जंग का नया चेहरा: ईरान की मिसाइल से थर्राया इज़राइली अस्पताल

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बेरशेवा, इज़राइल | मध्य-पूर्व में पहले से धधक रही जंग अब इंसानियत की सरहदें लांघ चुकी है। गुरुवार तड़के एक ऐसा हमला हुआ जिसने दुनिया को हिलाकर रख दिया — इज़राइल के सबसे बड़े मेडिकल संस्थानों में से एक सोरोका मेडिकल सेंटर को ईरान की ओर से दागी गई बैलिस्टिक मिसाइल ने सीधा निशाना बनाया। जब हमला हुआ, अस्पताल मरीजों से भरा था। गूंजते धमाके के बाद धुएं और चीखों का ऐसा तांडव फैला, जिसे देखकर रोंगटे खड़े हो जाएं। यह कोई आम सैन्य कार्रवाई नहीं थी — यह मानवता पर सीधा आघात था।

धुएं, चीखों और टूटे कांच के बीच जूझता अस्पताल
इज़राइली सरकार द्वारा साझा किए गए वीडियो में नज़ारा दिल दहला देने वाला था। फर्श पर टूटे कांच के टुकड़े, दरवाजों से टकराकर गिरते लोग, भागते डॉक्टर और धुएं की मोटी परतें — यह सब एक अस्पताल के भीतर घटा। वीडियो में एक महिला अपने बच्चे को गोद में लिए मदद के लिए पुकारती दिखी, वहीं एक बुजुर्ग व्यक्ति के सिर से लगातार खून बह रहा था। घटना में 47 लोग घायल हुए हैं, जिनमें से तीन की हालत गंभीर बताई जा रही है। अस्पताल की इमारत का एक हिस्सा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। वहीं, तेल अवीव में एक आवासीय इमारत पर भी मिसाइल गिरी जिससे 16 अन्य लोग घायल हो गए।

प्रधानमंत्री नेतन्याहू का फूटा गुस्सा
इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस हमले को “मानवता पर हमला” बताया। उन्होंने कहा: “जब एक अस्पताल युद्ध का निशाना बनता है, तो यह सिर्फ हमारी जनता पर हमला नहीं होता, यह इंसानियत की मूल भावना पर हमला है। ईरान को इसकी कीमत चुकानी होगी।” इज़राइली विदेश मंत्रालय ने भी तीखा बयान जारी किया: “हम अपने नागरिकों की रक्षा के लिए हर कदम उठाएंगे। यह युद्ध अब हमारे अस्तित्व का सवाल है।”

रणनीतिक लक्ष्य: क्यों था सोरोका अस्पताल ईरान का निशाना?
सोरोका मेडिकल सेंटर दक्षिणी इज़राइल का सबसे बड़ा और अत्यंत महत्वपूर्ण अस्पताल है। यह करीब 10 लाख लोगों को स्वास्थ्य सेवा प्रदान करता है। अस्पताल में 1000 से अधिक बेड, अत्याधुनिक ICU, और इमरजेंसी विभाग हैं। जानकारी के अनुसार, ईरानी हमला योजनाबद्ध था। जैसे ही रेड अलर्ट बजा, अस्पताल प्रशासन ने तत्काल इमरजेंसी प्रोटोकॉल लागू करते हुए कई मरीजों को भूमिगत ICU में शिफ्ट कर दिया। वेंटिलेटर पर मौजूद मरीजों को पहले ही सुरक्षित क्षेत्रों में भेज दिया गया था।

पलटवार का बहाना या बड़ी साजिश?
यह हमला ऐसे समय हुआ है जब हाल ही में इज़राइल ने ईरान के अराक भारी जल रिएक्टर को निशाना बनाया था। यह वही रिएक्टर है जो ईरान के परमाणु कार्यक्रम की रीढ़ माना जाता है। उस हमले में ईरान के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक की भी मौत हुई थी। इस कार्रवाई के बाद से ही अंदेशा था कि ईरान किसी बड़े जवाबी हमले की तैयारी कर रहा है। अब जबकि सोरोका जैसे अस्पताल पर हमला हुआ है, यह संघर्ष सिर्फ सीमाओं तक सीमित नहीं रहा — यह अब मानवीय मूल्यों की जंग बन चुका है।

ईरान की ओर से बड़े पैमाने पर जवाबी हमला
ईरान ने बीते एक हफ्ते में सैकड़ों मिसाइलें और आत्मघाती ड्रोन इज़राइली क्षेत्र में भेजे हैं। इज़राइल का मल्टी-लेयर एयर डिफेंस सिस्टम भले कई मिसाइलों को रोक पाने में सफल रहा हो, लेकिन यह अस्पताल जैसे सिविल ठिकानों को पूरी तरह बचा नहीं सका। यह संघर्ष अब उस कगार पर है, जहाँ सैन्य रणनीति और मानवीय त्रासदी आपस में गुत्थमगुत्था हो चुकी हैं।

क्या आने वाले दिन और खतरनाक होंगे?
विश्लेषकों का मानना है कि यह हमला केवल एक शुरुआत है। जब एक देश दूसरे देश के अस्पतालों को निशाना बनाना शुरू कर दे, तो वह जंग एक नई, कहीं अधिक अंधेरी दिशा में मुड़ जाती है। आने वाले दिन और भी भीषण टकराव की संभावना को जन्म दे रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों की ओर से अब तक कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन हालात जिस तरह बेकाबू हो रहे हैं, वह वैश्विक चिंता का विषय बन चुका है।
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