासे।

उत्तर प्रदेश की राजनीति एक बार फिर उबाल पर है, लेकिन इस बार वजह कोई चुनावी बयान या सियासी गठबंधन नहीं, बल्कि खुद समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के छोटे बेटे प्रतीक यादव से जुड़ा एक गंभीर मामला है। प्रतीक यादव ने लखनऊ के प्रतिष्ठित गौतमपल्ली थाने में एफआईआर दर्ज कराते हुए अपने ही पुराने परिचित पर 5 करोड़ रुपये की रंगदारी मांगने और धोखाधड़ी करने का सनसनीखेज आरोप लगाया है। प्रतीक यादव ने अपने आवेदन में साफ तौर पर कहा कि कृष्णानंद पांडे नामक व्यक्ति ने न सिर्फ उनसे करोड़ों की अवैध मांग की, बल्कि विश्वासघात करते हुए व्यक्तिगत और पारिवारिक रिश्तों का दुरुपयोग किया। इस मामले ने राजनीतिक गलियारों में बवंडर खड़ा कर दिया है, और सोशल मीडिया से लेकर सियासी मंचों तक हर ओर बस एक ही सवाल गूंज रहा है – यादव परिवार के भीतर आखिर क्या चल रहा है?
एफआईआर दर्ज होते ही सक्रिय हुई पुलिस
जैसे ही यह मामला गौतमपल्ली थाने में दर्ज हुआ, पुलिस हरकत में आ गई और तुरंत जांच शुरू कर दी गई। अधिकारियों के मुताबिक, पूरे घटनाक्रम की गहनता से जांच की जा रही है और सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए कानूनी प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा रहा है। हालांकि, अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि मामले में कई चौंकाने वाले खुलासे सामने आ सकते हैं।
राजनीतिक समीकरणों पर पड़ सकता है असर
यह घटना केवल एक पारिवारिक विवाद नहीं, बल्कि उस परिवार से जुड़ी है, जो दशकों से उत्तर प्रदेश की राजनीति का एक अहम चेहरा रहा है। ऐसे में यह मामला समाजवादी पार्टी की सार्वजनिक छवि पर भी असर डाल सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले समय में विपक्ष इसे मुद्दा बना सकता है और सत्तारूढ़ दल भी इसे भुनाने से पीछे नहीं हटेगा।यह मामला आम जनमानस में भी चर्चा का केंद्र बन चुका है। जहां कुछ लोग इसे राजनीतिक ड्रामा बता रहे हैं, वहीं कई लोग प्रतीक यादव के साहस की तारीफ कर रहे हैं कि उन्होंने पारिवारिक और सामाजिक दबावों के बावजूद कानूनी रास्ता चुना। अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि जांच क्या मोड़ लेती है और न्याय की डगर कहां तक पहुंचती है।