सिवनी में बाघ ने किशोर को बनाया शिकार, ग्रामीणों ने किया हाईवे जाम
सिवनी ज़िले के बावनथड़ी गांव में बाघ के हमले में किशोर सुमित पांद्रे की मौत हो गई। घटना से आक्रोशित ग्रामीणों ने NH-44 पर जाम लगाया। मुआवज़े और सुरक्षा की मांग को लेकर प्रदर्शन हुआ। वन विभाग पर लापरवाही के आरोप लगे, देर शाम अधिकारियों की समझाइश से जाम हटा।

- वन विभाग की लापरवाही से गई जान? NH-44 पर फूटा ग्रामीणों का गुस्सा
- बाघ के बढ़ते आतंक से ग्रामीण बेहाल, मुआवज़े और सुरक्षा की उठी मांग
सिवनी, मध्यप्रदेश — ज़िले के कुरे क्षेत्र में स्थित बावनथड़ी गांव शुक्रवार को उस वक्त शोक और गुस्से में डूब गया, जब जंगल में मवेशी चराने गए एक किशोर पर बाघ ने हमला कर उसकी जान ले ली। यह हादसा दोपहर के समय हुआ जब सुमित पांद्रे (उम्र लगभग 17 वर्ष) रोज़ की तरह मवेशियों को लेकर गांव के समीप जंगल की ओर गया था। तभी झाड़ियों के पीछे छिपे एक बाघ ने अचानक उस पर हमला कर दिया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हमला बेहद अचानक और भयानक था। बाघ ने किशोर को गर्दन से पकड़ लिया और उसे ज़मीन पर घसीटते हुए झाड़ियों में ले जाने की कोशिश की। गांव के अन्य चरवाहों और स्थानीय लोगों ने जब शोर मचाया तो बाघ युवक को छोड़कर भाग गया। हालांकि, जब तक ग्रामीण सुमित को अस्पताल ले जाने की तैयारी करते, तब तक उसने दम तोड़ दिया।
गांव में फैला डर और आक्रोश, लोगों ने NH-44 किया जाम
दर्दनाक घटना की खबर फैलते ही गांव में तनाव और भय का माहौल बन गया। शाम होते-होते सैकड़ों ग्रामीण एकत्र होकर राष्ट्रीय राजमार्ग 44 (NH-44) पर पहुंचे और चक्काजाम कर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। लोगों का आरोप था कि बाघ की गतिविधियां पिछले कई महीनों से बढ़ गई हैं लेकिन वन विभाग की ओर से कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया। प्रदर्शनकारी ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की कि मृतक के परिवार को तत्काल आर्थिक सहायता प्रदान की जाए और क्षेत्र में वन्यजीवों की बढ़ती हलचलों पर सख्ती से नियंत्रण लगाया जाए।
प्रशासन ने दी समझाइश, जाम देर शाम हटा
करीब साढ़े छह बजे के आसपास मौके पर पहुंचे राजस्व विभाग, वन विभाग और पुलिस अधिकारियों ने ग्रामीणों से बात की। उन्होंने भरोसा दिलाया कि मृतक के परिवार को नियमानुसार मुआवजा दिया जाएगा और बाघ की ट्रैकिंग के लिए विशेष टीम भेजी जाएगी। अधिकारियों की आश्वासन के बाद ग्रामीणों ने जाम हटाया।
पहले भी दिख चुका है यही बाघ, फिर क्यों नहीं हुआ कोई एक्शन?
स्थानीय लोगों का कहना है कि बाघ की मौजूदगी की सूचना वन विभाग को पहले भी दी गई थी, लेकिन हर बार महज़ निगरानी की बात कहकर मामला टाल दिया गया। ग्रामीणों का आरोप है कि न तो कैमरा ट्रैप लगाए गए और न ही क्षेत्र में गश्त बढ़ाई गई। अब जब जान जा चुकी है, तो प्रशासन जाग रहा है। वन विभाग के पेंच टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर रजनेश सिंह ने पुष्टि की कि मृतक सुमित पांद्रे की मौत बाघ के हमले में हुई है और जांच की जा रही है कि यह वही बाघ है या कोई नया।
- ग्रामीणों की प्रमुख मांगें
मृतक के परिजनों को 10 लाख रुपये तक का मुआवजा। - बाघ को पकड़ने या ट्रैंकुलाइज़ करने के लिए अभियान चलाया जाए।
- जंगल से सटे गांवों में वन विभाग की नियमित गश्त हो।
- स्कूल जाने वाले बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
जानवरों का आतंक या मानव लापरवाही?
यह घटना सिर्फ एक दुखद हादसा नहीं, बल्कि वन्यजीव प्रबंधन की एक बड़ी चूक भी है। जब जंगल और इंसानी बस्तियों के बीच की दूरी घटती है, तो ऐसे संघर्ष आम होते जा रहे हैं। ज़रूरत है एक ठोस, दीर्घकालिक योजना की जिससे वन्यजीव और इंसान दोनों सुरक्षित रह सकें।