राष्ट्रपति मुर्मू की नई नियुक्तियां: हरियाणा, गोवा और लद्दाख को मिले नए राज्यपाल, लद्दाख को मिला नया उपराज्यपाल
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हरियाणा, गोवा और लद्दाख में तीन नए संवैधानिक प्रमुख नियुक्त किए हैं। प्रोफेसर आशिम घोष को हरियाणा, अशोक गजपति राजू को गोवा और कविंद्र गुप्ता को लद्दाख का उपराज्यपाल बनाया गया है। यह नियुक्तियाँ अनुभव, शिक्षा और राजनीति का संतुलित मिश्रण हैं।

भारत के संवैधानिक ढांचे में एक नई तस्वीर उभरी है, जहां 14 जुलाई 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने तीन प्रमुख नियुक्तियों को स्वीकृति देकर देश के राजनीतिक परिदृश्य में नई चेतना का संचार किया है। हरियाणा, गोवा और लद्दाख – इन तीन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में नए राज्यपाल और उपराज्यपाल की घोषणा करके राष्ट्रपति भवन ने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि प्रशासनिक अनुभवी चेहरों को अब नई ज़िम्मेदारियाँ सौंपी जा रही हैं। इस बार खास बात यह रही कि इन नियुक्तियों में न केवल राजनीतिक अनुभव को तरजीह दी गई, बल्कि शिक्षाविदों और सेना पृष्ठभूमि वाले नेतृत्व को भी संवैधानिक जिम्मेदारी सौंपी गई है।
हरियाणा को मिला विचारशील शिक्षाविद राज्यपाल
प्रोफेसर आशिम कुमार घोष, जिनका नाम अकादमिक जगत में नीतियों और विचारधारात्मक लेखन के लिए जाना जाता है, को हरियाणा का नया राज्यपाल नियुक्त किया गया है। वह अब बंडारू दत्तात्रेय की जगह लेंगे। आशिम घोष देश-विदेश के कई विश्वविद्यालयों में अपने प्रखर विचारों और भारतीय संविधान पर गहन ज्ञान के लिए पहचाने जाते हैं। हरियाणा जैसे औद्योगिक और कृषि प्रधान राज्य में एक शिक्षाविद की नियुक्ति यह दर्शाती है कि अब प्रशासनिक निर्णयों में नीतिगत गहराई लाना प्राथमिकता है।
गोवा को मिला अनुभवी केंद्रीय मंत्री
पूर्व केंद्रीय नागर विमानन मंत्री और आंध्र प्रदेश की राजनीति में मजबूत पकड़ रखने वाले पुसापति अशोक गजपति राजू को गोवा का नया राज्यपाल नियुक्त किया गया है। वह पी. एस. श्रीधरन पिल्लई की जगह लेंगे। अशोक गजपति राजू को उनके सौम्य स्वभाव, प्रशासनिक अनुभव और रणनीतिक निर्णयों के लिए जाना जाता है। अब गोवा जैसे पर्यटन और राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील राज्य में उनकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो सकती है।
लद्दाख को मिला धरती से जुड़े नेता
देश के रणनीतिक और भौगोलिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को एक नया उपराज्यपाल मिल गया है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता कविन्द्र गुप्ता को इस जिम्मेदारी के लिए चुना गया है। वह ब्रिगेडियर (डॉ.) बी. डी. मिश्रा (रिटायर्ड) के स्थान पर यह पद संभालेंगे, जिनका इस्तीफा राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया है। मिश्रा एक सैन्य अधिकारी रहे हैं और उन्होंने लद्दाख में शांतिपूर्ण प्रशासन को सुचारु रूप से चलाया। कविंद्र गुप्ता की नियुक्ति यह स्पष्ट करती है कि सरकार लद्दाख को केवल पर्यावरणीय दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि राजनीतिक और रणनीतिक रूप से भी एक प्रमुख क्षेत्र मान रही है।
नियुक्तियों के पीछे की रणनीति
इन तीनों नियुक्तियों में स्पष्ट संदेश है—राजनीति, शिक्षा और प्रशासनिक संतुलन को केंद्र में रखकर नई पीढ़ी को स्थिर नेतृत्व देने की कोशिश की जा रही है। जहां एक ओर अनुभवी राजनेताओं को संवैधानिक पदों पर लाया गया है, वहीं शिक्षाविदों को भी अहम जगह देकर विचारशील प्रशासन का रास्ता तैयार किया गया है।