धार का इमामबाड़ा विवाद: कोर्ट ने दिया दो हफ्ते में खाली करने का आदेश
धार के हटवाड़ा स्थित इमामबाड़ा को लेकर बड़ा फैसला आया है। SDM कोर्ट ने दो सप्ताह में परिसर खाली करने का आदेश दिया है। PWD की जमीन पर बिना किराया दिए कब्जे को लेकर आदेश जारी हुआ। हिंदू पंचायत ने प्रशासन को अल्टीमेटम दिया, तनाव के बीच पुलिस बल तैनात।

धार में इमामबाड़ा विवाद: दो सप्ताह में खाली करने का आदेश, बढ़ा तनाव, प्रशासन अलर्ट
धार ज़िले के हटवाड़ा इलाके में बने ऐतिहासिक इमामबाड़ा को लेकर प्रशासन और समाज के बीच गंभीर टकराव की स्थिति बन गई है। सरकारी जमीन पर बने इस धार्मिक स्थल को खाली कराने के लिए राजस्व न्यायालय ने सख्त आदेश जारी किया है। अब ताजिया कमेटी के पास दो सप्ताह का समय है – या तो परिसर खाली करें या फिर कानूनी कार्रवाई के लिए तैयार रहें।
इमामबाड़ा बना विवाद की जड़, प्रशासन ने दी दो हफ्तों की मोहलत
धार के हटवाड़ा में स्थित इमामबाड़ा, वर्षों से ताजिया कमेटी के अधीन है। यह भवन मध्यप्रदेश शासन के लोक निर्माण विभाग (PWD) की संपत्ति है, जिस पर ताजिया कमेटी ने कथित रूप से किराएदार की हैसियत से कब्जा कर रखा था। लंबे समय से किराया नहीं चुकाने और कानूनी प्रक्रिया की अनदेखी के बाद अब मामला निर्णायक मोड़ पर आ पहुंचा है। अनुविभागीय अधिकारी (SDO) के राजस्व न्यायालय ने मध्यप्रदेश लोक परिसर बेदखली अधिनियम, 1974 के तहत आदेश पारित करते हुए दो सप्ताह में परिसर खाली करने को कहा है। यह आदेश सोमवार रात को इमामबाड़ा परिसर के मुख्य दरवाजे पर चस्पा किया गया।
सांप्रदायिक तनाव की आशंका, पुलिस बल तैनात
जैसे ही आदेश की सूचना मुस्लिम समाज में फैली, बड़ी संख्या में लोग मौके पर एकत्र होने लगे। स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने इलाके में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया है। जिला प्रशासन किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए पूरी सतर्कता बरत रहा है।
हिंदू पंचायत का अल्टीमेटम: 16 जुलाई के बाद तालाबंदी करेंगे
इसी प्रकरण में हिंदू सांस्कृतिक मंच और धरोहर रक्षा समिति ने हाल ही में एक हिंदू पंचायत का आयोजन किया था, जिसमें प्रशासन की कार्रवाई में हो रही देरी पर नाराजगी जताई गई थी। पंचायत में तीन प्रस्ताव पारित हुए:
- 16 जुलाई तक प्रशासन को कार्रवाई के लिए समय देना।
- यदि तब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो 31 जुलाई को स्वयं इमामबाड़ा पर ताला लगाना।
- भवन का उपयोग केवल ताजिया ही नहीं, बल्कि अन्य धार्मिक आयोजनों जैसे गणेश उत्सव के लिए भी प्रशासन से किराए पर मांगा जाएगा।
ताजिया कमेटी का पक्ष: वर्षों से चला आ रहा है धार्मिक आयोजन
ताजिया कमेटी की ओर से अभी तक कोई औपचारिक बयान नहीं आया है, लेकिन समाज के लोगों का कहना है कि इमामबाड़ा वर्षों से धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों का केंद्र रहा है। उनका तर्क है कि यह केवल भवन नहीं, बल्कि धार्मिक आस्था का स्थल है और प्रशासन को कोई भी कार्रवाई संवेदनशीलता से करनी चाहिए।
कोर्ट का 45 पेज लंबा फैसला – बेदखली अनिवार्य
पूरा मामला जब कोर्ट में पहुंचा, तो सुनवाई के बाद न्यायालय ने 45 पन्नों का विस्तृत आदेश जारी किया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इमामबाड़ा शासकीय भूमि पर अवैध कब्जा है, और ताजिया कमेटी की हैसियत किराएदार की थी, जो कि अब वैधानिक रूप से खत्म हो चुकी है। आदेश में कहा गया है कि बिना किसी कानूनी अधिकार के इस सरकारी भवन पर कब्जा किया गया है, और अब इसे दो सप्ताह में खाली करना अनिवार्य है।यह मामला अब केवल भूमि विवाद का नहीं, बल्कि सांप्रदायिक संतुलन और कानून व्यवस्था की परीक्षा बन चुका है। प्रशासन की ज़िम्मेदारी है कि वह न्यायालय के आदेश का पालन सुनिश्चित करे, लेकिन साथ ही किसी भी प्रकार की सांप्रदायिक चिंगारी को भड़कने से रोके। आने वाले दो सप्ताह इस मामले में निर्णायक होंगे – क्या इमामबाड़ा खाली होगा या टकराव बढ़ेगा?