गोरखपुर के युवाओं की बड़ी खोज: प्लेन क्रैश से पहले अलर्ट देगा ‘सेफ्टी रडार सिस्टम’
गोरखपुर के पांच इंजीनियरिंग छात्रों ने एक अनोखा 'प्लेन सेफ्टी रडार सिस्टम' विकसित किया है, जो एयरक्राफ्ट क्रैश की आशंका को पहले ही पकड़कर पायलट और आम लोगों को अलर्ट भेजता है। सैटेलाइट डेटा, AI और ML आधारित यह सिस्टम जन-सुरक्षा के क्षेत्र में बड़ी क्रांति ला सकता है।

नवाचार से जीवन रक्षा की उड़ान: गोरखपुर के युवाओं की एक अनोखी पहल
हवा में मंडराते विमान की सुरक्षा अब तकनीक के भरोसे और अधिक पुख्ता हो सकती है। गोरखपुर के ITM-GIDA कॉलेज के पांच बीटेक छात्रों ने एक ऐसा स्मार्ट सिस्टम विकसित किया है, जो संभावित विमान दुर्घटनाओं की आशंका होने पर रियल-टाइम में अलर्ट जारी करता है। इस टेक्नोलॉजी का नाम है – ‘प्लेन रडार अलार्म सिस्टम’। जहां तकनीकी विकास अक्सर व्यवसाय और ऑटोमेशन तक सीमित रह जाता है, वहीं इन छात्रों ने इनोवेशन को मानव सुरक्षा के साथ जोड़ा है। यह सिस्टम न सिर्फ पायलट को क्रैश से पहले निर्णय लेने का समय देता है, बल्कि उस क्षेत्र के आम नागरिकों को भी सचेत करता है, जहां हादसा हो सकता है।
कैसे काम करता है यह सिस्टम?
इस सिस्टम की तकनीक तीन शक्तिशाली स्तंभों पर टिकी है – Satellite Data, Artificial Intelligence (AI), और Machine Learning (ML)। जैसे ही किसी एयरक्राफ्ट की स्थिति संदिग्ध होती है, यह सिस्टम तुरंत सैटेलाइट फीड को एनालाइज करता है और संभावित क्रैश लोकेशन का अनुमान लगाता है।
इसके बाद यह लोकेशन आधारित अलर्ट ट्रिगर करता है –
- मोबाइल नोटिफिकेशन के जरिए स्थानीय लोगों तक संदेश पहुंचाता है
- सायरन सिस्टम और डिजिटल डिस्प्ले बोर्ड्स के माध्यम से चेतावनी देता है
- अथॉरिटीज और रेस्क्यू टीमों को इमरजेंसी अलर्ट भेजता है
एक इनोवेशन, जो ज़िंदगियाँ बचाएगा
ऐसी घटनाएं अक्सर केवल पायलट और यात्रियों के लिए नहीं, बल्कि ज़मीन पर मौजूद निर्दोष लोगों के लिए भी घातक होती हैं। बीते दिनों अहमदाबाद में हुई एक विमान दुर्घटना ने इन छात्रों को झकझोर कर रख दिया था। उसी से प्रेरित होकर यह सिस्टम तैयार किया गया। छात्रों का कहना है कि यदि लोगों को कुछ मिनट पहले भी जानकारी मिल जाए, तो बड़ी संख्या में जानें बचाई जा सकती हैं। यह तकनीक “Mass Safety Technology” की दिशा में एक क्रांतिकारी शुरुआत मानी जा रही है।
कौन हैं ये नवाचार के नायक?
इस प्रोजेक्ट को तैयार किया है ITM-GIDA के बीटेक प्रथम वर्ष के पांच होनहार छात्रों ने:
- शशांक पांडेय
- आलोक गुप्ता
- शिवेश पांडेय
- इलमा अहमद
- दिशा चौधरी
महज चार दिनों में इस सिस्टम को तैयार किया गया और इसका खर्च आया केवल ₹80,000। एक सीमित संसाधन में तैयार हुआ यह प्रोजेक्ट अब राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान की ओर अग्रसर है।
संस्थान की प्रतिक्रिया और भविष्य की योजना
कॉलेज के निदेशक डॉ. एन.के. सिंह ने इस प्रयास की मुक्त कंठ से सराहना करते हुए कहा, “छात्रों ने यह दिखा दिया है कि इनोवेशन केवल तकनीकी विकास नहीं है, यह मानवता की रक्षा का माध्यम बन सकता है।” कॉलेज प्रबंधन ने यह भी स्पष्ट किया है कि ऐसे प्रोजेक्ट्स को भविष्य में आर्थिक और तकनीकी सहायता दी जाएगी ताकि छात्रों की सोच को राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर पहचान मिले।
फ्यूचर ऑफ सेफ एयर ट्रैवल
जहां दुनिया भर में एयर ट्रैफिक तेज़ी से बढ़ रहा है, वहीं सुरक्षा का मुद्दा भी गंभीर होता जा रहा है। ऐसे में भारत जैसे देश में, जहां युवा प्रतिभाओं की कमी नहीं, इस तरह की टेक्नोलॉजी एविएशन सेफ्टी में गेम-चेंजर साबित हो सकती है। इस ‘प्लेन रडार अलार्म सिस्टम’ को यदि सरकार या निजी एविएशन कंपनियां अपनाती हैं, तो यह ना केवल एक इनोवेशन रहेगा, बल्कि यह एयर ट्रैवल में लोगों के विश्वास को और मजबूत करेगा।