राज्यसभा नहीं जाएंगे अरविंद केजरीवाल: लुधियाना उपचुनाव के बाद बड़ा बयान
लुधियाना पश्चिम उपचुनाव में AAP उम्मीदवार संजीव अरोड़ा की जीत के बाद राज्यसभा को लेकर उठी अटकलों पर केजरीवाल ने विराम लगा दिया। उन्होंने कहा, "मैं राज्यसभा नहीं जा रहा।" पार्टी की राजनीतिक समिति तय करेगी कि अरोड़ा की खाली सीट पर अगला उम्मीदवार कौन होगा।

पंजाब की राजनीति एक बार फिर सुर्खियों में है, और इस बार चर्चा का केंद्र कोई और नहीं, बल्कि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल हैं। लुधियाना पश्चिम विधानसभा उपचुनाव में पार्टी के उम्मीदवार संजीव अरोड़ा की जीत के बाद जो सवाल राजनीतिक हलकों में घूम रहा था—क्या केजरीवाल राज्यसभा में जा रहे हैं?—उस पर खुद केजरीवाल ने विराम लगा दिया है। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ शब्दों में उन्होंने कहा, “मैं राज्यसभा नहीं जा रहा।” यह बयान भले ही संक्षिप्त हो, लेकिन इसके राजनीतिक मायने गहरे हैं। बीते कई हफ्तों से राजनीतिक गलियारों में यह कयास लगाए जा रहे थे कि AAP अपने रणनीतिक रुख में बदलाव करते हुए केजरीवाल को पंजाब से राज्यसभा भेज सकती है, खासकर तब जब पार्टी को दिल्ली और MCD दोनों जगहों पर करारी हार झेलनी पड़ी है।
क्यों उठे सवाल?
2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने जबर्दस्त जीत दर्ज की थी। उसी जीत के बलबूते संजीव अरोड़ा को राज्यसभा भेजा गया था। लेकिन इस साल की शुरुआत में जब लुधियाना पश्चिम से उपचुनाव की घोषणा हुई, और पार्टी ने अरोड़ा को मैदान में उतारा, तो चर्चा ने रफ्तार पकड़ी। लोगों को यह सवाल सताने लगा कि अगर अरोड़ा विधायक बनते हैं, तो उनकी राज्यसभा सीट खाली होगी, और क्या उस पर अरविंद केजरीवाल काबिज होंगे? चुनाव प्रचार में खुद केजरीवाल की सक्रियता ने इन अटकलों को और हवा दी। वह लगातार पंजाब का दौरा करते रहे, रैलियों में मौजूद रहे और संजीव अरोड़ा के लिए जनता से वोट मांगते नजर आए। उनके इतने सक्रिय रहने को कुछ राजनीतिक विश्लेषकों ने “राज्यसभा की तैयारी” तक करार दे दिया। केजरीवाल ने इस मुद्दे पर दो टूक कहा कि “मुझे कई बार राज्यसभा भेजे जाने की चर्चा की जाती है। लेकिन मैं स्पष्ट कर दूं, मैं वहां नहीं जा रहा। पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति यह तय करेगी कि अगला उम्मीदवार कौन होगा।” इससे पहले भी, जब मीडिया में यह खबरें चल रही थीं कि केजरीवाल पंजाब के मुख्यमंत्री बन सकते हैं या फिर राज्यसभा जाएंगे, AAP की प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने इन सभी खबरों को बेबुनियाद बताया था। उन्होंने कहा था कि मीडिया की अटकलें बार-बार गलत साबित हुई हैं और यह भी उन्हीं में से एक है।
AAP की वर्तमान स्थिति
AAP की राष्ट्रीय राजनीति में स्थिति पिछले कुछ महीनों में बदली है। दिल्ली में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा, MCD में भी सत्ता हाथ से निकल गई और अब एकमात्र मजबूत गढ़ बचा है—पंजाब। ऐसे में राज्यसभा जैसी महत्वपूर्ण सीट को लेकर पार्टी के अंदर गहन चर्चा होना लाजमी था। सूत्रों की मानें तो यह सीट रणनीतिक दृष्टिकोण से काफी अहम मानी जा रही है। पार्टी के अंदरूनी हलकों में यह भी माना जा रहा है कि इस सीट पर ऐसा चेहरा लाया जाए जो राष्ट्रीय स्तर पर AAP को मजबूती दे सके, लेकिन साथ ही पंजाब के हितों का भी प्रतिनिधित्व कर सके। हालांकि केजरीवाल के इस बयान के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि वह खुद इस भूमिका में नहीं आने वाले। केजरीवाल का यह फैसला न सिर्फ उनकी भूमिका को दिल्ली तक सीमित करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि वह अभी भी अपनी जड़ों यानी जनआंदोलन और दिल्ली मॉडल को प्राथमिकता दे रहे हैं। राज्यसभा की राह छोड़ना, ऐसे समय में जब पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर चेहरों की ज़रूरत है, एक साहसिक निर्णय भी है। अरविंद केजरीवाल ने राजनीति के उस रास्ते को अस्वीकार कर दिया है, जिसे अक्सर वरिष्ठ नेता ‘सम्मानजनक विदाई’ के रूप में चुनते हैं—राज्यसभा की सीट। उनकी स्पष्टता और पार्टी की सामूहिक निर्णय प्रणाली पर भरोसा, AAP को एक अलग राजनीतिक संस्कृति के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक और कदम है।