भारत-चीन रिश्तों में नया अध्याय लिखने चीन पहुंचे विदेश मंत्री जयशंकर, SCO के मंच से देंगे चीन को कूटनीतिक संदेश
चीन दौरे पर पहुंचे विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने उपराष्ट्रपति हान झेंग से मुलाकात कर संबंध सुधार की दिशा में कदम बढ़ाया। कैलाश यात्रा की बहाली और SCO बैठक में भागीदारी के जरिए दोनों देशों के बीच नए युग की शुरुआत की उम्मीद जताई जा रही है।

भारत-चीन रिश्तों में बर्फ पिघलने लगी? बीजिंग पहुंचे जयशंकर, कैलाश यात्रा से लेकर गलवान के घाव तक हुई बातचीत
बीजिंग की राजनीतिक गलियों में इस समय भारत की आवाज गूंज रही है। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर तीन दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर चीन की राजधानी बीजिंग पहुंचे हैं, और यह दौरा सिर्फ कूटनीतिक शिष्टाचार नहीं बल्कि रणनीतिक संदेशों का संप्रेषण भी है। चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग से हुई मुलाकात में न केवल बीते वर्षों की कड़वाहटों पर चर्चा हुई, बल्कि सहयोग के नए द्वार भी खुलने की संभावना बनी।
PM मोदी और शी जिनपिंग की कज़ान मुलाकात से बदला समीकरण
जयशंकर ने जोर देकर कहा कि भारत और चीन के संबंधों में बदलाव की शुरुआत अक्टूबर 2023 में रूस के कज़ान शहर में हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात से हुई थी। यह मुलाकात भले ही कैमरों से दूर हुई हो, लेकिन उसके प्रभाव अब अंतरराष्ट्रीय मंचों और द्विपक्षीय संवादों में स्पष्ट नजर आ रहे हैं। 2025 में भारत-चीन राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ भी इस पूरे संवाद को एक विशेष ऐतिहासिक संदर्भ दे रही है।
कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली – संबंधों में ‘धार्मिक डिप्लोमेसी’ की नई शुरुआत
जयशंकर ने चीन सरकार द्वारा कैलाश मानसरोवर यात्रा को पुनः बहाल किए जाने पर भारत की ओर से आभार जताया। उन्होंने इसे धार्मिक और सांस्कृतिक संबंधों की पुनर्बहाली की दिशा में एक बड़ा कदम बताया। भारत में इस फैसले को सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है, खासकर उन लाखों श्रद्धालुओं के लिए जिनके लिए यह यात्रा आस्था से जुड़ा जीवन लक्ष्य है। चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग के साथ संवाद के दौरान जयशंकर ने मौजूदा वैश्विक परिदृश्य को ‘जटिल’ करार दिया और स्पष्ट किया कि दो बड़े और पड़ोसी देशों—भारत और चीन—के बीच खुला और पारदर्शी संवाद बेहद आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि केवल सैन्य और आर्थिक संबंध नहीं, बल्कि वैचारिक और कूटनीतिक समन्वय भी समय की मांग है।
SCO मंच से दिखेगा भारत-चीन संवाद का नया चेहरा?
जयशंकर की इस यात्रा के दौरान तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की विदेश मंत्रियों की बैठक भी महत्वपूर्ण है। इसमें उनकी मुलाकात चीन के विदेश मंत्री वांग यी से तय मानी जा रही है। इस बातचीत में सीमा विवाद, आर्थिक भागीदारी, निवेश परियोजनाएं और क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दे केंद्र में होंगे। यह दौरा इसलिए भी ऐतिहासिक है क्योंकि यह 2020 में गलवान घाटी में हुए खूनी संघर्ष के बाद पहली बार किसी वरिष्ठ भारतीय मंत्री का चीन दौरा है। गलवान की घटना ने दोनों देशों के संबंधों को सबसे निचले स्तर पर ला दिया था, लेकिन अब यह यात्रा दोनों देशों के बीच संबंधों में ‘रीसेट बटन’ दबाने जैसी है।
क्या चीन बदल रहा है रणनीति? पाकिस्तान पर असर तय!
जयशंकर की यात्रा को चीन की रणनीतिक दिशा में संभावित बदलाव के रूप में देखा जा रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि बीजिंग अब भारत के साथ रिश्तों को ‘टकराव’ के बजाय ‘सहयोग’ के नजरिए से देखने की कोशिश कर रहा है। अगर ऐसा होता है तो पाकिस्तान, जो अब तक चीन का रणनीतिक साथी रहा है, उसे इस बदली प्राथमिकता से झटका लग सकता है। SCO, यानी शंघाई सहयोग संगठन, आज एशिया का सबसे प्रभावशाली क्षेत्रीय संगठन बन चुका है। भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान सहित 9 देशों वाला यह मंच आतंकवाद, नशा तस्करी, उग्रवाद और आर्थिक सहयोग जैसे मुद्दों पर समन्वित रणनीति विकसित करता है। भारत की सक्रिय भूमिका से संगठन में संतुलन की दिशा तय हो रही है। बीजिंग पहुंचने के तुरंत बाद जयशंकर ने SCO महासचिव नुरलान येरमेकबायेव से भी मुलाकात की। उन्होंने भारत की क्षेत्रीय प्रतिबद्धताओं को दोहराते हुए संगठन के साथ दीर्घकालिक और रणनीतिक सहयोग की दिशा में बात की।