दूध की कीमतों पर भड़के किसान: साबर डेयरी में हिंसक आंदोलन, एक की मौत
गुजरात की साबर डेयरी में दूध दरों को लेकर पशुपालकों और पुलिस के बीच भयंकर झड़प हुई। एक व्यक्ति की मौत, 4 पुलिसकर्मी घायल, गेट तोड़फोड़ और पथराव के बाद पुलिस ने 70 आंसू गैस शेल दागे और 60 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया। डेयरी बना युद्ध का मैदान।

गुजरात की नामी साबर डेयरी में सोमवार को उस वक्त हालात बेकाबू हो गए जब दूध की दरों को लेकर हजारों पशुपालकों का आक्रोश फूट पड़ा। इडर तालुका के जिंजवा गांव निवासी अशोकभाई चौधरी की इस संघर्ष के दौरान मौत हो गई, वहीं पुलिस पर हुए पथराव में चार जवान घायल हो गए। पुलिस को भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज और आंसू गैस के 70 से अधिक गोले छोड़ने पड़े।
क्या है पूरा विवाद?
पशुपालकों का आरोप है कि इस साल साबर डेयरी ने दूध के भाव में जिस अनुपात में बढ़ोतरी की है, वह बेहद कम है। पिछले वर्ष जहां 17% से अधिक दरें बढ़ाई गई थीं, वहीं इस वर्ष मात्र 9.75% की वृद्धि की गई। पशुपालकों का कहना है कि लागत बढ़ने और मवेशियों के चारे की महंगाई के चलते यह वृद्धि पर्याप्त नहीं है। साथ ही, पिछले साल 602 करोड़ रुपये वितरित किए गए थे, जबकि इस बार केवल 500 करोड़ की रकम तय की गई, जिससे हजारों पशुपालकों में आक्रोश व्याप्त हो गया। हालात की गंभीरता को भांपते हुए पहले से ही साबर डेयरी परिसर को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया था। 100 से ज्यादा पुलिसकर्मी, 4 पुलिस बसें, 2 वज्र वाहन और दर्जनों बाउंसर तैनात थे। बावजूद इसके, जब गेट पर भारी भीड़ जमा हुई और भीतर जाने की इजाज़त नहीं दी गई, तब भीड़ उग्र हो गई। मुख्य गेट को तोड़कर पशुपालक अंदर घुस गए और देखते ही देखते हालात हिंसक हो गए।
झड़प में एक की मौत, पुलिस पर हमला, भारी तोड़फोड़
गेट तोड़ते समय धक्का-मुक्की में अशोकभाई चौधरी गंभीर रूप से घायल हुए और उनकी मौत हो गई। वहीं, गुस्साए पशुपालकों ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया जिसमें चार पुलिसकर्मी घायल हो गए। जवाब में पुलिस ने पहले लाठीचार्ज किया और फिर आंसू गैस के गोले दागे। हालात इतने खराब हो गए कि पुलिस को डेयरी परिसर अपने कब्जे में लेकर भीड़ को पीछे हटाना पड़ा। इस संघर्ष की चपेट में न सिर्फ डेयरी बल्कि आसपास का ट्रैफिक भी आ गया। शामलाजी-अहमदाबाद हाईवे पर पांच किलोमीटर लंबा जाम लग गया। हजारों वाहन जाम में फंसे रहे और लोग घंटों तक परेशान होते रहे। हिम्मतनगर-मोतीपुरा रोड भी पूरी तरह ठप हो गया।
डेयरी का गेट क्षतिग्रस्त, पुलिसकर्मियों से मारपीट
इस हिंसक विरोध के दौरान गेट को भारी नुकसान हुआ। गुस्साए लोगों ने गेट न सिर्फ तोड़ा बल्कि पुलिसकर्मियों से मारपीट भी की। मौके पर तैनात जवानों की संख्या के बावजूद, भीड़ का गुस्सा नियंत्रण से बाहर होता गया और उन्हें हालात पर काबू पाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। अब तक की स्थिति में पुलिस ने 60 से अधिक प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया है और घटनास्थल पर शांति बहाल करने के प्रयास किए जा रहे हैं। प्रशासन के उच्च अधिकारियों की बैठक भी बुलाई गई है, जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी। साथ ही यह आशंका भी जताई जा रही है कि यदि जल्द ही समाधान नहीं निकला, तो आंदोलन और व्यापक रूप ले सकता है। साबर डेयरी सिर्फ दूध का केंद्र नहीं, बल्कि लाखों पशुपालकों की जीवनरेखा है। ऐसे में जब आर्थिक हितों पर कुठाराघात होता है, तो विरोध होना स्वाभाविक है। लेकिन जब ये विरोध हिंसा का रूप ले लेता है, तो समाज, व्यवस्था और लोकतंत्र तीनों ही खतरे में आ जाते हैं। इस संघर्ष ने न सिर्फ सरकार को, बल्कि डेयरी प्रबंधन को भी चेतावनी दी है कि पारदर्शिता और संवाद ही किसी भी संस्था की नींव होते हैं।