अहमदाबाद विमान हादसा: पायलट, वजन या तकनीकी खामी—क्या था असली कारण?

अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया विमान हादसे की जांच में इंजन, हाइड्रोलिक सिस्टम और पायलट प्रशिक्षण रिकॉर्ड से जुड़े पहलुओं की पड़ताल हो रही है। ब्लैकबॉक्स और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर से अहम सुराग मिलने की उम्मीद है, जबकि विमान का पूरी तरह क्षतिग्रस्त होना जांच को जटिल बना रहा है।

स्टोरी हाइलाइट्स
  • कॉकपिट से ब्लैक बॉक्स तक की जांच में खुल सकते हैं राज़
  • टूटे ब्लैकबॉक्स और दबे सुराग: अहमदाबाद हादसे की जांच में उठ रहे नए सवाल
  • हवा में बोझ या ज़मीन पर चूक? एयर इंडिया दुर्घटना जांच में कई एंगल्स पर नजर

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अहमदाबाद विमान हादसे की तह में छिपा सच: पूरी रिपोर्ट
अहमदाबाद: देश को झकझोर देने वाले एयर इंडिया के ड्रीमलाइनर विमान हादसे की जांच अब अंतरराष्ट्रीय मानकों पर की जा रही है। भारतीय विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB), अमेरिका की NTSB, ब्रिटेन की ATSB और बोइंग कंपनी के विशेषज्ञ, इस हादसे की बारीकी से पड़ताल में जुटे हैं। शुरुआती सवाल यही है—क्या यह महज तकनीकी विफलता थी या किसी मानवीय चूक की कीमत देश ने चुकाई?

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जांच के दायरे में क्या-क्या?
इस जटिल जांच में तीन प्रमुख तकनीकी पहलुओं पर फोकस किया गया है:

  1. इंजन फेल्योर की आशंका:
    विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों इंजनों का एक साथ फेल होना, एक दुर्लभ परंतु संभव घटना है। ब्लैकबॉक्स से प्राप्त डाटा यह संकेत दे सकता है कि क्या इंजन में आग लगी थी, या वह अचानक बंद हो गया था।
  2. हाइड्रोलिक और विद्युत प्रणाली की विफलता:
    विमान के सभी कंट्रोल हाइड्रोलिक और इलेक्ट्रिकल सिस्टम्स पर आधारित होते हैं। अगर ये दोनों सिस्टम एकसाथ फेल हों, तो विमान अनियंत्रित होकर गिर सकता है। यह संभव है कि एक ‘ट्रिपल फेल्योर’—इंजन, हाइड्रोलिक और इलेक्ट्रिकल सिस्टम—इस दुर्घटना का कारण बना हो।
  3. ब्लैकबॉक्स और फ्लाइट रिकॉर्डर की भूमिका:
    कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR), जिन्हें आम भाषा में ब्लैकबॉक्स कहा जाता है, जांच में केंद्रबिंदु बने हुए हैं। इनके माध्यम से पायलटों की बातचीत, अलार्म्स, और टेकऑफ़ से लेकर क्रैश तक की हर गतिविधि का विश्लेषण किया जा रहा है।

DGCA (नागर विमानन महानिदेशालय) ने एयर इंडिया से पायलट के उड़ान रिकॉर्ड, प्रशिक्षण रिपोर्ट, और फ्लाइट ऑपरेशन ऑफिसर की भूमिका का ब्योरा मांगा है। सवाल यह भी है कि क्या पायलट ने अत्यधिक भार के बावजूद उड़ान भरी थी? विशेषज्ञ अमित सिंह के अनुसार, “अगर पायलट को तकनीकी गड़बड़ी की जानकारी थी और उसने फिर भी टेकऑफ़ किया, तो यह लापरवाही की श्रेणी में आ सकता है।”

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 वजन और संतुलन पर उठे सवाल
जांच में एक और महत्वपूर्ण एंगल सामने आया है—विमान का ओवरलोड होना। यात्रियों, लगेज और ईंधन का मिला-जुला वजन, क्या विमान की अधिकतम उठान क्षमता से अधिक था? फ्लाइट डिस्पैचर और ऑपरेशन ऑफिसर से भी पूछताछ की जा रही है कि टेकऑफ़ से पहले लोड कैलकुलेशन कैसे किया गया।

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 क्यों ज़्यादा समय ले रही है जांच?
पूर्व AAIB निदेशक अरविंद हंडा ने बताया कि विमान का मलबा इतनी बुरी तरह कुचला हुआ है कि कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण पूरी तरह निष्क्रिय हो चुके हैं। उन्होंने कहा, “कुछ हादसे इतने गंभीर होते हैं कि ब्लैकबॉक्स भी डेटा संरक्षित नहीं रख पाता।” इस वजह से, जांच टीम को अब डिजिटल रिकवरी तकनीकों, एक्स-रे स्कैनिंग और अल्ट्रासाउंड से सर्किट ट्रेसिंग का सहारा लेना पड़ सकता है।

 वीडियो फुटेज और हाई-डेफिनिशन कैमरा सिस्टम
एक और अहम कड़ी सामने आई है—विमान में लगे हाई-डेफिनिशन कैमरा सिस्टम। इससे प्राप्त वीडियो फुटेज जांच को दिशा दे सकता है। अमेरिकी विशेषज्ञ स्टीव सचारिबार के मुताबिक, “हाई-डेफिनिशन वीडियो से यह भी देखा जा सकता है कि इंजन से धुआं पहले आया या विमान का झुकाव असामान्य कब से शुरू हुआ।” यह हादसा अब भारत की सीमाओं तक सीमित नहीं रहा। बोइंग कंपनी के प्रतिनिधियों के साथ अमेरिका और ब्रिटेन की विमानन एजेंसियां भी सक्रिय रूप से शामिल हो गई हैं। इससे साफ है कि यह महज एक टेक्निकल जांच नहीं, बल्कि वैश्विक विमानन सुरक्षा की कसौटी बन चुका मामला है।

 फ्लाइंग स्कूलों और एयरपोर्ट सुरक्षा पर सख्ती
DGCA ने अब देशभर के सभी फ्लाइंग स्कूलों, एयरपोर्ट ऑपरेशंस और ट्रेनिंग मैनुअल्स की दोबारा जांच के आदेश दिए हैं। एयर इंडिया से यह भी पूछा गया है कि क्या हाल ही में DGCA ऑडिट के दौरान कोई खामियां उजागर हुई थीं? इस हादसे की जांच से न केवल इस दुर्घटना के कारण सामने आएंगे, बल्कि यह पूरे भारतीय विमानन प्रणाली के सुरक्षा मानकों को लेकर एक बार फिर सवाल खड़ा कर देगा। ब्लैकबॉक्स, पायलट प्रशिक्षण और तकनीकी विफलताओं के समुचित विश्लेषण के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि यह हादसा एक चूक थी या सिस्टम की खामियों का परिणाम।
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