संघ से संगठन तक: हेमंत खंडेलवाल की निर्विवाद ताजपोशी से मोहन यादव की रणनीति पर लगी मुहर
हेमंत खंडेलवाल को भाजपा मध्य प्रदेश का नया अध्यक्ष निर्विरोध चुना गया है। यह फैसला मुख्यमंत्री मोहन यादव की रणनीति का परिणाम है। पार्टी ने जाति, क्षेत्र और लिंग के बजाय निष्ठा और योग्यता को महत्व दिया। यह भाजपा के संगठनात्मक मूल्यों की शानदार मिसाल है।

मध्यप्रदेश की राजनीति में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी ने अपने परिपक्व और चौंकाने वाले फैसले से सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। बिना किसी औपचारिक शोर-शराबे, पोस्टर-बैनर या गुटबाजी के हेमंत खंडेलवाल को भाजपा मध्य प्रदेश का नया प्रदेश अध्यक्ष चुन लिया गया। इस निर्णय ने यह सिद्ध कर दिया कि अब पार्टी में न तो जातिगत समीकरणों का दौर चलेगा और न ही क्षेत्रीय दबाव की राजनीति को कोई तवज्जो मिलेगी। यह चयन न केवल हेमंत खंडेलवाल के लिए बल्कि भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं के लिए एक बड़ा संदेश है कि संगठन में निष्ठा और योग्यता ही सर्वोच्च मूल्य हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की रणनीति इस फैसले में पूरी तरह से परिलक्षित होती है, जिन्होंने नेतृत्व परिवर्तन को एक सौम्य लेकिन निर्णायक तरीके से अंजाम दिया।
सियासी समीकरणों को धता बताते हुए बना निष्कलंक नेतृत्व
ग्वालियर के तनाव, आदिवासी इलाकों की मांग, महिला सशक्तिकरण जैसे कई संभावित समीकरण इस बार भी सुर्खियों में रहे। मगर भाजपा ने सभी अनुमानों को किनारे करते हुए एक ऐसा नाम चुना जो न विवादित रहा, न गुटबाजी का हिस्सा बना – हेमंत खंडेलवाल। इस चयन से यह स्पष्ट संदेश गया है कि मध्य प्रदेश भाजपा में पद नहीं, प्रतिष्ठा और परिश्रम मायने रखता है।
हेमंत खंडेलवाल का चयन – योग्यता का सम्मान
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस चयन में निर्णायक भूमिका निभाई। उन्होंने न केवल खंडेलवाल का नाम प्रस्तावित किया, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि उन्हें सर्वसम्मति से स्वीकार किया जाए। इस कदम ने भाजपा की भीतरी राजनीति में मोहन यादव के बढ़ते प्रभाव और संगठनात्मक पकड़ को मजबूती से रेखांकित किया है।
हेमंत खंडेलवाल के चयन के पीछे तीन मजबूत कारण हैं:
- RSS से करीबी नाता:
खंडेलवाल की छवि एक अनुशासित, साफ-सुथरे और समर्पित कार्यकर्ता की रही है। संघ से गहरी नजदीकी और वैचारिक प्रतिबद्धता ने उन्हें पार्टी नेतृत्व के लिए एक स्वाभाविक पसंद बना दिया। - संगठनात्मक दक्षता:
कोषाध्यक्ष के तौर पर हेमंत खंडेलवाल ने पार्टी के आर्थिक और आंतरिक प्रशासनिक तंत्र को बड़ी कुशलता से संभाला है। उनकी नीतिगत स्पष्टता और विनम्र नेतृत्वशैली उन्हें स्वीकार्य बनाती है। - छात्र राजनीति से नेतृत्व तक:
खंडेलवाल का सियासी सफर छात्रों के बीच से शुरू होकर विधानसभा और संगठन तक पहुंचा है। यह दिखाता है कि भाजपा अब कार्यकर्ता से नेता बनने की संस्कृति को और मजबूत कर रही है। - मोहन यादव और खंडेलवाल – समांतर वैचारिक धारा
मुख्यमंत्री मोहन यादव स्वयं भी RSS पृष्ठभूमि से हैं और उनका राजनीतिक जीवन संगठन के अनुशासन से पगा हुआ है। खंडेलवाल और मोहन यादव दोनों ही भाजपा की मूल विचारधारा के सच्चे वाहक माने जाते हैं। इन दोनों नेताओं का नेतृत्व अब मध्य प्रदेश भाजपा को नए सिरे से दिशा देने जा रहा है।
मध्य प्रदेश की राजनीति की खासियत: स्थिरता और स्वाभिमान
देश के सात राज्यों से घिरे इस प्रदेश में राजनीतिक तौर पर कोई बाहरी असर नहीं चलता। यहां की राजनीति का अपना अलग संतुलन है – विचारों, मूल्य और जमीनी हकीकतों का। यही कारण है कि यहां जाति या क्षेत्र के नाम पर कोई नेता थोपा नहीं जाता। भाजपा ने इस परंपरा को बनाए रखते हुए यह सुनिश्चित किया कि न कोई बाहरी दबाव चले और न ही कोई गुट विशेष हावी हो। हेमंत खंडेलवाल की नियुक्ति एक प्रतीक है – उस बदलाव की जो बिना आवाज किए राजनीति में स्थायित्व और निष्ठा का संदेश देता है। यह भाजपा के नए युग की शुरुआत है जिसमें संगठन सर्वोपरि है, नायक निर्विवाद है और नेतृत्व वैचारिक रूप से सशक्त है। मोहन यादव ने फिर साबित कर दिया कि वे न केवल प्रशासनिक मुखिया हैं बल्कि संगठन के भीतर भी संतुलन साधने में माहिर हैं।