यूपी में पुलिस का तांडव, गिरी तीन लाशें आधा दर्जन घायल

    उत्तर प्रदेश : सीतापुर जिले के महोली कोतवाली की बड़ागांव चौकी की घटना में तीन लोगों की जान गई और आधा दर्जन के लगभग लोग घायल हो गए। यह घटना वर्तमान प्रधान और संभावित प्रधान पद के प्रत्याशी जितेंद्र मिश्र के बीच हुई। माना जा रहा था कि वर्तमान प्रधान हरिवंश उर्फ़ भूरे सिंह की फिजा से अधिक अचछी फिजा थी जो भूरे सिंह को अखर रही थी। 25 जून 2014 दिन गुरूवार पुलिस के गुंडाराज का एक और भयानक दिन बनकर सामने आया इस दिन पुलिस ने बर्बरता से तीन लोगों की हत्या करने में खुलेआम सहयोग किया।
         इस घटना में पुलिस की कार्यशैली फिर सवालों के घेरे में घिरती नजर आ रही है। हालही मेँ यूपी के सीतापुर जिले के महोली कोतवाली की बड़ागांव चौकी की घटना से पूरा इलाका थर्रा गया। घटना स्थल वाली बड़ागांव चौकी से लेकर पीड़ित घर तक वाकई बहुत पुलिस बल दिखाई दिया लेकिन वह सारे जवान सोते और आराम फरमाते नजर आ रहे थे। यहाँ पुलिस द्वारा कई दिनों बाद भी कहने को इलाका छावनी में तब्दील था लेकिन तैनात पुलिस बल महज खानापूर्ति में लगा नजर आ रहा था।
        पीड़ित के घर बदहवास औरते चीख़ रही थीं। उन औरतों की चीख पुकार आम जनता के साथ हो रहे पुलिसिया गुंडई को दर्शा रही थी। घर के बाहर कुछ घायल मिले जिनसे पूंछने पर पता चला कि वह क्रूर पुलिस का शिकार हुए लोग हैं। ऋषभ मिश्र, सनोज, राम अनुज, रामलोटन नाम के घायल व्यक्तियों से मिलने पर उनके आंसुओं की धार बाह निकली। घायलों ने बताया कि गाँव के ही वर्तमान प्रधान ने उनके घर के बच्चों को केरोसिन लेने भेजने पर मारा पीटा जिसकी शिकायत छोटू नामक बच्चे ने घर आकर की। जिसके बाद उन लोगों ने विरोध करते हुए पुलिस चौकी में शिकायत दर्ज कराने का फैंसला लिया। ऋषभ बताते हैं कि कुछ ही छणो में उनके भाई जितेंद्र मिश्र को पुलिस ने फोन किया और चौकी पर बुलाया।
        घायल प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार चौकी जाने पर पता चला हेड कांस्टेबल अभिलाष कुमार ने साजिसन उन्हें चौकी बुलाया है जिसके बाद सिपाही उपेन्द्र यादव ने डंडा चलाना शुरू कर दिया। मौके पर मौजूद प्रधान हरिबंश के पक्ष के लोग चौकी में असलहों, काता, बल्लम और डंडो के साथ मौजूद थे। विपक्षियों ने गोली बारी भी कर दी जो पूर्वनियोजित और योजनाबद्ध था। ऋषभ ने बताया निहत्थे होने और पुलिस पर विशवास होने के कारण हम लोग असावधान थे नतीजन जीतेन्द्र (33 वर्ष), लालजी (48वर्ष) और सुन्दर (40 वर्ष) की मौत हो गयी। इधर दोनों पुलिस कर्मी घटना के पश्चात मौके से फरार हो गये।
        जब आला अधिकारी घटना स्थल पर पहुचे तब दोनों पुलिस कर्मियों ने अधिकारियों को बताया कि दो पक्षों में विवाद हो गया जिसके कारण फायरिंग हुई और उन्हें जान बचाकर भागना पड़ा। जब्कि जीतेन्द्र के घरवालों के अनुसार वह पुलिस के बुलाने पर गया था। सवाल यह भी है कि चौकी के अंदर इतने ओजार ले जाने पर भी पुलिस को आपत्ति क्यों नहीं हुई। पुलिस के अनुसार लगभग 50 राउंड फायरिंग हुई। लोगों की सुरक्षा अब किसके भरोसे हो यह सवाल तो उभरा ही साथ ही वर्दीधारी गुंडागर्दी के कारण पुलिस सुधार की प्रबल आवश्यकता फिर से प्राथमिक आवश्यकता के रूप में सामने आई है। यूपी की पुलिस भले ही भयमुक्त समाज की स्थापना का ढिंढोरा पीट रही हो पर सच्चाई यह है कि अब खाकी का भय यूपी के जनमानस पर स्पष्ट देखा जा रहा है। शासन की कठपुतली बन कर कभी यह पुलिस आम जनता के साथ तांडव करती नजर आती है तो कभी निर्दोषों का खून खुले आम बहा देती है जी हाँ अब यह यूपी की पुलिस का इतिहास और वर्तमान है। पुलिस तंत्र के सिपाहियों से लेकर अधिकारियों तक के बड़े बड़े तोंद उनकी अकर्मण्यता का उदाहरण हैं। यह थानों में आका बन कर बैठते हैं और फिर वहीँ से गुंडाराज चलाते हैं।
         स्थानीय समाचार पत्रों से लेकर बड़े बड़े समाचार पत्रों में दिखाया गया कि चौकी में बवाल और हत्याओं के कारण पुलिस कर्मी चौकी छोड़ कर भाग गए। हकीकत बड़ागांव के प्रत्यक्षदर्शियों ने कुछ और ही बयाँ की। एक ऐसी हकीकत जो पुलिस विभाग के आला अधिकारियों के मुह पर भी एक करारा तमाचा थी। घटना के तुरंत बाद पुलिस विभाग के बड़े अधिकारियों ने बात को दबाने के लिए पीड़ित परिवार के साथ मिलकर सहानुभूति व्यक्त कर कार्यवाही का आश्वासन दिया। यहाँ कहने को इलाका छावनी में तब्दील था लेकिन तैनात पुलिस बल महज खानापूर्ति में लगा नजर आ रहा था। पीड़ित के घर बदहवास औरते चीख़ रही थीं। उन औरतों की चीख पुकार आम जनता के साथ हो रही पुलिसिया गुंडई को स्पष्ट दर्शा रही थी। इतिहास पलटा जाए तो खाकी पर पहले भी कई दाग लग चुके हैं। कुछ दिनों पूर्व कुछ पुलिस वालों ने शाहजहाँपुर के वरिष्ठ पत्रकार को घर जाकर जबरदस्ती जिन्दा जला दिया था। बड़ी बड़ी बाते करने वाली उत्तर प्रदेश पुलिस न सिर्फ हत्त्याओं, उत्तपीडनो, शोसणो, रिपोर्ट बदलवाने के आरोप लगे हैं बल्कि वह खुलेआम अपराध करती नजर आ रही है। अपराध के बाद उस पर लीपापोती करने का बखूबी महारथ भी यूपी पुलिस को हासिल है।
( फाइल फोटो मृतक क्रमशः एवं घायलों की फोटो)
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रामजी मिश्र ‘मित्र ‘

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