सूरत में बाढ़ से मची अफरा-तफरी: घुटनों तक पानी में उठाकर ले जाया गया बुज़ुर्ग मरीज

सूरत में बारिश ने मचाया कहर, कई इलाकों में जलजमाव के हालात। लिंबायत क्षेत्र में बुजुर्ग मरीज को घुटनों तक पानी में उठाकर पहुंचाया गया 108 एंबुलेंस तक। बोट सुविधा नहीं, एंबुलेंस भी फंसी। लोगों ने प्रशासन से मांगा तत्काल राहत और स्थायी समाधान।

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सूरत शहर इन दिनों मूसलधार बारिश की चपेट में है। लगातार बारिश से हालात इतने खराब हो चुके हैं कि शहर के कई हिस्से पानी में डूबे हुए हैं। सबसे अधिक संकट उन बीमार और बुजुर्ग लोगों के लिए पैदा हो गया है, जो अस्पताल नहीं पहुंच पा रहे हैं। लिंबायत इलाके की मठी खाड़ी में बाढ़ के पानी ने विकराल रूप ले लिया है। वहां अब भी पानी की निकासी नहीं हो पाई है। दो दिनों से लगातार भरे पानी ने आम जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। सड़कों पर जलभराव इतना अधिक है कि 108 एंबुलेंस जैसी इमरजेंसी सेवाएं भी वहां नहीं पहुंच पा रही हैं। ऐसे ही हालात में लिंबायत क्षेत्र के निवासी रेमान नामक बुजुर्ग की तबीयत अचानक बिगड़ गई। बुज़ुर्ग की स्थिति इतनी नाज़ुक हो गई थी कि उनके परिजन और स्थानीय लोगों ने उन्हें घुटनों तक पानी में उठाकर करीब आधे घंटे की मशक्कत के बाद 108 एंबुलेंस तक पहुंचाया। हालांकि एंबुलेंस तय समय पर पहुंच गई थी, लेकिन गली-मोहल्लों में भरे पानी की वजह से उसे मरीज के दरवाज़े तक नहीं लाया जा सका। शहर की कई कॉलोनियों, विशेष रूप से खाड़ीपुर क्षेत्र, पूरी तरह से पानी में डूबी हुई हैं। यहां ना तो नाव की व्यवस्था है और ना ही कोई वैकल्पिक उपाय।

बारिश की वजह से शहर के नागरिकों को जिस कठिन परिस्थिति का सामना करना पड़ रहा है, उसमें न केवल सामान्य जीवन ठप हुआ है, बल्कि आपातकालीन सेवाएं भी ठहर सी गई हैं। बुज़ुर्ग रेमान की घटना सूरत की उस भयावह हकीकत को उजागर करती है, जिसमें बाढ़ सिर्फ पानी नहीं लाती, बल्कि मानवीय संकट भी साथ लाती है। स्थानीय लोग प्रशासन से नाराज़ हैं कि इतनी गंभीर स्थिति के बावजूद अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं किया गया है। इस इलाके में हर साल यही स्थिति दोहराई जाती है, लेकिन हालात सुधारने की बजाय सिर्फ आश्वासन मिलते हैं। अब सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन ऐसे संवेदनशील इलाकों में जल निकासी के पुख़्ता इंतज़ाम नहीं कर सकता? और यदि बोट जैसी सुविधाएं नहीं दी जा सकतीं, तो कम से कम इमरजेंसी के लिए अलग रूट या संसाधन क्यों नहीं तैयार किए जाते? बारिशें अभी जारी हैं, और संकट और भी गहरा हो सकता है। ऐसे में सूरत की जनता को प्रशासन से सिर्फ जवाब नहीं, बल्कि तुरंत एक्शन की ज़रूरत है।


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