गुजरात में फिर उजागर हुआ एक नया शिक्षा घोटाला: मेहसाणा में 138 शिक्षकों के फर्जी CCC सर्टिफिकेट का भंडाफोड़
मेहसाणा में 138 शिक्षकों के फर्जी CCC सर्टिफिकेट उजागर हुए। उच्च वेतन लाभ के लिए जमा कराए गए ये दस्तावेज जांच में फेल हो गए। राज्यभर में शिक्षा विभाग ने सख्त वेरीफिकेशन अभियान चलाया है और जांच समिति गठित की गई है। वेतन लाभ फिलहाल रोक दिए गए हैं।


गुजरात में फिर उजागर हुआ एक नया शिक्षा घोटाला: मेहसाणा में 138 शिक्षकों के फर्जी CCC सर्टिफिकेट पर मचा बवाल!
गुजरात में फर्जीवाड़े की एक और परत खुल गई है। पहले बोगस डॉक्टर्स, बोगस टोल नाकों और नकली दस्तावेजों का काला धंधा सामने आया था, और अब सामने आया है शिक्षकों के फर्जी कंप्यूटर सर्टिफिकेट का महाघोटाला। मेहसाणा ज़िले से शुरू हुआ ये मामला अब पूरे राज्य को हिला रहा है।
राज्य के शिक्षा विभाग की तरफ से चलाए गए वेरीफिकेशन अभियान में सामने आया है कि 138 शिक्षक ऐसे हैं, जिन्होंने CCC (Course on Computer Concepts) के फर्जी सर्टिफिकेट जमा करवाए थे। इन सर्टिफिकेट्स के आधार पर ये शिक्षक अपने वेतन में ‘उच्चतर वेतनमान’ का लाभ ले रहे थे।
138 शिक्षकों के वेतन लाभ किए गए स्थगित
मेहसाणा की प्राथमिक शालाओं में कार्यरत 6708 शिक्षकों में से 138 ने वर्ष 2023 में CCC सर्टिफिकेट जमा करवाए थे। जब इनका वेरीफिकेशन कराया गया, तो उनकी प्रमाणिकता पर सवाल खड़े हो गए। इसके चलते उनके उच्च वेतनमान के लाभ फिलहाल रोक दिए गए हैं।
CCC सर्टिफिकेट क्या है और क्यों है ज़रूरी?
CCC एक अल्पकालिक कंप्यूटर प्रशिक्षण कोर्स है, जो सरकारी कर्मचारियों और शिक्षकों के लिए अनिवार्य होता है। इस कोर्स के प्रमाणपत्र के आधार पर उन्हें 31 वर्षों की सेवा के बाद उच्च वेतनमान मिलता है। परंतु अब सवाल ये उठ रहा है – क्या ये सर्टिफिकेट असली हैं?
राज्य स्तर पर जाँच समिति गठित
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य भर में संदेहास्पद CCC सर्टिफिकेट की जांच के लिए एक विशेष समिति का गठन किया गया है। शिक्षा विभाग के अनुसार, इन प्रमाणपत्रों की सत्यता की पुष्टि के लिए उन्हें विभिन्न विश्वविद्यालयों को भेजा गया था। लेकिन कुछ विश्वविद्यालयों ने अब तक रिपोर्ट नहीं सौंपी है। हैरानी की बात ये है कि ये सभी सर्टिफिकेट एक ही विश्वविद्यालय से नहीं बल्कि कई अलग-अलग संस्थानों से जारी हुए हैं, जिससे शक और गहरा गया है।
केवल शिक्षक नहीं, सरकारी कर्मचारियों के भी फंसे हाथ!
यह कोर्स सिर्फ शिक्षकों के लिए नहीं, बल्कि अन्य सरकारी विभागों के कर्मचारियों के लिए भी आवश्यक होता है। इसका उद्देश्य डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना है, लेकिन अब यही कोर्स फर्जीवाड़े का औजार बन गया है।
अब क्या?
अब पूरा राज्य प्रशासन इस घोटाले की तह में जाने की कोशिश में जुट गया है। जिन शिक्षकों पर संदेह है, उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई तय मानी जा रही है। साथ ही सरकार उच्च वेतनमान पाने के पुराने मामलों की भी समीक्षा करने पर विचार कर रही है।