अहमदाबाद में निकली श्रद्धा और एकता की रथयात्रा, सीएम ने निभाई ‘पहिंद विधि’ की परंपरा

अहमदाबाद में भगवान जगन्नाथ की 148वीं रथयात्रा धूमधाम से निकली। मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने सोने की झाड़ू से रथ की सफाई कर पारंपरिक 'पहिंद विधि' निभाई। उन्होंने भगवान को नगरयात्रा के लिए विदा किया और कहा कि यह यात्रा गुजरात की एकता, आस्था और विकसित भारत की दिशा का प्रतीक है।

  • मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने सोने की झाड़ू से किया रथ शुद्धिकरण, भगवान को नगरयात्रा पर किया विदा
  • 148वीं रथयात्रा बनी सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल, भगवान जगन्नाथ के चरणों में उमड़ा सैलाब
  • जगन्नाथ रथयात्रा पर बोले सीएम – यह गुजरात से विकसित भारत की यात्रा का प्रतीक

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अहमदाबाद की ऐतिहासिक धरती पर एक बार फिर भगवान जगन्नाथ की भव्य रथयात्रा ने आस्था और एकता का संदेश दिया। इस साल 148वीं रथयात्रा के शुभ अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने परंपरागत ‘पहिंद विधि’ निभाते हुए रथ को नगर भ्रमण के लिए प्रस्थान कराया। सुबह-सवेरे मंदिर परिसर में श्रद्धा की गूंज थी। सीएम भूपेन्द्र पटेल ने सबसे पहले भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और बहन सुभद्रा की पूजा-अर्चना कर रथ की विधिवत सफाई सोने की सवारी (झाड़ू) से की। यह वही परंपरा है, जिसे हर वर्ष गुजरात का मुखिया बड़ी श्रद्धा और जिम्मेदारी से निभाता आया है।

भक्ति से निकली रथयात्रा, जनसैलाब बना गवाह

पूरे मंदिर परिसर में जैसे आस्था की नदी बह रही थी। जब सीएम ने रथ की रस्सी खींची, तो जनसागर जयकारों के साथ उमड़ पड़ा। रथ के साथ हजारों श्रद्धालु चले – किसी ने माला लेकर, तो किसी ने हाथ जोड़े। आरती, ढोल, शंख और मंत्रों की गूंज के बीच नगरयात्रा शुरू हुई।

एकता और समर्पण की मिसाल

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मुख्यमंत्री ने इस मौके पर कहा कि “अहमदाबाद की रथयात्रा न केवल धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह गुजरात की सांस्कृतिक विविधता, सामाजिक एकता और भक्ति की भावना का प्रतीक है। भगवान जगन्नाथ को ‘दरीद्रनारायण’ कहा जाता है और वे श्रमिकों, वंचितों के भी आराध्य देव हैं।” उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के सपने का उल्लेख करते हुए कहा कि, “गुजरात से ही विकसित भारत की नींव रखी गई है, और इस रथयात्रा के माध्यम से हम उसी दिशा में आगे बढ़ते हुए सामूहिक संकल्प व्यक्त करते हैं।”

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सहभागिता में दिखी राजनीतिक और आध्यात्मिक एकता

रथयात्रा की विधियों में गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी, सहकारिता मंत्री जगदीश विश्वकर्मा, मेयर प्रतिभा जैन सहित कई गणमान्य लोग मौजूद थे। भगवान जगन्नाथ मंदिर के महंत श्री दिलीपदासजी, अखिल भारतीय संत समिति के अध्यक्ष श्री अविचलदासजी समेत अनेक साधु-संतों और श्रद्धालुओं ने उपस्थिति दर्ज कराई। अषाढ़ी बीज के इस पावन पर्व पर मुख्यमंत्री ने देश-विदेश में बसे सभी कच्छी भाइयों-बहनों को कच्छी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं भी दीं। उन्होंने कहा कि “यह रथयात्रा हमारी सांस्कृतिक आत्मा की झलक है, और यह पर्व हमें हमारी परंपराओं से जोड़ता है।” 148वीं रथयात्रा न केवल भगवान के नगर भ्रमण की यात्रा थी, बल्कि यह जनता, सरकार और समाज के बीच एक नई ऊर्जा, नया संकल्प और नई दिशा का संदेश लेकर चली। सड़कों पर उमड़े भक्तों ने न केवल दर्शन किए, बल्कि उन्होंने अपने अंदर जाग्रत की भक्ति, सेवा और सौहार्द की भावना।


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