हनुमान चालीसा पाठ की ये 6 गलतियाँ आपको फल से कर सकती हैं वंचित

सही भाव, सही नाम: हनुमान चालीसा पाठ का असली तरीका जानिए

[ad_1]

hanuman chalisa-mistakes
कलियुग में भगवान हनुमान को सबसे प्रभावशाली और शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता माना गया है। उनके भक्तों की रक्षा करने वाले, संकटों को हरने वाले और रामभक्ति की सजीव मूर्ति श्री हनुमान को प्रसन्न करने के लिए “हनुमान चालीसा” का पाठ सर्वोत्तम साधन है। लेकिन अक्सर लोग इसे पढ़ते वक्त अनजाने में कुछ ऐसी गलतियाँ कर बैठते हैं जो न केवल पाठ की पवित्रता को भंग करती हैं, बल्कि फल मिलने में भी बाधा बन सकती हैं।

 आम भक्तों की सबसे बड़ी गलती – उच्चारण की लापरवाही
भगवान हनुमान को समर्पित हनुमान चालीसा का पाठ मंगलवार और शनिवार को प्रमुख रूप से किया जाता है, लेकिन समय के अभाव और जल्दबाजी के चलते लोग इसका सही उच्चारण नहीं कर पाते। बिना अर्थ समझे चौपाइयों को जल्दी-जल्दी पढ़ जाना एक आम प्रवृत्ति बन चुकी है। धार्मिक गुरु और विद्वान महंत रामभद्राचार्य का मानना है कि पाठ में श्रद्धा के साथ सही उच्चारण उतना ही आवश्यक है जितना की भक्ति भाव।

क्या आप भी कह रहे हैं – “तुलसीदास सदा हरि चेरा”? पढ़िए सही तरीका!
रामभद्राचार्य जी ने बताया कि हनुमान चालीसा में जो चौपाई आती है:

“तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय मं डेरा।।”

Advertisement

वह तुलसीदास जी द्वारा रचित है, लेकिन जब कोई भक्त इसे पढ़ता है, तो उसके लिए यह आवश्यक है कि वह “तुलसीदास” की जगह अपना नाम ले। इससे यह प्रतीक होता है कि पाठ करने वाला स्वयं हनुमान जी का दास है, न कि केवल पाठ का पाठक।

Advertisement

उदाहरण के लिए – यदि किसी का नाम अमित है, तो वह कहे:

“अमित सदा हरि चेरा”

यह पाठ को व्यक्तिगत और भावपूर्ण बनाता है।

 हनुमान चालीसा की भाषा और उससे जुड़ी उलझनें
बहुत से लोग यह नहीं जानते कि हनुमान चालीसा अवधि भाषा में लिखी गई है, जो हिंदी से थोड़ी अलग है। इसके शब्दों का उच्चारण गलत कर देना आम बात है। जैसे:

  •  गलत उच्चारण: कंचन वर्ण विराज सुवेशा
  • सही उच्चारण: कंचन बरन बिराज सुबेसा

इस तरह की त्रुटियाँ चालीसा की मौलिकता को प्रभावित करती हैं।

 पाठ के नियम और आवश्यक सावधानियाँ
हनुमान चालीसा एक सामान्य स्तुति नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है। इसके पाठ से पूर्व कुछ आवश्यक नियमों का पालन आवश्यक होता है:

  • शारीरिक और मानसिक शुद्धता: पाठ से पहले स्नान करें और मन को शांत करें।
  • स्थान की पवित्रता: शांत, स्वच्छ और पूजा योग्य स्थान का चयन करें।
  • भक्ति और ध्यान: पाठ के समय मन को हनुमान जी के चरणों में केंद्रित रखें।
  • उच्चारण की स्पष्टता: धीरे-धीरे, शुद्ध उच्चारण के साथ पाठ करें।
  • समझ के साथ पाठ: चौपाइयों का अर्थ जानकर पढ़ना ज्यादा फलदायक होता है।
  • नियमितता: सप्ताह में एक या दो बार नहीं, बल्कि नियमित रूप से पढ़ने की आदत बनाएं।

 श्रद्धा बनाम जल्दबाजी – क्या आप भी कर रहे हैं गलती?
बहुत से लोग सोचते हैं कि केवल चालीसा पढ़ लेने मात्र से पुण्य प्राप्त हो जाएगा। लेकिन यदि आप श्रद्धा की जगह सिर्फ संख्या बढ़ा रहे हैं या रटी-रटाई तरह से बिना मन लगाए पाठ कर रहे हैं, तो यह पाठ नहीं, एक औपचारिकता बन जाती है। भगवान हनुमान श्रद्धा और समर्पण के देवता हैं, वह भावना को प्रधानता देते हैं, न कि शब्दों की गिनती को।

सही भाव, सही उच्चारण और सही पथ
हनुमान चालीसा को सिर्फ एक मंत्र या पाठ न मानें, यह एक ऐसा आध्यात्मिक साधन है जो मन, मस्तिष्क और आत्मा को प्रभु के समीप लाने का माध्यम है। अगर आप सही तरीके से, सही उच्चारण और पूर्ण श्रद्धा से इसका पाठ करते हैं, तो न केवल संकट कटते हैं, बल्कि जीवन में आत्मिक शांति और ऊर्जा का संचार होता है।
[ad_2]


रहें हर खबर से अपडेट आशा न्यूज़ के साथ

रहें हर खबर से अपडेट आशा न्यूज़ के साथ

और पढ़े
Advertisement
Advertisement
Back to top button
error: