शाहीबाग हत्याकांड: पारिवारिक रंजिश ने ली 21 साल के युवक की जान, कोर्ट ने 6 दोषियों को सुनाई उम्रकैद

अहमदाबाद के शाहीबाग में 2021 में एक 21 वर्षीय युवक की हत्या के मामले में कोर्ट ने छह दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। यह हमला पुरानी रंजिश के चलते मंदिर के पास किया गया था। कोर्ट ने इसे समाज के लिए चेतावनी मानते हुए कड़ी सजा दी।

Ahmedabad Shahibaug massacre Family feud took the life of a 21-year-old youth, court sentenced 6 culprits to life imprisonment
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अहमदाबाद के शाहीबाग इलाके में अक्टूबर 2021 की एक खौफनाक शाम ने 21 वर्षीय रितिक की जिंदगी छीन ली। यह महज एक तकरार या आपसी बहस का मामला नहीं था, बल्कि सुनियोजित बदले की आग में जला दी गई एक युवा जिंदगी की कहानी है। अब, इस जघन्य हत्या कांड में कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए एक ही परिवार के चार सदस्यों समेत छह आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश परिमल पी. पटेल ने यह फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया कि समाज में कानून का भय बनाए रखने और न्याय की गरिमा के लिए ऐसी सख्त सजा जरूरी है।

 हत्या की कहानी: मंदिर के पास मौत की घात
7 अक्टूबर 2021 का दिन। शाम का वक्त था और रितिक, शाहीबाग स्थित जोगणी माता मंदिर के पास खड़ा था। तभी अचानक छह लोगों का एक समूह वहां पहुंचा, जिनमें काशेजी उर्फ सीताराम भिल और उनके परिजन शामिल थे। इन सभी के हाथों में हथियार थे – लाठियां, डंडे और घातक औजार। उनके मन में रितिक के खिलाफ पुरानी रंजिश थी, जिसे उस दिन खून से खत्म किया गया। भीड़ ने अचानक उस पर हमला कर दिया। रितिक को इतनी बेरहमी से पीटा गया कि उसकी मौके पर ही हालत गंभीर हो गई। अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

 कानून का शिकंजा: दोषियों को आजीवन कारावास
इस मामले में मृतक रितिक के परिवार ने तुरंत पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई। नामजद आरोपियों में शामिल थे –

  • काशेजी उर्फ सीताराम प्रभुजी भिल
  • ज्योत्सना काशेजी भिल
  • कमलेश उर्फ कल्पेश काशेजी भिल
  • सुरेश उर्फ भाऊ कनैयालाल भिल
  • चेतन काशेजी भिल
  • मनीष प्रभुराम मीणा

शाहीबाग पुलिस ने मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायिक प्रक्रिया शुरू की।

 अदालत की दलीलें: सजा क्यों जरूरी थी?
सरकारी वकील भावेश पटेल ने कोर्ट में मजबूत पक्ष रखते हुए गवाहों के बयान और मेडिकल रिपोर्ट के साथ इस केस को पुख्ता किया। उन्होंने बताया कि:

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  • सभी आरोपियों की पहचान चश्मदीदों ने की थी।
  • रितिक की मौत का कारण स्पष्ट रूप से घातक हमले थे।
  • आरोपियों ने पहले से हत्या की योजना बनाकर हमला किया था।
  • यह हत्या समाज में भय फैलाने वाला कृत्य था।

न्यायाधीश परिमल पटेल ने सजा सुनाते हुए कहा कि – “यह केस ‘रेयर ऑफ द रेयर’ की श्रेणी में भले न हो, लेकिन अपराध की क्रूरता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। आरोपियों ने जिस बर्बरता से युवक की जान ली, उसके लिए उम्रकैद की सजा उचित है।”

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 दया की अपील हुई खारिज
दोषियों की ओर से कोर्ट में यह अपील की गई कि उन्हें कम से कम सजा दी जाए क्योंकि यह उनका पहला गंभीर अपराध है। लेकिन अदालत ने इसे खारिज करते हुए कहा कि किसी भी सभ्य समाज में इस तरह की हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। यदि ऐसे मामलों में कठोर कदम नहीं उठाए जाएंगे, तो समाज में कानून का डर खत्म हो जाएगा।

 फैसले का संदेश: कानून से ऊपर कोई नहीं
इस फैसले ने यह साफ कर दिया कि अगर आप कानून हाथ में लेंगे, तो उसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। चाहे आरोपी कोई भी हो – परिवार के सदस्य, समाज के लोग या किसी संगठन से जुड़े – न्याय की नजरों में सब बराबर हैं। यह सजा न सिर्फ पीड़ित परिवार के लिए एक न्याय है, बल्कि समाज को भी यह सिखाने वाला फैसला है कि बदला लेने की भावना से किया गया कोई भी अपराध आपको जीवनभर की जेल की सलाखों के पीछे डाल सकता है।


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