अहमदाबाद विमान हादसा: अमेरिकी जांच एजेंसी NTSB मौके पर पहुंची, ब्लैक बॉक्स की जांच जारी
12 जून को अहमदाबाद से उड़ान भरते ही एअर इंडिया की फ्लाइट AI-171 क्रैश हो गई। 275 मौतें हुईं, जिनमें 229 यात्री, 12 चालक दल और हॉस्टल के 34 लोग शामिल थे। ब्लैक बॉक्स मिला, जांच जारी है। परिजनों की सहायता के लिए सरकार ने विशेष टीमें तैनात की हैं।

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12 जून 2025 का दिन, भारतीय विमानन इतिहास में एक और भयानक हादसे के रूप में दर्ज हो गया। एयर इंडिया की अंतरराष्ट्रीय उड़ान संख्या AI-171, जो अहमदाबाद से लंदन के लिए रवाना हुई थी, उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों के भीतर हादसे का शिकार हो गई। यह बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान, जो तकनीकी रूप से आधुनिक और भरोसेमंद माने जाते हैं, 200 फीट की ऊंचाई तक पहुंचते ही अनियंत्रित होकर गिर पड़ा और बीजे मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल भवन से टकरा गया।
एक भयंकर मंजर: लपटों में लिपटी ज़िंदगी
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि टेक-ऑफ के तुरंत बाद विमान असामान्य आवाज़ करते हुए नीचे गिरा। वह भवन, जो आमतौर पर छात्रों की चहलकदमी से गुलजार रहता था, अब आग और धुएं का धुंधला ढांचा बन चुका था। इस हादसे में 229 यात्रियों में से केवल एक व्यक्ति जीवित बच पाया, जबकि बाकी सभी यात्री, चालक दल के 12 सदस्य और हॉस्टल में मौजूद 34 अन्य लोग इस त्रासदी का शिकार बन गए। कुल 275 जानें चली गईं। उड़ान के दौरान, पायलट्स ने “MAYDAY” सिग्नल भेजा था, जो अंतरराष्ट्रीय विमानन में आपातकाल की चेतावनी होती है। इसके कुछ क्षणों बाद ही विमान का ATC से संपर्क टूट गया। इस घटना के तीन दिन बाद, विमान का ब्लैक बॉक्स, जिसमें कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) शामिल हैं, घटनास्थल के मलबे से बरामद कर लिया गया। ब्लैक बॉक्स की शुरुआती रिपोर्ट में संकेत मिला है कि 650 फीट की ऊंचाई पर तकनीकी खराबी उत्पन्न हुई थी, जिससे विमान ने संतुलन खो दिया और गिरते समय इसकी गति -475 फीट प्रति मिनट थी।
मेस में दोपहर का खाना, मौत की दावत बन गया
हादसे के समय मेस में 100 से अधिक छात्र भोजन कर रहे थे। किसी को अंदाजा नहीं था कि ऊपर उड़ता जहाज उनकी ज़िंदगी का अंत बन जाएगा। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि इमारत पल भर में जल उठी। टेबलें, दीवारें, छत—सब कुछ भस्म हो गया। जीवित बचे कुछ लोगों की चीखें आग और धुएं में दब गईं। राजू पटेल, 56 वर्षीय स्थानीय निवासी, इस आग और मौत के दृश्य में पहले पहुंचने वालों में से थे। हादसे के महज 5 मिनट बाद ही वो घटनास्थल पर मौजूद थे। लेकिन इतनी भीषण आग थी कि 15-20 मिनट तक वो नजदीक नहीं जा सके। जैसे ही फायर ब्रिगेड और एंबुलेंस पहुंची, पटेल और उनके साथी राहत कार्य में कूद पड़े। स्ट्रेचर की कमी के कारण घायल लोगों को साड़ी और चादरों में लपेटकर अस्पताल पहुंचाया गया। जलते शरीर, रोते चेहरे और डर में डूबी आँखें—हर दृश्य मानवता को झकझोर देने वाला था। राजू पटेल और उनकी टीम रात 9 बजे तक घटनास्थल पर डटे रहे।
70 तोला सोना, 80 हजार कैश और एक ‘अखंड’ गीता
राहत कार्यों के दौरान, राजू और उनकी टीम को मलबे में बिखरे यात्री सामान मिले—70 तोले सोने के आभूषण, ₹80,000 नकद, पासपोर्ट, और सबसे चौंकाने वाली बात—एक भगवद गीता, जो पूरी तरह सुरक्षित थी। आग की भीषणता के बावजूद गीता की एक भी पंक्ति नहीं जली। राजू ने यह सभी वस्तुएं स्थानीय पुलिस को सौंप दीं। गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने हादसे के बाद प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि बरामद हर वस्तु का दस्तावेजीकरण किया जा रहा है और वह पीड़ितों के परिजनों को सौंप दी जाएगी। इस हादसे को उन्होंने हाल के वर्षों का सबसे भयानक विमान हादसा बताया।
अंदर फंसी ज़िंदगियों को निकालना बना चुनौती
गुजरात राज्य आपदा मोचन बल (SDRF) और पुलिस की टीमें तुरंत घटनास्थल पर पहुंचीं। ASP शीतल गुजर के मुताबिक, “हॉस्टल के अंदर का तापमान इतना अधिक था कि रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए फायर डिपार्टमेंट की विशेष तैयारी करनी पड़ी।” फंसे लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए रातभर अभियान चलता रहा। राहत आयुक्त आलोक कुमार पांडेय ने बताया कि 230 विशेष टीमें गठित की गई हैं, जो मृतकों के परिजनों को अंतिम संस्कार तक सहायता प्रदान करेंगी। एअर इंडिया ने भी प्रत्येक परिवार को एक-एक केयर टेकर नियुक्त किया है, ताकि उन्हें ज़रूरी मदद बिना किसी परेशानी के मिल सके।
दुनिया की निगाहें जांच पर
घटना के तुरंत बाद बोइंग कंपनी की विशेष टीम अहमदाबाद पहुंची। टर्किश टेक्निक द्वारा विमान की मरम्मत के दावे को टर्किये सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि उस विमान की सर्विसिंग हमने नहीं की थी। भारतीय विमानन मंत्रालय के अनुसार, घटना की जांच तीन महीने के भीतर पूरी की जाएगी। जांच दल में DGCA, IB, गृह सचिव, और विदेशी एजेंसियां जैसे अमेरिका की NTSB और ब्रिटेन की AAIB शामिल हैं। अब तक 125 शवों के DNA का मिलान हो चुका है, जिनमें से 83 शव उनके परिजनों को सौंपे जा चुके हैं। अहमदाबाद सिविल हॉस्पिटल में विशेष काउंसलिंग सेंटर भी स्थापित किया गया है, ताकि दुखी परिवारों को मानसिक सहयोग मिल सके।
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