न वीज़ा, न पासपोर्ट – भूख की तलाश में जबलपुर तक पहुंचा मुसाफिर अब लौटेगा वतन

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जबलपुर। डुमना एयरपोर्ट के शांत से माहौल में उस दिन हलचल मच गई, जब एक अजनबी युवक संदिग्ध स्थिति में पकड़ा गया। कोई नहीं जानता था कि यह युवक कौन है, कहां से आया है, और उसका उद्देश्य क्या है। लेकिन जैसे-जैसे परतें खुलीं, सामने आई एक मानवीय कहानी – भूख, भटकाव और अब घर वापसी। 27 मई की सुबह, जबलपुर के डुमना एयरपोर्ट परिसर में सुरक्षा बलों की नज़र एक ऐसे युवक पर पड़ी, जो आसपास बिना उद्देश्य के घूम रहा था। प्रारंभिक पूछताछ में जब युवक किसी भी स्थानीय भाषा में संवाद नहीं कर पाया, तो संदेह और गहरा गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने उसे हिरासत में लिया और जाँच शुरू की गई।

भूख और भटकाव की मूक कहानी
पूछताछ के लिए ट्रांसलेटर बुलाया गया, तब जाकर स्पष्ट हो पाया कि युवक बांग्लादेश का निवासी है। उसका नाम रहमत अली (25 वर्ष) है, जो बागुड़ा जिले के रामचंद्रपुर गांव का रहने वाला है। रहमत ने बताया कि वह एक फूल बेचने वाला है और भोजन की तलाश में अपने 9 दोस्तों के साथ भारत की ओर निकला था। लेकिन, नियति की मार देखिए, वह दोस्तों से बिछड़कर अकेला पैदल ही मध्यप्रदेश के जबलपुर तक पहुंच गया। मानसिक रूप से भी वह पूरी तरह संतुलित नहीं लग रहा था, जिससे उसकी स्थिति और चिंताजनक हो गई। जबलपुर पुलिस ने तत्काल बांग्लादेश दूतावास को सूचना दी और प्रक्रिया को औपचारिक रूप से आगे बढ़ाया।

जांच में नहीं मिला कोई आपराधिक संकेत
रहमत की स्थिति और उसके बयानों की पुष्टि के लिए पुलिस ने सीमा सुरक्षा बल (BSF) और विदेश मंत्रालय से रिपोर्ट माँगी। कई दिनों तक चली पड़ताल के बाद यह निष्कर्ष सामने आया कि युवक का कोई आपराधिक या संदिग्ध उद्देश्य नहीं था। वह न तो किसी नेटवर्क से जुड़ा था और न ही किसी अवैध गतिविधि में संलिप्त पाया गया। विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट आने के बाद, यह निर्णय लिया गया कि रहमत को मानवीय आधार पर उसके देश वापस भेजा जाएगा। इस फैसले से न केवल कानून का पालन सुनिश्चित हुआ, बल्कि एक ऐसे भटके हुए इंसान को सुरक्षित लौटाने की जिम्मेदारी भी निभाई गई।

22 जून को होगी घर वापसी
अब रहमत अली की वापसी की तारीख तय हो चुकी है। 22 जून को उसे पश्चिम बंगाल के हावड़ा में सीमा सुरक्षा बल के हवाले किया जाएगा। वहां से बीएसएफ उसे बांग्लादेश की सीमा तक पहुंचाने की प्रक्रिया पूरी करेगा। इससे पहले आवश्यक कागज़ी कार्रवाई, स्वास्थ्य जांच और यात्रा की व्यवस्थाएं पूरी कर ली जाएंगी।यह मामला कानून व्यवस्था के साथ-साथ मानवीय दृष्टिकोण की एक मिसाल बनकर सामने आया है। जिस देश की धरती पर युवक अनजाने में कदम रख बैठा, उसी देश ने उसे सम्मान, सुरक्षा और गरिमा के साथ घर भेजने की जिम्मेदारी उठाई।

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भूले राह, मिल गई मंज़िल
रहमत अली का यह सफर न सिर्फ एक भूले हुए मुसाफिर की कहानी है, बल्कि यह दर्शाता है कि अंतरराष्ट्रीय सीमाएं भले ही दो देशों को बांटती हों, लेकिन इंसानियत की डोर उन सभी सीमाओं को पार कर जाती है। भारत की न्याय प्रणाली और मानवीय दृष्टिकोण ने यह दिखा दिया कि जरूरतमंद को वापस रास्ता दिखाना, सबसे बड़ी सेवा है।
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