भरूच में मनरेगा घोटाला: कांग्रेस नेता समेत दो गिरफ्तार, 7.5 करोड़ की हेराफेरी का खुलासा

  • मनरेगा में भ्रष्टाचार: 58 गांव, 430 फर्जी काम और करोड़ों का भुगतान
  • ग्रामीण विकास के नाम पर लूटी जनता की गाढ़ी कमाई, पुलिस ने कसा शिकंजा

    Jotva Vasava भरूच में मनरेगा घोटाला: कांग्रेस नेता समेत दो गिरफ्तार, 7.5 करोड़ की हेराफेरी का खुलासा

गुजरात के भरूच ज़िले से एक सनसनीखेज घोटाले की परतें खुल रही हैं, जिसमें ग्रामीण विकास के नाम पर करोड़ों रुपये की हेराफेरी का पर्दाफाश हुआ है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत भरूच जिले के 58 गांवों में हुए कार्यों में 7.5 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार की जांच तेज हो गई है। इस मामले में कांग्रेस नेता हीरा जोटवा और हांसोट तालुका पंचायत के ऑपरेटर हिरेन टेलर को हिरासत में लिया गया है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, गिर सोमनाथ के वेरावल से गिरफ्तार किए गए हीरा जोटवानी से भरूच ‘ए’ डिविजन पुलिस द्वारा रातभर पूछताछ की गई। इसी घोटाले से जुड़े एक अन्य आरोपी हिरेन टेलर से भी कई घंटे तक जवाब-तलब किया गया। ये दोनों मिलकर योजनाओं में हुए कामों की फर्जी रिपोर्टिंग और बिलिंग के जरिए फंड की हेराफेरी में संलिप्त थे।

430 फर्जी काम, 7.30 करोड़ का पेमेंट
जांच में यह बात सामने आई है कि गिर सोमनाथ स्थित जालाराम एंटरप्राइज़ और मुरलीधर एंटरप्राइज़ नामक एजेंसियों ने आमोद, जंबूसर और हांसोट तालुकाओं में मनरेगा के तहत कुल 430 कार्यों को अंजाम दिया दिखाया, जबकि ज़मीन पर कोई कार्य हुआ ही नहीं। इन कार्यों के बदले एजेंसियों को करीब 7.30 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। पुलिस में शिकायत ग्राम विकास एजेंसी के परियोजना अधिकारी द्वारा दर्ज करवाई गई है, जिसमें स्पष्ट रूप से आरोप है कि कार्य बिना किए ही भुगतान किया गया, जिससे सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ है।

56 गांवों तक फैला घोटाले का जाल
भ्रष्टाचार का यह जाल केवल एक गांव या पंचायत तक सीमित नहीं रहा। जांच में खुलासा हुआ है कि यह गड़बड़ी भरूच जिले के 56 से अधिक गांवों तक फैली हुई है। यहां न तो कोई निर्माण कार्य हुआ और न ही ग्रामीणों को रोजगार मिला, लेकिन कागजों पर सबकुछ पूरा दिखाया गया। शिकायतों के अनुसार, इन कार्यों में बड़ी मात्रा में नकली मस्टर रोल, फर्जी उपस्थिति, और पेमेंट वाउचर बनाए गए। यहां तक कि कई मृत लोगों के नाम पर भी भुगतान किए जाने की आशंका जताई जा रही है।

राजनीतिक संरक्षण की भी आशंका
सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि इतने बड़े स्तर पर हुई गड़बड़ी में किन-किन नेताओं और अफसरों की मिलीभगत रही? एजेंसियों को किसके संरक्षण में इतना बड़ा फंड जारी हुआ? इस मामले में विपक्षी दल के नेता हीरा जोटवानी की गिरफ्तारी ने राजनीतिक हलकों में खलबली मचा दी है। इससे पहले भी राज्य के अन्य जिलों, जैसे दाहोद में मंत्री के पुत्रों पर इसी तरह के मनरेगा घोटाले में कार्रवाई हो चुकी है। मनरेगा यानी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में हर साल न्यूनतम 100 दिनों का रोजगार प्रदान करना है। यह योजना ग्रामीणों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और उनके जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए शुरू की गई थी। लेकिन भ्रष्टाचार के चलते इस योजना की आत्मा को ही चोट पहुंच रही है।

क्या होगा आगे?
भरूच ए डिविजन पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर ली है और अन्य संदिग्धों की तलाश की जा रही है। घोटाले में शामिल अन्य पंचायत पदाधिकारी, आउटसोर्स कर्मचारी, और एजेंसियों के मालिकों से पूछताछ जारी है। यह भी जांच की जा रही है कि किन उच्च पदस्थ अधिकारियों की अनदेखी या सहमति से यह भुगतान हुआ।

Advertisement

Advertisement


रहें हर खबर से अपडेट आशा न्यूज़ के साथ

रहें हर खबर से अपडेट आशा न्यूज़ के साथ

और पढ़े
Advertisement
Advertisement
Back to top button
error: