ईरान-इजराइल से भारतीयों की सुरक्षित घर वापसी, ऑपरेशन सिंधु से लौटे 1713 भारतीय नागरिक
ईरान और इजराइल में फंसे भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी जारी है। अब तक ऑपरेशन सिंधु के तहत 8 फ्लाइट्स से 1713 लोग लौट चुके हैं। लौटते वक्त एयरपोर्ट पर भावुक दृश्य देखने को मिल रहे हैं। सभी नागरिक भारत सरकार और प्रधानमंत्री मोदी का दिल से आभार व्यक्त कर रहे हैं।

दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर रविवार की रात कुछ अलग ही दृश्य था। कोई हाथ में तिरंगा लिए खड़ा था, तो कोई बेसब्री से अपनों को गले लगाने को आतुर। आंखों में आंसू, लेकिन होंठों पर “जय हिंद” के नारे। कारण था—ईरान और इजराइल में फंसे भारतीय नागरिकों की घर वापसी, जिसे सरकार ने ऑपरेशन सिंधु नाम देकर सफलतापूर्वक अंजाम दिया। देश और दुनिया के बीच चल रही तमाम उथल-पुथल के बीच भारत सरकार ने अपने नागरिकों को सुरक्षित वापस लाने का जो कार्य किया, उसने न केवल मानवता की मिसाल पेश की, बल्कि यह भी सिद्ध किया कि भारत अपने नागरिकों को कहीं भी असहाय नहीं छोड़ता। ईरान और इजराइल जैसे संवेदनशील इलाकों में हालात बिगड़ते ही केंद्र सरकार हरकत में आ गई। ऑपरेशन सिंधु के तहत अब तक 8 विशेष उड़ानों के माध्यम से 1713 भारतीयों की घर वापसी हो चुकी है। इनमें से 285 नागरिक एक फ्लाइट से और 311 लोग दूसरी फ्लाइट से रविवार की रात भारत पहुंचे। यह हर फ्लाइट उम्मीद और राहत का पैगाम लेकर आई। इनमें सबसे बड़ी संख्या जम्मू-कश्मीर के छात्रों की रही। उच्च शिक्षा के लिए विदेश गए ये युवा, हालात बिगड़ते ही बेहद चिंतित हो गए थे। लेकिन अब भारत लौटते ही उनका पहला संवाद यही था—”धन्यवाद प्रधानमंत्री जी, आपने हमें नई ज़िंदगी दी है।” दिल्ली, मुंबई, लखनऊ और अन्य शहरों के नागरिक भी इस मिशन का हिस्सा रहे। हर व्यक्ति एयरपोर्ट से बाहर निकलते समय ‘भारत माता की जय’, ‘वंदे मातरम्’ और ‘जय हिंद’ के नारों के साथ अपनी भावनाओं को जाहिर करता दिखा। इलाहाबाद की फातिमा जैसे यात्रियों ने बताया कि भारत सरकार ने सिर्फ वतन वापसी नहीं कराई, बल्कि ईरान में उनके रहने और खाने की भी पूरी व्यवस्था की गई। उन्होंने कहा, “हमने मुश्किलें देखी, लेकिन भारत सरकार की व्यवस्था ने हमें कभी असहाय नहीं महसूस कराया।” मुंबई के मार्शल ने तो सीधे कहा, “आज मैं गर्व से कह सकता हूं कि मैं एक भारतीय हूं। यह सरकार रात-दिन काम कर रही है।” दिल्ली के रजा और एएसएन जैदी ने विदेश मंत्रालय और एंबेसी के अधिकारियों को धन्यवाद देते हुए बताया कि दिन-रात की मेहनत से ही वे सुरक्षित अपने देश लौट पाए हैं।
ईरान से संपर्क और सहयोग
ईरान में भारतीय एंबेसी ने वहां की सरकार के साथ मिलकर विशेष समन्वय बनाया। एक समय ऐसा भी आया जब ईरान ने अपने हवाई क्षेत्र पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन भारतीय कूटनीति के प्रयासों से न केवल यह प्रतिबंध हटाया गया, बल्कि लगभग 1000 भारतीय नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकालने की अनुमति भी मिली। इनमें अधिकांश छात्र थे, जिन्हें तेहरान से माशहद लाकर वहां से चार्टर फ्लाइट्स के ज़रिए भारत भेजा गया। इन उड़ानों का संचालन ईरान की एयरलाइन माहान द्वारा किया गया। ईरान में भारतीय दूतावास के उप प्रमुख मोहम्मद जवाद हुसैनी ने इस प्रक्रिया को सफल बताया और संकेत दिया कि अगर ज़रूरत पड़ी तो और फ्लाइट्स चलाई जा सकती हैं। भारत सरकार की यह पहल सिर्फ एक रेस्क्यू ऑपरेशन नहीं, बल्कि एक वैश्विक संदेश भी है कि जब बात अपने नागरिकों की हो, तो भारत कभी पीछे नहीं हटता। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में विदेश मंत्रालय और एंबेसी ने यह साबित किया है कि संकट चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो, भारत अपने लोगों तक पहुंचना जानता है।
एकता, विश्वास और भरोसे की वापसी
हर फ्लाइट, हर आंख से गिरता आंसू, हर गले लगना, इस बात की गवाही दे रहा है कि वतन की मिट्टी में जो अपनापन है, वह किसी और देश में नहीं। संकट के समय जो सरकार, विदेश में फंसे नागरिकों को इस तरह वापस लाती है, वह सिर्फ एक प्रशासनिक तंत्र नहीं, बल्कि परिवार बन जाती है। आज जब देशभर के कोनों से लौटे ये नागरिक अपने घर पहुंच चुके हैं, तो उनके परिवार ही नहीं, पूरा देश यह कह रहा है—”भारत सिर्फ एक देश नहीं, यह एक भावना है।”