अब भी नहीं टूटा राणा का जिहादी जुनून: 26/11 हमले का मास्टरमाइंड उगल रहा ज़हर
26/11 हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा से मुंबई क्राइम ब्रांच ने पूछताछ में सनसनीखेज खुलासे किए। पाक सेना से रिश्तों, हेडली के लिंक, और आतंकी ट्रेनिंग नेटवर्क पर राणा ने कई राज खोले। उसकी बातें आज भी कट्टरपंथी मानसिकता को दर्शाती हैं। राणा खुद को पाकिस्तानी सेना का वफादार मानता है।

मुंबई को दहला देने वाले 26/11 आतंकी हमलों से जुड़ा एक अहम मोड़ हाल ही में तब सामने आया, जब मुंबई क्राइम ब्रांच ने अप्रैल 2025 में इस केस के मुख्य आरोपी तहव्वुर राणा से गहन पूछताछ की। राणा वर्तमान में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की हिरासत में है और उससे निकले खुलासों ने फिर एक बार पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क की जड़ें हिलाकर रख दी हैं।
जवाब पुराने, सोच अब भी ज़हरीली
सूत्रों के मुताबिक, तहव्वुर राणा ने पूछताछ के दौरान कई ऐसे जवाब दिए जो पहले ही रिकार्ड में थे। लेकिन जो चीज़ हैरान करने वाली है, वो है उसका वही पुराना जिहादी सोच और पाकिस्तान पर अटूट भरोसा। अधिकारियों ने कहा कि उसके जवाबों में उसकी कट्टर विचारधारा की झलक साफ नजर आई।
पाकिस्तानी सेना का ‘सीक्रेट सोल्जर’
राणा ने पूछताछ के दौरान दावा किया कि वह पाकिस्तानी सेना का एक भरोसेमंद व्यक्ति था। उसने बताया कि इराक-कुवैत युद्ध के समय उसे सऊदी अरब में एक गुप्त सैन्य मिशन पर भेजा गया था। उसने यह भी बताया कि वह रावलपिंडी के आर्मी मेडिकल कॉलेज से 1986 में MBBS कर चुका है और इसके बाद क्वेटा में सेना में डॉक्टर के तौर पर तैनात हुआ। राणा ने सिंध, बलूचिस्तान, बहावलपुर और सियाचिन जैसे संवेदनशील सैन्य इलाकों में काम किया है।
आतंकी नेटवर्क से गहरे रिश्ते
सबसे चौंकाने वाली बात ये रही कि राणा ने 26/11 के अन्य साजिशकर्ताओं जैसे अब्दुल रहमान पाशा, साजिद मीर और मेजर इकबाल से संबंध होने की बात भी कबूल की। ये तीनों पाकिस्तानी नागरिक हैं और 26/11 हमलों के प्रमुख मास्टरमाइंड माने जाते हैं। तहव्वुर राणा कई भाषाओं जैसे हिंदी, अंग्रेजी, अरबी और पश्तो का ज्ञाता है – जो उसकी इंटरनेशनल कनेक्टिविटी की गवाही देते हैं। पूछताछ में राणा ने डेविड हेडली के बारे में भी कई अहम जानकारियां दीं। उसने बताया कि 2003 और 2004 में हेडली ने लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकी ट्रेनिंग प्रोग्राम में हिस्सा लिया था। हालांकि, वह ट्रेनिंग की सटीक जानकारी देने में विफल रहा। राणा ने यह दावा भी किया कि मुंबई में पहला इमिग्रेशन ऑफिस खोलने का आइडिया उसका खुद का था, ना कि हेडली का। उसके मुताबिक हेडली को भेजी गई धनराशि सिर्फ बिजनेस खर्च के तहत थी। राणा ने यह भी स्वीकारा कि ऑफिस के बावजूद उसे क्लाइंट्स पाने में खासी दिक्कतें आईं।
सेना से भगोड़ा बना, आतंक का एजेंट बना
अपनी सैन्य सेवा के बारे में राणा ने बताया कि सियाचिन में एक ऑपरेशन के दौरान वह पल्मोनरी एडिमा (फेफड़ों की गंभीर समस्या) का शिकार हो गया था, जिससे वह लंबी छुट्टी पर चला गया। बाद में उसे गैरहाजिर रहने के कारण पाकिस्तानी सेना से भगोड़ा घोषित कर दिया गया और बर्खास्त कर दिया गया। राणा ने डेविड हेडली द्वारा कोर्ट में दिए गए तमाम बयानों को भी बारीकी से समझने और पढ़ने की बात मानी है। अधिकारियों का मानना है कि तहव्वुर राणा सिर्फ एक मोहरा नहीं, बल्कि पाकिस्तान की आतंक नीति का गुप्त एजेंट है, जो अब भी अपनी कट्टर सोच और देशविरोधी एजेंडे से पीछे नहीं हटा है।