12 दिन की जंग के बाद थमा बारूद का धुआं: इजराइल-ईरान में सुलह
12 दिन तक चले इजराइल-ईरान युद्ध के बाद मंगलवार को अमेरिका की मध्यस्थता से सीजफायर हुआ। नेतन्याहू ने इसे "ऐतिहासिक विजय" कहा, जबकि ईरान ने न्यूक्लियर प्रोग्राम जारी रखने की घोषणा कर दी। BRICS ने अमेरिका-इजराइल की कार्रवाई को गलत ठहराते हुए शांति और संयम की अपील की है।

नई दिल्ली/तेहरान/यरुशलम: बारूद की गंध, मिसाइलों की गूंज और राजनीतिक बयानों की गरमी के बीच 12 दिन बाद मंगलवार को आखिरकार इजराइल और ईरान ने युद्धविराम का ऐलान कर दिया। यह युद्ध जितना सैन्य मोर्चे पर लड़ा गया, उससे कहीं अधिक यह ताकत, दबदबे और कूटनीति की लड़ाई भी थी। हालांकि गोलीबारी रुक चुकी है, पर तनाव की चिंगारी अभी भी दोनों देशों की नीतियों में साफ नजर आ रही है।
अमेरिका की मध्यस्थता से थमा युद्ध
सीजफायर की घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपति ने मंगलवार तड़के 3:30 बजे सोशल मीडिया पर की। अमेरिका ने इस बार प्रत्यक्ष सैन्य हस्तक्षेप से दूरी बनाए रखी, लेकिन पर्दे के पीछे डिप्लोमैटिक फोन कॉल्स, गुप्त वार्ताएं और अंतरराष्ट्रीय दबाव का खेल चलता रहा। सूत्रों के अनुसार, सीजफायर तक पहुंचने में रूस और चीन की भूमिका भी अहम रही।
नेतन्याहू का ऐलान: “हमारी दहाड़ से कांपा तेहरान”
इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने युद्धविराम की घोषणा के बाद राष्ट्रीय टेलीविजन पर अपने संबोधन में कहा, “हमने ईरान को ऐसा जवाब दिया है जिसे वो दशकों तक याद रखेगा। इजराइल ने इतिहास रच दिया है।” नेतन्याहू ने इस युद्ध को इजराइल की आत्मरक्षा की संज्ञा दी और कहा कि उनका लक्ष्य केवल अपने नागरिकों की सुरक्षा था, न कि कोई आक्रामक विस्तारवादी नीति।
ईरान का पलटवार: “हम नहीं झुकेंगे, न्यूक्लियर मिशन जारी रहेगा”
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने भी सीजफायर की पुष्टि की, लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया कि उनका देश अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम को किसी कीमत पर नहीं रोकेगा। “हमने इस तकनीक को खून-पसीने से पाया है। हमारे वैज्ञानिकों ने शहादतें दी हैं, यह हमारा राष्ट्रीय सम्मान है। इसे कोई नहीं छीन सकता।” तेहरान में इस बयान के तुरंत बाद ‘विक्ट्री सेलिब्रेशन’ का आयोजन हुआ, जहां हजारों लोगों ने अमेरिका और इजराइल के खिलाफ नारे लगाए और “हम नहीं झुकेंगे” जैसे नारों से राजधानी की सड़कों को भर दिया।
BRICS का हस्तक्षेप: अमेरिका और इजराइल पर तीखी प्रतिक्रिया
सीजफायर के कुछ घंटे बाद BRICS देशों—ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका—ने एक संयुक्त बयान जारी कर इजराइली और अमेरिकी हमलों की निंदा की। बयान में कहा गया: “ईरान की न्यूक्लियर सुविधाओं पर हमला अंतरराष्ट्रीय नियमों, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और IAEA दिशा-निर्देशों का सीधा उल्लंघन है। यह न केवल क्षेत्रीय स्थिरता को खतरे में डालता है बल्कि वैश्विक स्तर पर नई अशांति को जन्म देता है।” BRICS ने दोनों देशों से संयम बरतने और बातचीत से समाधान निकालने का आग्रह किया। इस 12 दिवसीय संघर्ष में दोनों ही देशों को आर्थिक, सामाजिक और सैन्य नुकसान उठाना पड़ा। रिपोर्ट्स के मुताबिक: इजराइल में 300 से अधिक मिसाइलें दागी गईं, जिनमें 50 से अधिक आम नागरिक घायल हुए। गाजा से लगे इलाकों में स्कूल, अस्पताल और पावर स्टेशन क्षतिग्रस्त हुए। ईरान में दर्जनों ठिकानों पर हमले हुए, जिसमें परमाणु संयंत्र के आसपास सुरक्षा चक्र को नुकसान पहुंचा। हालांकि तेहरान ने भारी नुकसान की पुष्टि नहीं की है, लेकिन सैटेलाइट इमेज्स और मीडिया रिपोर्ट्स से क्षति स्पष्ट है।
अब आगे क्या?
विश्लेषकों का मानना है कि यह युद्धविराम स्थायी नहीं हो सकता। इजराइल की ओर से भले ही सैन्य कार्रवाई को “आत्मरक्षा” का नाम दिया जा रहा हो, लेकिन ईरान की तरफ से न्यूक्लियर प्रोग्राम जारी रखने की जिद आने वाले समय में टकराव को फिर से जन्म दे सकती है। संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और अन्य वैश्विक संस्थाएं इस युद्धविराम को ‘अस्थायी राहत’ मान रही हैं। कूटनीति के जानकारों का मानना है कि अगर BRICS और पश्चिमी देशों के बीच बयानबाजी और दखलअंदाजी यूं ही बढ़ती रही, तो यह क्षेत्रीय युद्ध वैश्विक मोर्चे का रूप भी ले सकता है। 12 दिन के संघर्ष के बाद भले ही हथियार चुप हो गए हों, लेकिन यह स्पष्ट है कि लड़ाई विचारधारा, सम्मान और प्रभुत्व की थी, जो कागज पर शांति की शक्ल में अब भी जीवित है। युद्धविराम केवल एक ‘विराम’ है, समाप्ति नहीं।