फार्मेसी एजुकेशन का भ्रष्टाचार चक्रव्यूह: PCI अध्यक्ष मोंटू पटेल के अहमदाबाद बंगले पर CBI की छापेमारी
CBI ने PCI अध्यक्ष मोंटू पटेल के अहमदाबाद स्थित बंगले पर छापा मारकर फार्मेसी कॉलेजों की मान्यता में भारी भ्रष्टाचार का पर्दाफाश किया है। GPSC सिस्टम में हेरफेर, फर्जी दस्तावेज़ और महाराष्ट्र तक फैले इस घोटाले ने PCI की साख पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।

अहमदाबाद: भारत की फार्मेसी शिक्षा व्यवस्था में फैले बड़े घोटाले की परतें एक-एक कर खुल रही हैं। फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) के अध्यक्ष मोंटू पटेल के अहमदाबाद स्थित जुंडाल बंगले पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने जोरदार छापा मारा। यह कार्रवाई सिर्फ एक व्यक्ति के खिलाफ नहीं, बल्कि पूरे फार्मेसी शिक्षा तंत्र की साख पर बड़ा सवाल खड़ा करती है। CBI की यह छापेमारी उन गंभीर आरोपों की जांच का हिस्सा है, जिनमें दावा किया गया है कि फार्मेसी कॉलेजों को मान्यता देने की प्रक्रिया में भारी भ्रष्टाचार हुआ है—खासकर महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों में। मोंटू पटेल पर आरोप है कि उन्होंने दिल्ली स्थित अपने दफ्तर और निवास से कॉलेजों को पैसों के बदले मान्यता देने का धंधा चलाया।
“पैसे लेकर बांटी जा रही थी फार्मेसी कॉलेजों की मान्यता”
CBI के एक सीनियर अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “हमें ऐसे पक्के सबूत मिले हैं जिनसे यह साफ होता है कि कॉलेजों को मान्यता देने की प्रक्रिया एक बाज़ार बन गई थी, जहाँ कीमत के बदले पहचान मिल रही थी।’’ सीबीआई सूत्रों के अनुसार, मान्यता देने के लिए फर्जी inward नंबर, पुरानी तारीखों के अप्रूवल और GPSC सिस्टम से छेड़छाड़ जैसे तरीके अपनाए गए थे, ताकि पूरी गड़बड़ी को वैधता का चोला पहनाया जा सके।
GPSC सिस्टम में हेरफेर, फर्जी दस्तावेज़ों का जाल
CBI जांच में यह भी सामने आया है कि गुजरात लोक सेवा आयोग (GPSC) के डिजिटल सिस्टम में हेरफेर कर मोंटू पटेल और उनके सहयोगियों को PCI में उच्च पदों पर बिठाया गया। फर्जी फाइलों, बैकडेटेड अप्रूवल और अंदरखाने की सेटिंग के दम पर PCI के अंदर एक ऐसा ‘भ्रष्ट नेटवर्क’ खड़ा किया गया, जो सालों तक फार्मेसी शिक्षा के नाम पर लूट मचाता रहा।
महाराष्ट्र के कॉलेजों पर भी जांच की तलवार
CBI जांच अब गुजरात की सीमाओं से निकलकर महाराष्ट्र तक जा पहुंची है। सूत्रों के अनुसार, महाराष्ट्र के कई फार्मेसी कॉलेजों ने PCI से अवैध तरीके से मान्यता प्राप्त की है। CBI अधिकारी ने कहा, “अब PCI की मान्यता प्रक्रिया की पूरी प्रणाली की समीक्षा की जा रही है।” यानी यह मामला सिर्फ कुछ कॉलेजों तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरी व्यवस्था को हिला देने वाला बन चुका है। इस छापेमारी के बाद फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया की साख पर बड़ा सवालिया निशान लग गया है। शिक्षा विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि PCI की मान्यता प्रक्रिया को पूरी तरह से पारदर्शी और डिजिटल बनाया जाए। एक वरिष्ठ शिक्षा विश्लेषक ने कहा, “यह सिर्फ एक व्यक्ति का मामला नहीं है, बल्कि यह पूरे फार्मेसी शिक्षा ढांचे की विश्वसनीयता का सवाल है। देश की अगली पीढ़ी को झूठे सर्टिफिकेट नहीं, असली ज्ञान चाहिए।”
मोंटू पटेल की गिरफ्तारी अब सिर्फ वक्त की बात?
भले ही CBI ने अभी तक मोंटू पटेल को गिरफ्तार नहीं किया है, लेकिन छापे के दौरान जो डिजिटल और दस्तावेज़ी सबूत हाथ लगे हैं, वो भारी पड़ सकते हैं। अब सवाल यह उठता है कि क्या पटेल की गिरफ्तारी महज़ औपचारिकता है, या इस पूरे भ्रष्टाचार तंत्र के और भी बड़े चेहरे सामने आने बाकी हैं?
क्या अब शिक्षा व्यवस्था बदलेगी?
फार्मेसी शिक्षा में इस स्तर का भ्रष्टाचार सिर्फ PCI तक सीमित नहीं हो सकता। यह एक चेतावनी है कि हमें देश की शिक्षा प्रणाली को साफ-सुथरा, डिजिटल और जवाबदेह बनाना ही होगा। अब समय है कि सरकार और जांच एजेंसियां मिलकर इस चक्रव्यूह को तोड़ें, ताकि छात्रों को मिले सिर्फ ज्ञान – न कि घूस से खरीदी हुई डिग्रियाँ।